Operation Sindoor: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के 15 दिन बाद आखिरकार भारतीय सेना (Indian Army) ने वो कर दिया है, जिसका इंतजार हर भारतीय कर रहा था. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी बुधवार (7 मई) को दिन में पूरे भारत में होने वाली मॉक ड्रिल पर नजरें गड़ाए बैठी थी, लेकिन भारतीय वायुसेना ने बुधवार की सुबह का सूरज उगने से पहले ही पाकिस्तान पर हमला (India Attack on Pakistan) बोल दिया. भारतीय सेना ने पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और बहावलपुर (Bahawalpur) में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया है. बहावलपुर में भारतीय सेना ने जिस मस्जिद को एयर स्ट्राइक के जरिये ध्वस्त किया है, उसे 'एक बम से 3 बदले' वाली कार्रवाई कहा जा रहा है. आइए आपको बताते हैं कि इस मस्जिद की पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद में क्या अहमियत है और क्यों इसे एक बम से तीन बदले वाली कार्रवाई बताया जा रहा है.
इसी मस्जिद में बनती थी भारत में आतंक फैलाने वाली योजनाएं
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के बमों ने जिस मस्जिद को बहावलपुर में निशाना बनाया है, वो खूंखार पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-E-Mohammed) का हेडक्वार्टर कही जाती थी. इसी मस्जिद में कंधार विमान अपहरण कांड में छूटा भारत का 'मोस्ट वॉन्टेड' आतंकी मसूद अजहर (Masood Azhar) अपने आतंकियों को भारत में भेजकर बड़ी घटनाएं करने की योजना बनाता था.
बहावलपुर मस्जिद में ही बनी थी संसद हमले से लेकर पुलवामा अटैक तक की प्लानिंग
मसूद अजहर का जन्म 10 जुलाई 1968 को पाकिस्तानी राज्य पंजाब के बहावलपुर में ही हुआ था. बहावलपुर की 'जामिया मस्जिद सुब्हान अल्लाह' में ही मसूद अजहर एक्टिव रहता था. भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक का शिकार हुई मस्जिद तो साल 2011-12 में बनी थी, लेकिन उससे पहले यहां पुरानी मस्जिद थी. उस पुरानी मस्जिद से ही जैश-ए-मोहम्मद की शुरुआत हुई थी. उस मस्जिद में ही बैठकर मसूद अजहर ने साल 2001 में भारतीय संसद पर जैश के हमले की प्लानिंग बनाई थी. इसके बाद यहां बनी मौजूदा मस्जिद में ही साल 2015 में कश्मीर में उड़ी टैरर अटैक (Uri Terror Attack) और साल 2019 में पुलवामा अटैक (Pulwama Attack) की योजना मसूद अजहर ने तैयार की थी. इसी कारण इस मस्जिद को भारतीय वायुसेना के उड़ाने पर 'एक बम से 3 बदले' की बात कही जा रही है.
चैरिटी ट्रस्ट की आड़ में चलता था टैररिस्ट कैंप
पाकिस्तानी आतंकी 1999 में भारतीय विमान IC 814 का अपहरण करने के बाद उसे अफगानिस्तान के कंधार ले गए थे. विमान के यात्रियों के बदले में जिन तीन पाकिस्तानी आतंकियों को रिहा कराया गया था, उनमें से एक मौलाना मसूद अजहर भी था. रिहा होने के बाद ही अजहर ने बहावलपुर में डेरा जमाया था और जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन की शुरुआत साल 2000 में की थी. तब से यहां वह अल-रहमत ट्रस्ट नाम के मुखौटा चैरिटी ट्रस्ट की आड़ में टैररिस्ट कैंप चला रहा है.
यहीं पर होती थी आतंकियों की भर्ती और ट्रेनिंग
बहावलपुर की मस्जिद का इस्तेमाल मसूद अजहर युवाओं को धार्मिक तकरीरों से बहकाकर आतंकी बनने के लिए तैयार करने और अपने आतंकी संगठन को चलाने के लिए चंदा जमा करने में कर रहा था. यहां भर्ती होने वाले आतंकियों को जैश-ए-मोहम्मद के PoK और खैबर पख्तूनख्वा में बने अलग-अलग ट्रेनिंग कैंपों में भेजा जाता था. ट्रेनिंग के बाद उन्हें कश्मीर और भारत के अलग-अलग हिस्सों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भेजा जाता था.
पाकिस्तान पर FATF का बैन हटते ही तेजी से बढ़ रही थी मस्जिद
पाकिस्तान पर आतंकी संगठनों को बढ़ावा देने के कारण टैरर फंडिंग की निगरानी करने वाली संस्था FATF ने बैन लगा दिया था. दुनिया के सारे देशों के प्रतिनिधित्व वाली इस संस्था ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में डाल दिया था, जिससे उसे विदेशी आर्थिक मदद मिलनी बंद हो गई थी. तब पाकिस्तान ने दिखावे के लिए बहावलपुर मस्जिद पर कार्रवाई करते हुए इसे अपने कब्जे में ले लिया था. साल 2021 में पाकिस्तान को चीन के दबाव में ग्रे लिस्ट से हटाया गया. डेमियन साइमन (The Intel Lab) की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद बहावलपुर मस्जिद और ज्यादा बड़ी होती चली गई थी. फिलहाल मस्जिद और इसका मदरसा करीब 18 एकड़ जगह में फैला हुआ है. यहां की सुरक्षा व्यवस्था भी ऐसी की गई थी, जितनी सुरक्षा व्यवस्था पाकिस्तानी सेना भी अपने ठिकानों की नहीं करती है.
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1 बम और 3 बदले, Bahawalpur की मस्जिद का क्या था संसद अटैक, पुलवामा ब्लास्ट और उड़ी हमले से नाता