हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िए
गर ग़लतियां बाबर की थीं, जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाज़ुक वक़्त में हालात को मत छेड़िए

अदम गोंडवी के ये शब्द और ऐसी ही और तमाम हिदायतें ही वो कारण हैं, जिसके चलते विभिन्नता होने के बावजूद देश एक सूत्र में जुड़ा हुआ है. मगर तक क्या? जब कोई गड़े मुर्दे उखाड़े और हालत के साथ छेड़छाड़ करे? ऐसी स्थिति में अंजाम कुछ वैसा ही होता है जो इस वक़्त महाराष्ट्र के नागपुर का है. नागपुर में बरसों पहले दफ़्न हुआ औरंगज़ेब का भूत न केवल बाहर आया, बल्कि लोगों पर इस हद तक सवार हुआ कि उनकी आंखों में खून उतर आया. नतीजा यह निकला कि नागपुर में जगह जगह जमकर पथराव हुआ, दुकानों और मकानों को आग के हवाले कर पुलिसवालों और प्रशासन के लोगों को घायल कर स्थिति को और अराजक किया गया.  

देश में तुष्टिकरण की जैसी राजनीति चल रही. इस बात में कोई शक नहीं है कि, हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां हमारे चारों तरफ बारूद बिछा है. और अब जबकि नागपुर में अराजक तत्व अपने मंसूबों में कामयाब हो गए हैं, आरोप प्रत्यारोप के सहारे बेकाबू हुए लॉ एंड आर्डर को दुरुस्त करने की नाकाम कोशिशों की शुरुआत हो गयी है. 

इसी क्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा बयान दिया है. फडणवीस ने राज्य विधानसभा में नागपुर में हुई झड़पों के बारे में बोलते हुए कहा है कि, 'छावा फिल्म ने औरंगजेब के खिलाफ लोगों के गुस्से को भड़का दिया.' मुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं द्वारा 'सुनियोजित हमले' के दावे को भी दोहराया और आश्वासन दिया कि झड़पों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

फडणवीस ने विक्की कौशल अभिनीत छत्रपति संभाजी की बायोपिक फिल्म पर आरोप लगाते हुए कहा, 'छावा फिल्म ने औरंगजेब के खिलाफ लोगों के गुस्से को भड़का दिया है, फिर भी सभी को महाराष्ट्र में शांति बनाए रखनी चाहिए.'

नागपुर हिंसा पर विधानसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा,'नागपुर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन किया. अफवाह फैलाई गई कि धार्मिक सामग्री वाली चीजें जला दी गईं... यह एक सुनियोजित हमला लगता है. किसी को भी कानून और व्यवस्था को अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं है.'

भले ही बतौर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस दंगे का बिल विक्की कौशल की छावा पर फाड़ दिया हो. और अपने को कुशल शासक बताने की कोशिश कर ली हो. लेकिन उन्हें इस बात को याद रखना होगा कि वो इस तरह मुक्त हरगिज नहीं हो सकते.  

फडणवीस को समझना होगा कि, उनका अपने नेतृत्व की खामियों को एक फिल्म से कवर देना, कहीं न कहीं दुनिया के सामने इस बात की पुष्टि कर रहा है कि वो राजनीतिक रूप से एक बेहद कमज़ोर मुख्यमंत्री की भूमिका में हैं. 

चूंकि बतौर मुख्यमंत्री फडणवीस इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि नागपुर दंगे का कारण विक्की कौशल की फिल्म छावा है. तो हम भी सवाल करते हुए उनसे पूछना चाहेंगे कि अगर उन्हें इस बात का आभास था कि भविष्य में ये फिल्म दंगे या बवाल की एक बड़ी वजह बन सकती है तो उन्होंने इसकी रोकथाम के लिए क्या किया? 

विषय बहुत सीधा है. राज्य चाहे कोई भी हो, मुख्यमंत्री कैसा भी हो, मगर हर राज्य का अपना इंटेलिजेंस होता है. चूंकि हर शहर में शांति का जिम्मा एलआईयू का होता है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या दंगे की सूचनाएं नागपुर में एलआईयू को नहीं मिली? और यदि मिली तो फिर औरंगज़ेब की कब्र का विरोध करने वाले हिंदूवादी संगठनों को विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत क्यों दी गयी?

जिस वक़्त विरोध चल रहा था क्यों नहीं मुस्लिम बहुल इलाकों की चेकिंग की गई? हम फिर इस बात को दोहरा रहे हैं कि मुख्यमंत्री द्वारा छावा को ढाल बनाकर न उसके पीछे छिपा जा सकता है.  न ही उसपर बिल फाड़ा जा सकता है.  यदि प्रशासन ने समय रहते हुए एक्शन लिया होता तो नागपुर कभी भी दंगों की आग में नहीं जलता.

भले ही फडणवीस विधानसभा में अपने बयान के बाद 'मुक्त' महसूस कर रहे हों लेकिन इतना तो तह है कि किसी भी सूरत में उन्होंने राजधर्म का परिचय नहीं दिया है.

बता दें कि मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को महाराष्ट्र से बाहर ले जाने की मांग को लेकर सोमवार शाम को भड़की हिंसा के बाद नागपुर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. शहर के महल इलाके में दो समूहों के बीच हुई भीषण झड़प के बाद 60 से ज़्यादा दंगाइयों को हिरासत में लिया गया और करीब 30 वाहनों में आग लगा दी गई है.

बहरहाल मामले पर राज्य के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का भी बयान आया है. एकनाथ शिंदे ने नागपुर हिंसा की निंदा करते हुए इसे सांप्रदायिक अशांति फैलाने के उद्देश्य से किया गया एक पूर्व नियोजित हमला बताया.

शिंदे ने कहा है कि, 'घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.करीब 2,000 से 3,000 लोग एकत्र हुए और मोमिनपुरा, चिटणीस नगर और अन्य इलाकों में घरों पर हमला किया.उन्होंने पत्थरबाजी की और उन पर हमला किया... क्या इसका मतलब यह है कि यह पहले से योजनाबद्ध था... उन्होंने न केवल आम लोगों पर हमला किया बल्कि पुलिस अधिकारियों पर भी हमला किया. ऐसे लोग सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

खैर, घटना के बाद भले ही नागपुर के अलग अलग हिस्सों में कर्फ्यू और पुलिसिया पहरा हो मगर जैसे हालात औरंगजेब के चलते बन गए हैं हमें मशहूर शायर राजेश रेड्डी के उस शेर को नहीं भूलना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा-

नई लाशें बिछाने के लिए ही

गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं...

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Nagpur Violence over Aurangzeb Tomb Row CM Fadnavis blaming Vicky Kaushal starrer Chhaava for unrest is unethical and unjustified
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Chhaava पर बिल फाड़ना नहीं सही, ऐसे राजधर्म से कोसों दूर हैं CM Fadnavis!
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नागपुर हिंसा के लिए फडणवीस का छावा को जिम्मेदार ठहराना कई मायनों में अजीब है
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नागपुर हिंसा पर Chhaava पर बिल फाड़ना नहीं सही, ऐसे राजधर्म से कोसों दूर हैं CM Fadnavis!

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