Meow Meow Drugs: दुनिया में नशा करने के लिए युवाओं में शराब से भी ज्यादा नशीली दवाइयां पॉपुलर हो रही हैं. नशीली ड्रग्स रखना और यूज करना NDPS Act के तहत गैरकानूनी होने के बावजूद भारतीय युवा तेजी से इनकी लत में पड़ रहे हैं. पहले चरस-गांजा जैसे प्राकृतिक नशे ही भारत में पॉपुलर थे, लेकिन अब दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबदी वाला हमारा देश सबसे खतरनाक सिंथेटिक ड्रग्स का भी गढ़ बन गया है. दिल्ली और पुणे पुलिस ने हालिया दिनों में बेहद खतरनाक मेफेड्रोन (Mephedrone Drugs) ड्रग्स की 1,800 किलोग्राम की खेप पकड़ी है, जिसकी कीमत करीब 3,500 करोड़ रुपये है. नशे की दुनिया में इसे सबसे ज्यादा उत्तेजक और खतरनाक ड्रग्स माना जाता है, जिसे म्यो-म्यो (Meow Meow Drugs) कोडनेम से भी पुकारा जाता है. NDPS Act के तहत भारत में प्रतिबंधित यह ड्रग्स इतना खतरनाक है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में इस पर पाबंदी लगी हुई है. इसके बावजूद नशे के सौदागर जमकर इसकी सौदागरी कर रहे हैं और युवा पीढ़ी को धीमी मौत की तरफ धकेल रहे हैं.
नशा नहीं बागवानी में यूज होने वाली खाद के तौर पर हुआ था आविष्कार
यदि आपको कहा जाए कि मेफेड्रोन यानी Meow Meow Drugs वास्तव में इंसान क्या किसी जानवर के लिए भी नहीं बनी थी तो आप क्या कहेंगे? दरअसल यह ड्रग्स पौधों में कीड़ों को मारने के लिए बनाई गई सिंथेटिक खाद है, जिसका इस्तेमाल किसी ने गलती से कर लिया. इस फर्टिलाइजर में इंसान को मदहोश करने वाला भयानक असर देखकर लोगों ने इसका ड्रग्स के तौर पर इस्तेमाल शुरू कर दिया. फर्टिलाइजर होने के कारण आम नशे के मुकाबले बेहद सस्ता होने के चलते Meow Meow Drugs की डिमांड तेजी से और भयानक लेवल पर बढ़ी है. यूके नेशनल एडिक्शन सेंटर की रिसर्च के मुताबिक, इस ड्रग्स की चपेट में सबसे ज्यादा 16 से 24 साल के युवा हैं. संयुक्त राष्ट्र ने यूरोप में Meow Meow Drugs का सबसे बड़ा बाजार ब्रिटेन को ही माना है, जहां साल 2010 से अब तक इसका इस्तेमाल 300% बढ़ चुका है.
क्यों हो गया है बेहद पॉपुलर?
Meow Meow Drugs दुनिया के हर देश में नशेड़ियों की पहली पंसद बना हुआ है. इसका कारण यह ड्रग्स बेहद कम कीमत पर मिलना है, लेकिन इसकी पॉपुलैरिटी बढ़ाने में कीमत से भी ज्यादा योगदान इसके नशे का है. दरअसल कोकीन-हेरोइन जैसी नशीली ड्रग्स लेने पर इंसान को महज दूसरी दुनिया में पहुंच जाने जैसा अनुभव होता है, लेकिन Meow Meow Drugs का अहसास कुछ अलग ही है. इस नशे का शौक रखने वालों के मुताबिक, इसकी छोटी सी खुराक भी शरीर को ऐसा झटका देती है कि मानो ट्रेन या ट्रक ने टक्कर मार दी है. इंसान के दिमाग और कान अजीब सी म्यो-म्यो जैसी आवाज सुनने लगते हैं और कानों में सीटियां सी गूंजने लगती है. कुछ ही पल में इंसान सीधे सातवें आसमान पर पहुंच जाता है यानी उसे अपने आसपास का कोई ख्याल नहीं रहता और वो खुद को स्वर्गलोक के मजे लूटता हुए महसूस करने लगता है.
पल भर में दे देता है मौत भी
Meow Meow Drugs किसी भी इंसान को जितना बेहतरीन अनुभव कराता है, उतने ही खतरनाक उसके परिणाम भी हैं. जानकारों के मुताबिक, इसमें HCL, पोटेशियम परमैंग्नेट और मैगनीज जैसे खतरनाक केमिकल मिलाए जाते हैं, जो बेहद जहरीले होते हैं. इसी कारण इसे यूज करने वाले को भले ही तत्काल फोकस, अलर्टनैस और ऊर्जा में बढ़ोतरी जैसा अहसास होता है. लेकिन इससे सांसों की रफ्तार से लेकर ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट तक, बाकी हर चीज भी कई गुना बढ़ जाती है. इस कारण इसकी मामूली सी भी खुराक ज्यादा लेने वाले इंसान की मौत तय मानी जाती है. यह पूरी तरह फर्टिलाइजर यानी खाद है, जिसे ब्रिटेन में ह्यूमन यूज के बजाय पौधों के भोजन, फर्टिलाइजर और बाथ सॉल्ट के तौर पर प्रचारित किया जाता है.
मेफेड्रोन कैसे खत्म करता है आपका शरीर
- मेफेड्रोन लेने वाले इंसान की आंखों की पुतलियां फैल जाती हैं, जिससे उसका एक चीज पर फोकस नहीं बनता.
- ऐसे लोगों को मतिभ्रम और अनियमित व्यवहार की समस्या होती है और उनके बॉडी टेंपरेचर में उतार-चढ़ाव आ जाता है.
- ऐसे लोगों की हार्टबीट बढ़ जाती है और सांस लेने में कठिनाई होने लगती है. उसका स्वास्थ्य लगातार गिरता जाता है.
- Meow Meow Drugs लेने वाले की भूख खत्म हो जाती है, हाथ-पांव पीले पड़ने लगते हैं.
- यदि कोई व्यक्ति Meow Meow Drugs को सूंघता है तो उसकी नाक में से जलन के साथ खून आने लगता है.
(सभी लक्षण यूके नेशनल एडिक्शन सेंटर के सर्वे पर आधारित)
70 साल दुनिया की नजर से छिपी रही ये ड्रग्स
साल 1929 में फ्रांसीसी रिसर्चर्स ने मेफेड्रोन को एक्सटसी के विकल्प के तौर पर तैयार किया था. इसे केमिस्ट्री में 4- मिथाइल एफेड्रिन (4-MMC) कहा जाता है. अवैध कैथिनोन या एम्फैटेमिन वर्ग की यह दवा इसके बाद 70 साल तक दुनिया की निगाहों से ओझल रही. 1999 में काइनेटिक नाम के रसायन विज्ञानी ने इसकी दोबारा खोज की.
चीनी ड्रग्स कार्टेल ने फैला दिया पूरी दुनिया में
मेफेड्रोन शुरुआत में केवल यूरोप-अमेरिका के बाजारों तक ही सीमित था और इसकी कीमत भी बेहद ज्यादा थी. इजरायली वेबसाइटों ने कैथिनोन की संरचना संशोधित कर इसका फॉर्मूला पब्लिश कर दिया. इस ऑनलाइन लीक से यह फॉर्मूला चीन के ड्रग्स कार्टेल तक पहुंच गया, जिसने तत्काल इसकी नकल तैयार कर ली और कीमतें बेहद कम कर दीं. इससे यह तेजी से पूरी दुनिया में फैल गया. साल 2000 में इसकी बिक्री इंटरनेट पर धड़ल्ले से होने लगी. दुनिया भर की लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियां साल 2008 तक इसे लेकर अलर्ट होना शुरू हुई, लेकिन तब तक यह लगभग पूरी दुनिया में फैल चुका था.
कब कहां किसने लगाया बैन
- मेफेड्रोन ड्रग्स पर इस समय दुनिया के लगभग सभी देशों में बैन लगा हुआ है.
- साल 2008 में सबसे पहले इसे इजरायल ने अपने यहां गैरकानूनी घोषित किया था.
- इजरायल के बाद स्वीडन ने भी उसी साल इस पर पाबंदी लगा दी थी.
- 2010 में अधिकतर यूरोपीय देशों ने भी इसे अपने यहां अवैध घोषित कर दिया था.
- ब्रिटेन ने 2010 में इसे क्लास-बी कैटेगरी की ड्रग्स में शामिल कर दिया था.
- अमेरिका ने 2012 में मेफेड्रोन को सिंथेटिक ड्रग एब्यूज प्रिवेंशन एक्ट की अनुसूची-1 में शामिल किया था.
- भारत में भी NDPS Act के तहत इसे प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में रखा जा चुका है.
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Meow Meow Drugs क्या है, पौधों की खाद से कैसे बन गई दुनिया की सबसे खतरनाक ड्रग्स