चीनी लोग आमतौर पर अपनी सरकार के तानाशाही आदेशों का विरोध नहीं करते. लेकिन अब नौबत आ चुकी है कि जनता सड़कों पर उतर रही है. राष्ट्रपति शी ज़िनपिंग के कार्यकाल में पहली बार ऐसा हो रहा है.
सड़कों पर लोगों का हूजूम है, पुलिस और प्रदर्शनकारी आमने सामने हैं, गाड़ियों का जाम लगा है लेकिन गाड़ियों में बैठे लोग भी एक सुर में हॉर्न बजा रहे हैं और प्रदर्शनकारियों के नारों के साथ ताल मिला रहे हैं. कॉलेज और स्कूलों के बाहर छात्र खड़े हैं और कोरे कागज़ दिखा रहे हैं. यह सब इस समय चीन में हो रहा है क्योंकि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की "Zero Covid" पॉलिसी के बाद आम जनजीवन ही खतरें में पड़ गया है.
कोविड वायरस की जन्मभूमि माने गए चीन में अभी तक लॉकडाउन के नियमों में ढील नहीं दी गई है. लॉकडाउन मानसिक रूप से थका देने वाली व्यवस्था है. कई देशों की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने में लॉकडाउन ने बड़ी भूमिका निभाई है. कोविड लॉकडाउन में भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में लोगों की नौकरियां गईं, कारोबार ठप्प हुए, शिक्षा का स्तर गिरा और आम जनता भारी अवसाद में आ गई.
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अपने देश को बचाने के लिए लगभग सभी देशों ने लॉकडाउन को समाप्त किया लेकिन चीन में इससे कोई रियायत नहीं दी गई.
VIDEO: Hundreds protest in Beijing on Sunday night against China's Covid measures
— AFP News Agency (@AFP) November 28, 2022
Asked at a press briefing about the protests, foreign ministry spokesman Zhao Lijian said the question did not match the "facts".
"We believe that... our fight against Covid-19 will be successful" pic.twitter.com/86mGsbvXNt
कब लगी "आग"?
यह सब ऐसे ही चलता रहता अगर चीन के एक शहर उरुमची में स्थित एक बहुमंज़िला इमारत में आग नही लगती. इस दुर्घटना में 10 लोगों की मौत हो गई और प्रत्यक्षदर्शियों का मानना था कि बचाव दल ने राहत के समय पर भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के चक्कर में बहुत देर कर दी. चीन में लॉकडाउन को लेकर लंबे समय से असंतोष है और आग लगने की इस घटना ने वाकई आग में घी का काम किया.
चीनी जनता ने पहले इस आग का विरोध किया और धीरे धीरे विरोध प्रशासन, फिर लॉकडाउन और फिर सरकार विरोधी हो गया.
हज़ारों लोग सड़कों पर उतरने लगे और पहले कैंडल मार्च हुआ और इस मार्च ने ही एक विकराल आंदोलन का रूप ले लिया. चीनी प्रशासन इस विरोध को दबाने की हर संभव कोशिश कर रहा है. कॉलेज और स्कूल में विरोध कर रहे छात्रों को डिग्री ना दिए जाने की बात की जा रही है और वहीं सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियोज़ को एडिट कर दिया जा रहा है.
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लेकिन, इस बात से विरोधियों का हौसला कम नहीं हो रहा बल्कि बढ़ रहा है. 1989 में चीन के थ्यानमेन स्कॉयर लोकतंत्र समर्थकों पर हुई गोलीबारी के बारे में चीन में बात करना वर्जित है. लेकिन अब इस बारे में भी बात की जा रही है.
अलग है विरोध
चीन में इस समय हो रहा विरोध केवल लॉकडाउन संबंधी नहीं है. यह दरअसल चीनी जनता की लोकतांत्रिक अभिलाषा का सूचक है. चीन के एक पार्टी सिस्टम से लोग परेशान हैं. शी जिनपिंग अब जब तक जीवित हैं, राष्ट्रपति बने रहेंगे. ऐसे में लोगों के पास बेहतर लीडरशिप चुनने का विकल्प ही नहीं है.
लॉकडाउन और जिनपिंग के खिलाफ चीन में जबरदस्त विद्रोह #China #Corona #XIJinping https://t.co/4P7wiVoJml
— Zee News (@ZeeNews) November 28, 2022
जिनपिंग सरकार ने अचानक ज़ीरो कोविड पॉलिसी लागू कर दी और अब लोगों को घर से बाहर निकलने लिए भी टेस्ट करवाना पड़ रहा है. लॉकडाउन के बाद से चीन में कुशल कामगारों की कमी हुई है, दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में बेरोज़गारी का स्तर भी 2017 के 3.9 से बढ़कर 5.00 तक आ गया है.
चीन के लोगों को दुनिया के अन्य देश दिख रहे हैं. उनकी आज़ादी दिख रही है और इस आज़ादी को वो अपने यहां लागू करना चाहते हैं. एक बिल्डिंग में लगी आग अब चीन की सड़कों पर फैल रही है. सरकार और प्रशासन रातों-रात विरोधियों को ठिकाने लगा रही है. सोशल मीडिया सेंसर हो रहा है और खबरें भी बाहर नही आ रही हैं.
घरों में कैद लोग बस चीख रहे हैं... शुक्र मनाइए कि आप इस समय चीन में नहीं है.
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Infinite Lockdown: शुक्र मनाएं कि आप चीन में नहीं रहते!