5 सितम्बर 2024 को मंगेश यादव के कथित एनकाउंटर (Mangesh Yadav Encounter) पर जारी बवाल अभी थमा भी नहीं था यूपी पुलिस ने बीते दिन यानि 23 सितम्बर 2024 को सुल्तानपुर डकैती कांड के मास्टरमइंड और एक लाख के इनामी अनुज प्रताप सिंह (Anuj Pratap Singh Encounter In UP ) को मारकर एक बार फिर विपक्ष विशेषकर अखिलेश यादव को आरोप-प्रत्यारोप का मौका दे दिया है. सपा सुप्रीमो ने इन दोनों ही एनकाउंटर्स को फर्जी बताते हुए तमाम बड़ी बातें की हैं और योगी आदित्यनाथ पर गंभीर आरोप लगते हुए कहा है कि जिनका ख़ुद का कोई भविष्य नहीं होता, वही भविष्य बिगाड़ते हैं.
मिर्ज़ापुर में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश के आरोपों पर जबरदस्त पलटवार किया है. सीएम योगी कहा कि नए भारत के नए उत्तर प्रदेश में व्यापारियों की सुरक्षा में कोई सेंध नहीं लगा सकता है. अगर कोई ऐसा करने का प्रयास करेगा तो उसे इसका गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
यूपी में माफियाओं की स्थिति पर तंज कसते हुए योगी ने ये भी कहा कि आज यूपी में माफिया गिड़गिड़ा रहे हैं. प्रदेश छोड़ देने की बात कर रहे हैं.
जिक्र यूपी में एनकाउंटर और उस पर चल रही राजनीति का हुआ है तो हमारे लिए भी कुछ आंकड़ों का अवलोकन करना बहुत जरूरी हो जाता है. ध्यान रहे कि यूपी में 2017 से लेकर 2024 तक 12,964 एनकाउंटर हुए हैं जिनमें 207 दुर्दांत अपराधियों को पुलिस द्वारा मार गिराया गया है. मामले में दुर्भाग्यपूर्ण ये भी है कि इन एनकाउंटर्स में 17 पुलिसवालों को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कहना है कि योगी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 93 फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें उसके पास पहुंची थी. आयोग का ये भी कहना है कि पिछले 8 वर्षों में उनके पास फर्जी एनकाउंटर की कुल 1356 शिकायतें आई हैं.
एनकाउंटर सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं हैं. चाहे वो यूपी का विकास दुबे एनकाउंटर, हैदराबाद में हुए गैंगरेप के आरोपियों का एनकाउंटर, बाटला हाउस एनकाउंटर, सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर और इशरतजहां एनकाउंटर देश में कई बड़े एनकाउंटर हुए हैं जिन्हें एक बड़ी आबादी या ये कहें कि मानवाधिकारों के पुरोधाओं द्वारा फ़र्ज़ी करार दिया गया है.
जिक्र एनकाउंटर्स का हुआ है तो बता दें कि एनकाउंटर का सिलसिला अंग्रेजी हुकूमत से शुरू हुआ. जिक्र हाल फ़िलहाल का हो तो कई मौके ऐसे भी आए हैं जिनमें पुलिस पर एनकाउंटर की आड़ लेकर सुपारी किलिंग करने के गंभीर आरोप लगे हैं. तमाम एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ऐसे हैं जिनकी कार्यप्रणाली आज भी सवालों के घेरे में है.
बहरहाल पुलिस एनकाउंटर कैसे करती है? एनकाउंटर क्यों होता है? वो कौन सी परिस्थितियां होती हैं जो पुलिस को किसी अपराधी का एनकाउंटर करने के लिए प्रेरित करती हैं? पुलिस एनकाउंटर्स के पीछे का सच क्या है? इन तमाम सवालों के जवाब जानने हैं, तो बॉलीवुड की कुछ फिल्मों को देखा जा सकता है. आइये नजर डालें बॉलीवुड की उन फिल्मों पर जिनका बैकड्रॉप एनकाउंटर्स हैं.
अब तक छप्पन
अमेजन प्राइम पर दिखाई जा रही इस फिल्म की खासियत ये है कि इसमें मुंबई में संगठित अपराध और अंडरवर्ल्ड के प्रसार के बीच पुलिस एनकाउंटर की हकीकत को सिनेमा के पर्दे पर पेश किया गया है.
फिल्म में 90 का वो दशक दर्शाया गया है जब 93 में हुए मुंबई ब्लास्ट के बाद माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम दुबई भाग गया था और वहीं से अपना गैंग ऑपरेट कर रहा था.
शिमित अमीन के निर्देशन में बनी ये फिल्म साल 2004 में रिलीज हुई थी. इसमें बॉलीवुड एक्टर नाना पाटेकर ने इंस्पेक्टर साधु अगासे का रोल किया था. फिल्म में नाना के किरदार को लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया था. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक ईमानदार पुलिस अफसर अंडरवर्ल्ड डॉन के घर में घुसकर उसे मौत के घाट उतार देता है. ध्यान रहे कि इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए नाना को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था.
बाटला हाउस
देश में शायद ही कोई ऐसा हो, जो दिल्ली में साल 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर से परिचित न हो. लोगों ने आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर करके निर्दोष लड़कों को मौत के घाट उतार दिया है.
इस एनकाउंटर के बाद पुलिस टीम के सदस्यों के साथ कैसा सलूक हुआ, उनके किस मनोदशा से गुजरना पड़ा, एनकाउंटर का सच क्या था, इस इस फिल्म के जरिए पेश करने की कोशिश की गई थी.
साल 2019 में रिलीज हुई इस फिल्म में जॉन अब्राहम डीसीपी संजय कुमार यादव, रवि किशन इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा, मनीष चौधरी पुलिस कमीश्नर जयवीर सिंह और राजेश शर्मा डिफेंस लॉयर शैलेश आर्या की भूमिका में थे. फिल्म को अमेजन प्राइम वीडियो पर देखा जा सकता है.
डिपार्टमेंट
देशभर में हुए तमाम एनकाउंटर्स में कई एनकाउंटर्स ऐसे भी हैं जिनमें पुलिस पर सुपारी किलिंग के आरोप लगे हैं. साल 2012 में रिलीज हुई डिपार्टमेंट भी एक ऐसी ही फिल्म है जिसमें हम पुलिस को एक गैंग से पैसे लेकर दूसरे गैंग का खात्मा करते हुए देख सकते हैं. इस फिल्म का निर्देशन राम गोपाल वर्मा ने किया था.
फिल्म में संजय दत्त, राणा दुगबती, अमिताभ बच्चन, अंजना सुखानी, नसीरुद्दीन शाह, मधु शालिनी, नतालिया कौर और विजय राज मुख्य भूमिका में हैं.
इसमें अमिताभ बच्चन ने बाहुबली सरजेराव गायकवाड़, संजय दत्त ने पुलिस इंस्पेक्टर महादेव भोंसले और राना दग्गुबती ने इंस्पेक्टर शिवनारायण का रोल किया है. नेटफ्लिक्स पर फिल्म मौजूद है जिसे देखने के बाद पुलिसिया सिस्टम की तल्ख़ हकीकत हमारे सामने आ जाती है. ध्यान रहे कि फिल्म में पुलिस और अपराधियों के नेक्स्स को पर्दे पर बखूबी दर्शाया गया है.
शार्गिद
साल 2011 में रिलीज हुई तिगमांशु धुलिया के निर्देशन में बनी फिल्म 'शार्गिद'. एक ऐसी फिल्म है जिसमें बताया गया है कि फर्जी एनकाउंटर करने वाले भ्रष्ट पुलिस अफसरों के साथ आगे आने वाले वक़्त में क्या सलूक होता है. इस फिल्म में नाना पाटेकर, जाकिर हुसैन, मोहित अहलावत, रिमी सेन और अनुराग कश्यप अहम भूमिका में हैं.
फिल्म में नाना ने इंस्पेक्टर हनुमंत सिंह, जाकिर हुसैन ने राजमणी यादव, अनुराग कश्यप ने गैंगस्टर बंटी भईया और रिमी सेन ने वर्षा माथुर का किरदार निभाया है. इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि इंसान जैसा करता है, उसे वैसा ही भोगना पड़ता है.
ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हुई ये फिल्म बताती है कि फर्जी एनकाउंटर करने वाले एक भ्रष्ट पुलिस अफसर के साथ उसका शार्गिद वही करता है, जो वो दूसरों के साथ किया होता है.
शूटआउट एट वडाला
भारत में अपराध के लिहाज से 80 का दशक वो समय था जब देश में माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम डर और आतंक का पर्याय बन बैठा था. ये समय वो था जब अपराध नियंत्रण में पुलिस को खासी दुश्वारियों का सामना करना पड़ा था.
संजय गुप्ता के निर्देशन में बनी ये फिल्म हुसैन जैदी की किताब 'डोंगरी टू दुबई' पर आधारित है. फिल्म में जॉन अब्राहम, कंगना रनौत, अनिल कपूर, तुषार कपूर, मनोज बाजपेयी, सोनू सूद, महेश मांजरेकर के साथ प्रियंका चोपड़ा, सनी लियोन, सोफी चौधरी, जैकी श्रॉफ और रंजीत अहम भूमिका में हैं.
फिल्म में जॉन ने मन्या सुर्वे का किरदार निभाया है. इस एक्शन ड्रामा फिल्म को लोगों के साथ साथ क्रिटिक्स ने भी खूब पसंद किया था. फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर उपलब्ध है जिसमें तमाम ऐसी चीजें हैं जो हमें अंडरवर्ल्ड और वहां गैंग्स के बीच की रंजिश को पर्दे पर दिखाती हैं.
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