बस कुछ दिन और फिर धरती पर इंसानों के सबसे बड़े अनुष्ठान कुंभ मेले का शुभारंभ हो जाएगा. कुंभ एक ऐसा भव्य आध्यात्मिक उत्सव है जो ऋषियों, संतों, आम पुरुषों और महिलाओं, बच्चों, छात्रों, पंडितों और समाज के कई अन्य लोगों को एक साथ लाता है.
कुंभ मेले की हमेशा से ही यह विशेषता रही है कि इसमें मनुष्य अपने पापों को धोने और उनका प्रायश्चित करने के अलावा मोक्ष प्राप्त करने के उद्देश्य से पवित्र नदियों में डुबकी लगाता है. कुंभ मेला 4 मुख्य स्थलों - हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है. इसी क्रम में यह बता देना भी बहुत जरूरी है कि साल 2025 का महाकुंभ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है.
कब होगी महाकुंभ 2025 की शुरुआत
साल 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होगा जिसका समापन 26 फरवरी को होगा. प्रयागराज में आयोजित हो रहे कुंभ मेले के विषय में जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार मेले की कुल अवधि 44 दिन रहेगी.
आखिर क्या है कुंभ की उत्पत्ति की कहानी
मान्यता है कि कुंभ मेले की उत्पत्ति समुद्र मंथन से भी पुरानी है. कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन चल रहा था, तो अमृत निकलने से पहले ही उसमें विष, दिव्य वस्तुएं, हाथी और बहुत कुछ निकल आया. और जब अमृत निकला, तो देवताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि उसे किसी भी हालत में असुरों को नहीं दिया जाना चाहिए.
असुरों को अमृत से दूर रखने के उद्देश्य से भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और वो एक बर्तन (कुंभ) में अमृत लेकर भाग गए.
कहा जाता है कि अमृत की कुछ बूंदें 4 स्थानों पर गिर गईं, जो बाद में हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और काशी के रूप में न केवल प्रसिद्द हुए बल्कि पवित्र शहर कहलाए.
कुंभ के प्रकार
हालांकि दुनिया 2025 में महाकुंभ की गवाह बनेगी, लेकिन यह कुंभ मेले का एकमात्र प्रकार नहीं है. कुंभ मेले के चार प्रकार हैं- महाकुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और माघ मेला.
महाकुंभ
महाकुंभ 144 वर्षों में केवल एक बार आयोजित किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ मेला 12 'पूर्ण कुंभ मेलों' के बाद आता है और केवल प्रयागराज में आयोजित किया जाता है.
अर्ध कुंभ
अर्ध कुंभ दो पूर्ण कुंभ मेलों के बीच हर 6 साल में आयोजित किया जाता है. ये हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित किए जाते हैं.
पूर्ण कुंभ
पूर्ण कुंभ हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है, और यह चार स्थानों - हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में से किसी में भी हो सकता है.
माघ मेला
माघ मेला हर साल आयोजित किया जाता है, और इसे 'छोटे कुंभ' के नाम से जाना जाता है. यह प्रयागराज में माघ महीने में आयोजित किया जाता है, जो जनवरी-फरवरी में होता है.
शाही स्नान
शाही स्नान कुंभ मेले के सबसे महत्वपूर्ण भागों और अनुष्ठानों में से एक है. कई 'अखाड़े', जो मूल रूप से संतों और तपस्वियों के आदेश और समूह हैं, त्रिवेणी संगम में शाही स्नान में भाग लेते हैं, क्योंकि शाही स्नान के लिए कुछ तिथियां तय की जाती हैं.
अखाड़े हाथियों से लेकर महंगी कारों और रथों तक भव्य तरीके से नदियों पर पहुंचते हैं. मान्यता ये भी है कि शाही स्नान में आत्मा को शुद्ध करने और मुक्ति का मार्ग आसान बनाने की शक्ति होती है.
कहा जाता है कि महाकुंभ के दौरान शाही स्नान करना लोगों के लिए जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है क्योंकि महाकुंभ 144 वर्षों के बाद आता है.
महाकुंभ के लिए शाही स्नान की तिथियां
बताते चलें कि महाकुंभ 2025 के लिए शनि स्नान पौष पूर्णिमा के दिन होगा, जो 13 जनवरी को है. फिर मकर संक्रांति, 14 जनवरी को, फिर मौनी अमावस्या, जो 29 जनवरी को है, उसके बाद बसंत पंचमी, जो 3 फरवरी को है, उसके बाद माघी पूर्णिमा, 12 फरवरी को है और 26 फरवरी को महा शिवरात्रि पर समाप्त होगा.
महाकुंभ से जुड़ी इन बातों को अवश्य जानें आप
अध्यात्म से जुड़े तमाम लोग ऐसे हैं जिनका मानना है कि महाकुंभ एक ऐसी यात्रा और अनुभव है जो किसी और से अलग है. जैसा कुंभ को लेकर लोगों में उत्साह रहता है, लोग अपने ठहरने और पूजा अनुष्ठानों की तैयारी महीनों पहले से ही शुरू कर देते हैं. माना ये भी जाता है कि कुंभ एक ऐसा आदर्श समागम है जहां धर्म और अध्यात्म एक साथ मिलते हैं.
जिक्र अगर कुंभ परिसर या आयोजन स्थल का हो तो यहां पूरे दिन भारी भीड़ रहती है, और कुंभ मेले का विशाल आकार विस्मयकारी होता है. लाखों लोग होते हैं, चारों ओर कड़ी सुरक्षा होती है, पवित्र नदी भक्तों से भरी होती है, और यहां की हवा हमें प्रेम, दिव्यता और सर्वोच्च शक्तियों के साथ एकता का अनुभव कराती है.
यहां चूंकि हर समय भजन, कीर्तन, जगराता, शंखनाद होता है तो पूरे माहौल में एक अलग ही रूमानियत रहती है. कुंभ मेले में लोग सर्वोच्च कोटि के संतों और ऋषियों, नागा साधुओं और अघोरियों को देख सकते हैं, जिन्होंने परिवार और बंधन से सभी संबंध त्याग दिए हैं. चाहे कितनी भी ठंड क्यों न हो, कुंभ में तपस्वी जो बिना कपड़ों के रहते हैं अपना जीवन व्यतीत करते हैं.
बहरहाल, इस बात में कोई शक नहीं है कि कुंभ एक भव्य आयोजन है. बाकी बात प्रयागराज में शुरू होने वाले महाकुंभ के संदर्भ में हुई है. तो हमारे लिए ये बता देना भी बहुत जरूरी हो जाता है कि, लोगों के साथ साथ उत्तर प्रदेश की सरकार का इस अयोजन को लेकर जैसा उत्साह हैअभी से माना जा रहा है कि ये भव्य आयोजन कई रिकार्ड्स अपने नाम करेगा.
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Maha Kumbh 2025: समय, तारीख, प्रकार, महत्व और शाही स्नान समेत जानें कुंभ का पूरा A टू Z