Lok Sabha Elections 2024 Phase 4 Voting: लोकसभा चुनाव अब अपने चौथे चरण में पहुंच गए हैं. सोमवार (13 मई) को 9 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की 96 सीट के लिए मतदान होगा, जिसमें 1717 उम्मीदवारों का भाग्य तय होगा. इस चरण में सबसे ज्यादा 25 सीट आंध्र प्रदेश की हैं, जबकि तेलंगाना की 17, उत्तर प्रदेश की 13, महाराष्ट्र की 11, मध्य प्रदेश व पश्चिमी बंगाल की 8-8, झारखंड व ओडिशा की 4-4 और जम्मू-कश्मीर की 1 सीट पर वोट डाली जाएंगी.
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चौथे चरण में इन जाने-माने चेहरों का भाग्य होगा EVM में बंद
चौथे चरण में भारतीय राजनीति के कई जाने-माने चेहरों का भाग्य भी EVM में बंद होगा, जिनमें AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi), समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), पश्चिम बंगाल कांग्रेस चीफ अधीर रंजन चौधरी (Ashir Ranjan Chowdhury), टीएमसी की फायर ब्रांड नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra), भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह (Giriraj Singh), जेडीयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh), टीएमसी नेता व फिल्म एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha), पूर्व भारतीय क्रिकेटर यूसुफ पठान (Yusuf Pathan), भाजपा नेता अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) और माधवी लता (Madhavi Latha), आंध्र प्रदेश कांग्रेस चीफ वाईएस शर्मिला (YS Sharmila) शामिल हैं.
ये रहेंगी चौथे चरण की टॉप-10 हॉट सीट
बहरामपुर लोकसभा सीट: पश्चिम बंगाल की इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच तगड़ा मुकाबला है. कांग्रेस से अधीर रंजन चौधरी खड़े हैं, जबकि भाजपा ने डॉ. निर्मल कुमार साहा को उतार रखा है. तृणमूल ने इस सीट पर पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को उतारकर मुकाबला रोचक बना रखा है. यह सीट 2009 से 2019 तक अधीर रंजन चौधरी लगातार तीन बार जीत चुके हैं.
हैदराबाद लोकसभा सीट: AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी को इस बार हैदराबाद सीट पर कड़ी चुनौती मिल रही है. भाजपा कैंडीडेट माधवी लता ने चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह चर्चा हासिल की है, उससे ओवैसी को भी पहली बार गंभीरता से अपने प्रचार अभियान की कमान संभालनी पड़ी है. लगातार 5वीं बार यहां से जीतने की कोशिश कर रहे ओवैसी ने डोर-टू-डोर अभियान चलाकर माधवी लता के लिए जीत की राह पूरी तरह बंद करने की कोशिश की है. साल 2019 में ओवैसी ने इस सीट पर भाजपा के डॉ. भगवंत राव को 282,186 वोट के बड़े अंतर से हराया था, लेकिन भाजपा ने 235,285 वोट हासिल करते हुए दिखा दिया था कि 2024 में उसे हल्के में नहीं लिया जा सकेगा. यह बात इस बार चुनाव प्रचार में भी दिखी है.
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कृष्णानगर लोकसभा सीट: पश्चिम बंगाल की यह सबसे चर्चित सीटों में से एक हैं, क्योंकि यहां से महुआ मोइत्रा चुनाव लड़ रही हैं, जबकि भाजपा ने उनके सामने राजमाता अमृता रॉय को टिकट दिया है. अमृता रॉय स्थानीय राजघराने की मेंबर हैं और इलाके में अच्छी पहचान रखती हैं. साल 2019 में महुआ मोइत्रा ने इस सीट पर 614,872 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी, लेकिन दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के कल्याण चौबे को भी 551,654 वोट मिली थी. इस बार मुकाबला और ज्यादा नजदीकी का माना जा रहा है.
बेगूसराय लोकसभा सीट: बिहार की इस सीट पर भाजपा नेता गिरिराज सिंह चुनाव लड़ रहे हैं, जो अपने बयानों के कारण रात-दिन चर्चाओं में बने रहते हैं. गिरिराज के सामने CPI कैंडीडेट अवधेश राय की चुनौती है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज ने इस सीट पर JNU के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) को करीब 4 लाख वोट से मात दी थी. कन्हैया भी CPI के टिकट पर ही उतरे थे.
मुंगेर लोकसभा सीट: बिहार की इस सीट पर जनता दल (यूनाइटेड) के नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के सामने RJD नेता अनीता देवी की चुनौती है. ललन सिंह को मुख्यमंत्री Nitish Kumar का करीबी माना जाता है. ललन सिंह इस सीट पर 2009 और 2019 में जीत चुके हैं. साल 2019 में ललन सिंह ने इस सीट पर 1.67 लाख वोट के अंतर से RJD की ही नीलम देवी को हराया था. नीलम देवी बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी हैं. इस बार उनके सामने मौजूद अनीता देवी भी गैंगस्टर अशोक महतो की पत्नी हैं, जो करीब 17 साल बाद पिछले साल नवंबर में ही भागलपुर सेंट्रल जेल से रिहा हुआ है. यहां मुकाबला कड़ा माना जा रहा है, क्योंकि अशोक महतो अपनी पत्नी के पक्ष में RJD के कोर मुस्लिम वोटर्स के साथ ही अति पिछड़ा वर्ग के वोट भी आने की उम्मीद जता रहे हैं.
श्रीनगर लोकसभा सीट: जम्मू-कश्मीर की इस सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी को उतारा है, जिनके सामने PDP के वहीद पाड़ा की चुनौती है. यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारुक अब्दुल्लाह ने साल 2019 में जीती थी. इस बार उनके नहीं उतरने से मुकाबला रोचक माना जा रहा है.
आसनसोल लोकसभा सीट: पश्चिम बंगाल की इस लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस ने फिल्म एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा को टिकट दिया है. भाजपा की तरफ से उन्हें सुरिंदरजीत सिंह अहलूवालिया चुनौती दे रहे हैं. यह सीट साल 2019 में भाजपा के स्टार चेहरे व गायक बाबुल सुप्रियो ने जीती थी, लेकिन बाद में सु्प्रियो के तृणमूल कांग्रेस में आ जाने पर यह सीट खाली हो गई थी. इसके बाद हुए उपचुनाव में तृणमूल ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस और फिर वहां से अपने साथ आने वाले शत्रुघ्न सिन्हा को इस सीट से उतारा था, जो 56.62% वोट के साथ चुनाव जीते थे. अहलूवालिया फिलहाल बर्द्धमान दुर्गापुर सीट से सांसद हैं. वे इस सीट के लिए भाजपा की पहली चॉइस नहीं थे, क्योंकि यहां से भोजपुरी गायक पवन सिंह को टिकट दिया गया था, जिन्होंने अपने एक म्यूजिक वीडियो को लेकर तृणमूल की तरफ से महिलाओं की बेइज्जती का मुद्दा बनाए जाने के बाद चुनाव लड़ने से नाम वापस ले लिया था.
कन्नौज लोकसभा सीट: उत्तर प्रदेश की इस सीट पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद उतरे हैं. उनका सामना मौजूदा सांसद व भाजपा नेता सुब्रत पाठक के साथ हो रहा है. अखिलेश यादव इस सीट पर 2000 से 2012 तक सांसद रह चुके हैं, लेकिन 2012 में उन्होंने मुख्यमंत्री बनने पर इस्तीफा दे दिया था. इस सीट पर हिंसा होने की संभावना है, क्योंकि सुब्रत पाठक ने सपा पर गुंडे बुलाने का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत प्रशासन को दी है, जबकि अखिलेश ने खुलेआम आरोप लगाया है कि लोगों को वोट डालने से रोकने के लिए लखनऊ से 3 एसपी और डीएम यहां तैनात किए गए हैं.
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कडपा लोकसभा सीट: आंध्र प्रदेश की इस सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष वाईएस शर्मिला चुनाव लड़ रही हैं, जिनका सामना मौजूदा सांसद अविनाश रेड्डी से होगा. खास बात ये है कि अविनाश रेड्डी और शर्मिला आपस में कजिन ब्रदर-सिस्टर हैं. शर्मिला के भाई वाईएस जगन मोहन रेड्डी राज्य के मुख्यमंत्री और सत्ताधारी YSRCP के मुखिया हैं, लेकिन इस समय दोनों भाई-बहन की राह अलग-अलग हैं. शर्मिला को अपनी मां वाईएस विजयलक्ष्मी का भी साथ मिला हुआ है, जो चुनाव प्रचार में अपनी बेटी के लिए वोट मांगने जनता के बीच पहुंची हैं.
खूंटी लोकसभा सीट: झारखंड की यह सबसे हाई प्रोफाइल सीट मानी जा रही है. इसे भाजपा का गढ़ माना जाता है. यहां से भाजपा ने मौजूदा सांसद अर्जुन मुंडा को ही दोबारा टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने कालीचरण मुंडा को उतारा है. भाजपा यहां साल 1984 से अब तक 10 में से 8 बार जीत चुकी है. इसके बावजूद मुकाबला बेहद कड़ा माना जा रहा है, क्योंकि कालीचरण झारखंड के सबसे प्रभावी आदिवासी नेताओं में से एक टी. मुछीराय मुंडा के बेटे हैं.
(With ANI Inputs)
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