डीएनए हिंदी: कभी दूसरे देशों के युद्ध तो कभी महामारी के चलते देश में महंगाई का स्तर बदस्तूर बढ़ता जा रहा है. साथ ही तेजी से बदल रहा है हमारे घरों में 'THALINOMICS' का भी आंकड़ा. पिछले दस साल के दौरान भारत के लगभग हर घर में थाली पर होने वाला खर्च दोगुना हो चुका है. घर की थाली के बारे में बात करने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि एक औसत भारतीय थाली में क्या होता है? आम तौर पर एक थाली भोजन में अनाज (चावल और गेहूं), सब्जियां, आलू व प्याज शामिल होते हैं. साथ ही भोजन की लागत में खाना पकाने का ईंधन खर्च भी शामिल है.

पढ़ें- Green Crackers: क्या होते हैं ग्रीन पटाखे, कितना फैलाते हैं प्रदूषण, सामान्य पटाखों से कितना होते हैं अलग? जानिए सबकुछ

अब जानते हैं क्या होता है 'THALINOMICS'

'थालीनॉमिक्स' एक टर्म है, जिसे भारत में फूड अफोर्डेबिलिटी जानने के लिए यूज किया जाता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि थालीनॉमिक्स मतलब एक प्लेट खाने के लिए एक आम भारतीय की जेब से किया जाने वाला खर्च. इस शब्द का उपयोग पिछले साल इकोनॉमिक सर्वे पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था. इसके बाद ही इस शब्द को ज्यादा पॉपुलैरिटी मिली है. आपको बता दें कि भोजन सभी की एक बुनियादी जरूरत है. खाने-पीने की कीमतों का असर डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से आम जनता पर पड़ता है.

पढ़ें- Ukraine में फिर भड़की जंग की चिंगारी, क्या रूस की वजह से परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ी है दुनिया?

food inflation

7 साल में 42% तक महंगी हुई है आपकी थाली

इकोनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में थालीनॉमिक्स के हिसाब से साल 2015 में एक शाकाहारी थाली भोजन की लागत 16 रुपये से कम थी, यानि एक दिन में दो थाली भोजन पकाने के लिए केवल 31 रुपये खर्च होते थे. साल 2022 में थाली में मौजूद उतने ही खाने की कीमत एक व्यक्ति के लिए 45 रुपए प्रतिदिन तक पहुंच गई है. 

इसी तरह पांच लोगों के परिवार के लिए साल 2015 में एक वक्त की शाकाहारी थाली की मासिक लागत लगभग 4,700 रुपये थी. जो आज बढ़कर लगभग 6,700 रुपये तक पहुंच गई है. यह कीमत बिना दही, चाय, फल वाले साधारण खाने की है. इन आंकड़ों के मुताबिक, भारत में एक साधारण वेज थाली की कीमत साल 2015 से 2022 के बीच लगभग 42% तक बढ़ चुकी है.

पढ़ें- कौन है खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू, क्या है SFJ का रोल, जिसके खिलाफ इंटरपोल से रेड नोटिस चाहता है भारत?

बढ़ती कीमतों से होती है थाली में कटौती

जब खाद्य पदार्थों की कीमत बढ़ती है, तो गरीब लोग अपने द्वारा खाए जाने वाले भोजन की मात्रा में कटौती कर देते हैं. इससे न केवल जनसंख्या की पोषण स्थिति प्रभावित हो सकती है, बल्कि ये हालात अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी देश के आर्थिक और व्यापार विकास को भी प्रभावित करते हैं.

भारत में ज़्यादातर घरों में एक ही व्यक्ति कमाने वाला होता है. यदि पांच सदस्यों के परिवार का केवल एक सदस्य महीने में सभी दिन कमाता है तो साधारण खाने की आवश्यकताओं के लिए उसे 2017 में (एक डेली वेजेस वर्कर की कमाई के हिसाब से) उसे अपनी कमाई का 28 प्रतिशत तक सिर्फ खाने और बनाने में खर्च करना पड़ता था. जो आज के समय में 2022 में 45% तक पहुंच गया है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि महंगाई में थाली पर होने वाला खर्च लगभग दोगुना हो चुका है.

RBI भी मानता है बढ़ी हुई महंगाई

भारतीय रिजर्व बैंक ने अगस्त 2022 में हुई MPC मीटिंग में खाद्य कीमतों के सर्वोच्च स्तर पर होने की बात स्वीकारी थी. आंकड़े बताते हैं कि पिछले दस साल में महंगाई के कारण मांस और मछली (206.4%), तेल (192.4%), मसाले (193.6%), सब्जियां (186.6%) और फल (172.9%) तक महंगे हो चुके हैं. Comparative Data for Consumer Food Price Index के मुताबिक, खाने में इस्तेमाल लाए जाने वाले सभी सामान 70% तक महंगे हो चुके हैं. वहीं, इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट की मानें तो आज के समय में एक परिवार को अपनी कमाई का लगभग 45% खाने पर खर्च करना पड़ता है. वो भी साधारण थाली के लिए.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Latest news What is Thalinomics and how changed its data in last 10 years how inflation increased
Short Title
जानिए क्या है 'THALINOMICS', एक दशक में क्या 70% महंगी हुई आपकी थाली
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
thalinomics
Date updated
Date published
Home Title

जानिए क्या है 'THALINOMICS', एक दशक में क्या 70% महंगी हुई आपकी थाली