डीएनए हिंदी: Joshimath News- जोशीमठ शहर में भूधंसाव (Joshimath Landslide) रोजाना तेज हो रहा है. पूरे शहर में मकानों और ऐतिहासिक स्थलों में बड़ी-बड़ी दरारें आने के बाद केंद्र से लेकर राज्य तक का अमला एक्टिव हो चुका है. अब सामने आ रहा है कि जिस भूधंसाव से आज इस पौरोणिक शहर के निवासी जूझ रहे हैं, उसकी चेतावनी एक या दो साल नहीं बल्कि 47 साल पहले ही तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर महेश चंद मिश्रा की अध्यक्षता वाली कमेटी ने दे दी थी. साल 1976 में मिश्रा कमेटी ने वही उपाय सुझाए थे, जिन पर अब राज्य सरकार ने तेजी से काम करने की घोषणा की है. लेकिन क्या अब ये उपाय सफल साबित होंगे? ये सवाल उस ताजा स्टडी के बाद उठ रहा है, जिसमें बताया गया है कि जोशीमठ शहर और उसके आसपास का एरिया हर साल तेजी से नीचे की तरफ धंस (Joshimath Sinking) रहा है. स्टडी के मुताबिक, यह एरिया हर साल 2.5 इंच जमीन के अंदर समा रहा है.
#WATCH | Joshimath, Uttarakhand: People break down as they leave their homes that have been marked unsafe by the district administration and vacate the areas affected by the Joshimath land subsidence. pic.twitter.com/hr7ZRHCyZK
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 10, 2023
पढ़ें- Joshimath Sinking: क्या पूरा जोशीमठ ढह रहा है? समझें कहां है खतरा और कौन है सेफ
रिमोट सेंसिंग से दिखा जोशीमठ के पहाड़ का बदलता हाल
जोशीमठ और उसके आसपास के इलाके के पहाड़ के अंदर का नजारा किस तेजी से बदल रहा है. इसका अंदाजा उन सैटेलाइट इमेज से लगता है, जो जुलाई 2020 से मार्च 2022 के दौरान क्लिक की गई हैं. इन तस्वीरों में पूरा एरिया धीरे-धीरे अंदर धंसता दिखाई दे रहा है. दो साल की यह स्टडी देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (Indian Institute of Remote Sensing) ने की है. इस स्टडी से सामने आया है कि जोशीमठ और उसके आसपास का एरिया हर साल 6.5 सेंटीमीटर या 2.5 इंच तक अंदर धंस रहा है. इस स्टडी में साफ दिख रहा है कि समस्या केवल जोशीमठ शहर तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह पूरी घाटी के पहाड़ के अंदर फैल चुकी है.
Surface deformation of #Joshimath, observed through Satellite based Radar Interferometry by IIRS Dehradun. The results show a significant subsidence rate in and around Joshimath. #JoshimathIsSinking pic.twitter.com/KSMF9bbWZD
— Harsh Vats (@HarshVatsa7) January 10, 2023
भूगर्भ में चल रही हैं संवेदनशील गतिविधियां
IIRS की इस स्टडी के दौरान क्लिक की गई सैटेलाइट सेंसिंग इमेज में जमीन के अंदर की टेक्टोनिक एक्टिविटीज भी रिकॉर्ड की गई हैं. इनसे साफ सामने आ रहा है कि जोशीमठ के भूगर्भ में बेहद संवेदनशील गतिविधियां चल रही हैं.
पढ़ें- अगर ढह गया दिल्ली से बड़ा जोशीमठ तो होगा कितना नुकसान?
ऐसे में उठ रहा है ये सवाल
राज्य सरकार ने जोशीमठ में धंसाव रोकने के लिए 4 वार्ड के सभी भवन खाली कराने का निर्णय लिया है. जानकारी के मुताबिक, कम से कम 678 भवन खाली कराने की तैयारी है. इनमें 87 खाली कराए जा चुके हैं. कुछ भवनों को तोड़ने की भी तैयारी है. जोशीमठ में सीवर सिस्टम भी बनाने की योजना है. अभी तक सामने आ रही चर्चा के हिसाब से सारे उपाय केवल जोशीमठ को केंद्र में रखकर बन रहे हैं, लेकिन IIRS की स्टडी में धंसाव पूरी घाटी में होने का इशारा किया गया है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या जोशीमठ में किए उपायों के बावजूद धंसाव खत्म हो पाएगा? क्या इससे घाटी के बाकी हिस्से में भी असर होगा?
अगर एयर इंडिया और सूर्य कुमार यादव विमर्श से फुर्सत मिल गयी हो तो जानिए की भारत का एक पूरा शहर डूब रहा है। ऐसा वैसा शहर नहीं। शंकराचार्य और बद्रीनाथ तक पहुंचने का रास्ता।#JoshimathIsSinking pic.twitter.com/5LLGKKT9hJ
— Animesh Mukharjee / अनिमेष मुखर्जी (@animeshmukharje) January 8, 2023
पढ़ें- जोशीमठ के बाद अब चमोली में भी टूट रहीं घरों की दीवारें, वीडियो देख खड़े हो जाएंगे रोंगटे
स्थानीय लोगों के आरोप देखते हुए यह सवाल बेहद अहम
यह सवाल स्थानीय लोगों के उस आरोप को देखते हुए बेहद अहम है, जिनमें जोशीमठ के धंसाव के लिए NTPC (National Thermal Power Corporation) की तपोवन-विष्णुगाड़ 520 मेगावाट जल विद्युत परियोजना (Tapovan project) की टनल को कारण बताया जा रहा है. लोगों का आरोप है कि इस टनल से प्राकृतिक जलस्रोत को जमीन के अंदर नुकसान हुआ है, जिससे पूरा पहाड़ धंसने लगा है. हालांकि अब तक NTPC और राज्य सरकार, दोनों ही इस आरोप को सही नहीं मान रहे हैं. लेकिन भूधंसाव की दरारों के अंदर से निकल रहे कीचड़युक्त पानी का जवाब अब तक नहीं मिला है. इसलिए अब राज्य सरकार ने इस पानी का कारण जानने के लिए भी एक्सपर्ट्स की मदद लेने का निर्णय लिया है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत सिन्हा ने इसके लिए रूड़की के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (National Instituite Of Hydrology) के वैज्ञानिकों से जांच कराने की बात कही है.
In 1976, experts warned to stop developmental works in ecological fragile region of Joshimath, Uttarakhand. Today Joshimath is sinking. And thousands of people are now become homeless.
— Licypriya Kangujam (@LicypriyaK) January 7, 2023
When humans will stop ecological destruction ? You will pay the price to your children. pic.twitter.com/JfTjMa47GH
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
Joshimath Sinking: हर साल 2.5 इंच धंस रहा है जोशीमठ शहर, क्या सरकार के उपाय बचा पाएंगे जिंदगियां