इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भले ही ईंट का जवाब पत्थर से देने वाले एटीट्यूड के लिए जाने जाते हों. मगर ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि वो बेदाग़ हैं. तमाम ऐसी चीजें हैं जो उनके लिए तनाव की वजह हैं. भ्रष्टाचार के आरोप भी इन्हीं में से एक हैं. माना जा रहा है कि नेतन्याहू लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार के मुकदमे में पहली बार अदालत के सामने पेश होंगे. बताते चलें कि इजरायली प्रधानमंत्री पर रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाया गया है.
नेतन्याहू के संबंध में जजों ने फैसला सुनते हुए कहा है कि गाजा में चल रहे युद्ध और पड़ोसी सीरिया सहित मध्य पूर्व में नए खतरों के बावजूद उन्हें सप्ताह में तीन बार गवाही देनी होगी.
ध्यान रहे कि नेतन्याहू पर 2019 में अपने करोड़पति मित्रों से उपहार लेने और अनुकूल कवरेज के बदले मीडिया दिग्गजों के लिए कथित तौर पर विनियामक एहसान मांगने से जुड़े तीन मामलों में अभियोग लगाया गया था.
अपनी सफाई में नेतन्याहू ने सभी आरोपों को ख़ारिज किया है और अपने को निर्दोष बताया है. इजरायली पीएम के अनुसार उन्होंने ऐसा कोई भी काम नहीं किया जिसे गलत की संज्ञा दी जाए.अपनी अदालती तारीख से पहले नेतन्याहू ने अपने खिलाफ जांच को एक विच हंट बताया है.
अपने ऊपर लगे आरोपों पर तफ्सील से बात करते हुए इजरायल के पीएम ने कहा है कि, इजरायल में लोकतंत्र के लिए असली खतरा जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों से नहीं, बल्कि कानून प्रवर्तन अधिकारियों में से कुछ लोगों से है, जो मतदाताओं की पसंद को स्वीकार करने से इनकार करते हैं और किसी भी लोकतंत्र में अस्वीकार्य उग्र राजनीतिक जांच के साथ तख्तापलट करने की कोशिश कर रहे हैं.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेतन्याहू ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने अपनी कहानी बताने के लिए आठ साल इंतजार किया और जांच के दौरान गवाहों के साथ जिस तरह से व्यवहार किया गया, उस पर नाराजगी जताई.
माना जाता है कि युद्ध से पहले, नेतन्याहू की परेशानियों ने इजरायलियों को बुरी तरह विभाजित कर दिया था और पांच दौर के चुनावों के माध्यम से इजरायल की राजनीति को हिलाकर रख दिया था. वहीं कहा ये भी जा रहा है कि पिछले साल न्यायपालिका की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए उनकी सरकार के प्रयास ने देश को और अधिक ध्रुवीकृत कर दिया.
बहरहाल, जो आरोप नेतन्याहू पर लगे हैं, वो सही पाए जाते हैं. या फिर बेगुनाह साबित होकर नेतन्याहू इजरायल की जनता के सामने आते हैं इसका फैसला तो वक़्त करेगा.
लेकिन जो वर्तमान है भले ही उसमें नेतन्याहू फिलिस्तीन, लेबनान और हिज़बुल्लाह पर अपनी जीत का जश्न मना रहे हों लेकिन इजरायल की जनता अभी भी उन्हें लेकर पशोपेश में हैं. लोग सवाल कर रहे हैं कि नेतन्याहू जंग की आड़ में कुछ ऐसा तो नहीं कर रहे जिसका डायरेक्ट फायदा उन्हें मिल रहा है.
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Benjamin Netanyahu की असली चुनौती फिलिस्तीन-हिजबुल्लाह नहीं, भ्रष्टाचार का केस है!