शायद ही कोई दिन बीतता हो, जब इजरायल हमास युद्ध और इसकी त्रासदी को लेकर सवाल न होते हों. ध्यान रहे इजरायल पर लगातार ये आरोप लग रहे हैं कि पीएम बेंजामिन नेतन्याहू आंतरिक सुरक्षा का हवाला देकर गाजा पट्टी में नरसंहार को अंजाम दे रहे हैं.  वहीं इन आरोपों पर हमेशा ही ये कहा गया है कि अपनी और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए वो कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है. इसी क्रम में आयरलैंड, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) से नरसंहार की अपनी परिभाषा को व्यापक बनाने के लिए कहेगा. अपनी बातों को वजन देने के लिए आयरलैंड का दावा ये होगा कि इजरायल ने गाजा में लोगों को 'सामूहिक दंड' दिया है.

उप प्रधान मंत्री माइकल मार्टिन ने कहा कि इस महीने के अंत में हस्तक्षेप किया जाएगा, और इसे दक्षिण अफ्रीका द्वारा संयुक्त राष्ट्र के नरसंहार सम्मेलन के तहत लाए गए मामले से जोड़ा जाएगा. मार्टिन ने कहा कि आयरिश सरकार 'चिंतित' है कि 'नरसंहार की संकीर्ण व्याख्या' 'दंड से मुक्ति की संस्कृति' को जन्म देती है जिसमें नागरिकों की सुरक्षा कम से कम होती है. 

मार्टिन ने यह भी कहा कि डबलिन प्रशासन का 'सम्मेलन के बारे में दृष्टिकोण व्यापक है' और 'नागरिक जीवन की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है'.

मार्टिन, जो आयरलैंड के विदेश मंत्री भी हैं, ने दावा किया कि 'गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों के इरादे और प्रभाव के माध्यम से फिलिस्तीनी लोगों को सामूहिक रूप से दंडित किया गया है'. उन्होंने कहा कि लगभग 44,000 लोग मारे गए हैं और 'लाखों नागरिक' विस्थापित हुए हैं.

मार्टिन ने आगे ये भी कहा है कि,'दक्षिण अफ्रीका के मामले में कानूनी रूप से हस्तक्षेप करके, आयरलैंड आईसीजे से यह पूछेगा कि वह किसी राज्य द्वारा नरसंहार के आयोग की व्याख्या को व्यापक बनाए. ज्ञात हो कि डबलिन सरकार ने भी इसी सम्मेलन के तहत म्यांमार के खिलाफ गाम्बिया के मामले में हस्तक्षेप को मंजूरी दी है.

मार्टिन ने कहा है कि, 'दोनों मामलों में हस्तक्षेप करना नरसंहार सम्मेलन की व्याख्या और अनुप्रयोग के लिए आयरलैंड के दृष्टिकोण की स्थिरता को दर्शाता है.' सम्मेलन के तहत, नरसंहार से तात्पर्य 'किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट करने के इरादे से' किए गए कार्यों से है.

इसमें समूह के सदस्यों की हत्या करना, गंभीर शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुंचाना और ऐसी स्थितियां पैदा करना शामिल हो सकता है जो उसके भौतिक विनाश का कारण बनें. बताते चलें कि मई में,  इजरायल के डिप्टी अटॉर्नी जनरल गिलाद नोम ने 15 अंतरराष्ट्रीय न्यायाधीशों के एक पैनल को बताया कि नरसंहार के दक्षिण अफ्रीका के आरोप 'तथ्यों और परिस्थितियों से पूरी तरह अलग हैं.'

नोम ने कहा है कि, 'सशस्त्र संघर्ष नरसंहार का पर्याय नहीं है.' उन्होंने कहा कि यह आरोप 'नरसंहार के जघन्य आरोप का मज़ाक उड़ाता है'. इजरायल ने अक्सर कहा है कि जब वह हमास के लड़ाकों को निशाना बनाने वाला होता है तो वह नागरिकों को चेतावनी देता है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी इजरायल पर गाजा में हमास के खिलाफ़ युद्ध के दौरान फ़िलिस्तीनियों के खिलाफ़ नरसंहार करने का आरोप लगाया है. मानवाधिकार समूह ने दावा किया कि इज़रायल ने जानबूझ कर घातक हमले करके, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नष्ट करके और भोजन, दवा और अन्य सहायता की डिलीवरी को रोककर फ़िलिस्तीनियों को नष्ट करने की कोशिश की.

गौरतलब है कि इजरायल के विदेश मंत्रालय ने एमनेस्टी को एक 'घृणित और कट्टरपंथी संगठन' बताया, जिसने एक 'मनगढ़ंत रिपोर्ट' तैयार की थी जो 'पूरी तरह से झूठी और झूठ पर आधारित थी'.  एमनेस्टी आयरलैंड के कार्यकारी निदेशक स्टीफन बोवेन ने कहा कि आयरिश सरकार के हस्तक्षेप ने 'आशा की एक किरण' पेश की है.

उन्होंने आगे कहा, 'आयरलैंड जैसे लोगों ने युद्ध विराम का आह्वान किया है, उन्हें नरसंहार को समाप्त करने के लिए इस साझा मंच को बनाने के लिए अन्य समान विचारधारा वाले राज्यों के साथ जुड़ना चाहिए. साथ ही यह भी कहा गया कि स्पष्ट रूप से यह नरसंहार है. इसे रोकना होगा.

बहरहाल, सुरक्षा का हवाला देकर इजरायल जो कर रहा है वो रुकता है या नहीं? इस सवाल का जवाब वक़्त देगा लेकिन जो वर्तमान है और गाजा में नरसंहार पर जो इजरायल का रवैया है उसे देखकर इतना तो साफ़ है कि दुनिया चाहे कुछ कह ले उसे फ़र्क़ नहीं पड़ता. वो वही करेगा जो उसे अपनी सुरक्षा के लिहाज से सही लगता है. 

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Israel Hawas War Irish government asked ICJ to broaden definition of genocide over collective punishment in Gaza
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Gaza में नरसंहार देख Ireland हुआ विचलित, ICJ से की अपने में अनूठी मांग
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इजरायल जिस तरह गाज़ा में नरसंहार को अंजाम दे रहा, उसपर आयरलैंड ने चिंता जाहिर की है
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Gaza में नरसंहार देख Ireland हुआ विचलित, ICJ से की ऐसी मांग जिसके बाद शुरू हुई डिबेट 
 

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