युद्ध और उससे जुड़ी विभीषिका पर लंबे लंबे व्याख्यानों के जरिये घंटों बातें हो सकती हैं. सेमिनार आयोजित कर चिंता जाहिर की जा सकती है मगर बावजूद इसके कोई शख्स युद्ध की त्रासदी को लेकर सवाल कर सकता है. ऐसे लोगों को एक बार फिलिस्तीन का रुख कर गाजा पट्टी का अवलोकन करना चाहिए जिसे लेकर जो दावे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने किये हैं वो दिल दहला देने वाले हैं.  गाजा को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि यहां चल रहे युद्ध में लगभग 70% मौतें महिलाओं और बच्चों की हुई हैं, और ये पुष्टि औजर किसी ने नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र ने की है.

संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायल-हमास संघर्ष के पहले 11 महीनों में हुई हत्याओं का विश्लेषण किया है और 8,119 पीड़ितों की पुष्टि करने में कामयाब रहा है, जिनमें 2,036 महिलाएं और 3,588 बच्चे शामिल हैं. ध्यान रहे कि 8,119 की संख्या हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 13 महीने तक चले युद्ध के दौरान बताई गई 43,000 मौतों से काफी कम है, हालांकि संयुक्त राष्ट्र इन संख्याओं को विश्वसनीय मानता है.

7 अक्टूबर 2023 और 2 सितंबर 2024 के बीच वेरिफाइड मौतों में से लगभग आधे पीड़ित बच्चे (44%) थे जबकि महिलाओं की संख्या 26% थी. शायद आपको ये जानकार हैरत हो कि गाजा में सबसे ज़्यादा मौतें पांच से नौ साल की उम्र के बच्चों की हुईं, उसके बाद 10-14 साल की उम्र के बच्चों की, और फिर चार साल तक की उम्र के बच्चों की.

सबसे कम उम्र का पीड़ित जिसकी मौत की पुष्टि संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई, वह एक दिन का बच्चा था, जबकि सबसे ज़्यादा उम्र की 97 वर्षीय महिला थी. 88% मामलों में एक ही हमले में पांच या उससे अधिक लोग मारे गए हैं.  इस तरह का एक्शन यह दर्शाता है कि हथियारों का इस्तेमाल बड़े क्षेत्र में किया गया.

युद्ध क्षेत्र से कुछ ऐसी भी रिपोर्ट्स आई हैं जिनपर यदि यकीन किया जाए तो कुछ हत्याएं फिलिस्तीनी सशस्त्र समूहों द्वारा गलत तरीके से दागे गई मिसाइलों का परिणाम हो सकती हैं.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट फिलिस्तीनी दावों के साथ सत्य साबित होती है कि युद्ध में मारे गए लोगों में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, और यह इजरायल पर 'नागरिकों की मृत्यु और युद्ध के साधनों और तरीकों के प्रभाव के प्रति स्पष्ट उदासीनता' का आरोप लगाती है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने अभी हाल ही में दिए एक बयान में कहा है कि, 'नागरिकों की हत्या और चोट का यह अभूतपूर्व स्तर अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के मौलिक सिद्धांतों का पालन करने में विफलता का प्रत्यक्ष परिणाम है.'

इजराइल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने जवाब में कहा कि यह 'हमलों से पहले गैर-लड़ाकों, खासकर महिलाओं और बच्चों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए काम करता है'.

आगे अपनी सफाई देते हुए IDF ने यह भी कहा है कि हर सैन्य कार्रवाई भेदभाव और आनुपातिकता के सिद्धांतों के अनुसार की जाती है, और नागरिकों को होने वाले नुकसान की संभावना का सावधानीपूर्वक आकलन करने से पहले की जाती है.

वहीं यह भी कहा गया है कि आईडीएफ अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्वों का पालन करने और सशस्त्र संघर्ष के कानूनों के तहत काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.

इज़रायली सेना ने पहले कहा था कि हर लड़ाके के लिए लगभग एक नागरिक मारा गया है. दिलचस्प यह कि इसके लिए इजरायल ने हमास को यह कहते हुए दोषी ठहराया है कि फ़िलिस्तीनी आतंकवादी समूह नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करता है.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट, जो मोटे तौर पर 1 नवंबर 2023 और 30 अप्रैल 2024 के बीच की अवधि को कवर करती है, ने कहा कि 'ज़्यादातर मामलों में, आईडीएफ ने अपने आरोपों [मानव ढाल के उपयोग के] का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए हैं, और ओएचसीएचआर उन्हें अलग से सत्यापित करने में सक्षम नहीं है'.

अंत में हम बस ये कहते हुए अपनी बातों को विराम देंगे कि गाज़ा की स्थिति बहुत चिंताजनक है.  भले ही आम लोग जिनमें ज्यादातर औरतें और बच्चे हैं, लगातार मारे जा रहे हैं लेकिन हमास को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

जिस तरह इतनी तबाही होने के बावजूद हमास झुकने को तैयार नहीं है, खुद इस बात की पुष्टि हो जाती है कि आने वाला और भयावह है.  सिर्फ हमास की जिद के चलते हम ऐसी तमाम तस्वीरें देखेंगे जो विचलित करने वाली होंगी. 

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Israel Hamas War women and children killed heavily in war says UN data [presented is horrifying
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Gaza में Israel के हाथों मारे गए लोगों को लेकर UN के आंकड़े चौंकाने वाले हैं! 
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गाजा में लगातार औरतों और बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है
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Gaza में Israel के हाथों मारे गए लोगों को लेकर UN के आंकड़े चौंकाने वाले हैं! 

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