बीते कुछ वक़्त से अमेरिका द्वारा बेरहमी के साथ भारतीयों को डिपोर्ट करना चर्चा का विषय है. एक ऐसे वक़्त में जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को अपना अच्छा दोस्त बताते हों, विपक्ष विशेषकर कांग्रेस लगातार यही सवाल कर रही है कि आखिर यह कैसी दोस्ती है? वहीं मामले के तहत जिस तरह के रिएक्शंस सोशल मीडिया पर आए हैं. उनमें भी यूजर्स ने इसी सवाल को उठाया है कि क्या यही दोस्ती का तकाजा है?सरकार लगातार इन सवालों/ आरोपों का जवाब दे रही है. और शायद यही वो कारण है जिसने विदेश मंत्रालय को संसद में कुछ आंकड़े पेश करने के लिए मजबूर किया.
MEA द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने 6,000 से अधिक भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया गया. जबकि बाइडेन के कार्यकाल के दौरान केवल 3,000 को वापस भेजा गया.
अपने दूसरे कार्यकाल में, ट्रंप पहले ही 388 भारतीयों को निर्वासित कर चुके हैं और 295 और जल्द ही अमेरिका से वापस लौटेंगे. ध्यान रहे अमेरिका से भारतीयों की वापसी एक मुद्दा जिसने पिछले महीने न केवल संसद को हिलाकर रखा बल्कि इस मुद्दे को लेकर राजनीति भी खूब हुई.
मामले के मद्देनजर जो डेटा MEA द्वारा साझा किया गया है वो चौंकाने वाला है. MEA के इस डेटा पर नजर डालें तो मिलता है कि 2017-2021 के बीच, 6,135 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित किया गया, जिसमें सबसे ज्यादा घर वापसी 2019 में हुई. जिसमें 2,042 लोगों को अमेरिका ने इंडिया डिपोर्ट किया.
जबकि 2017 में 1,024 भारतीयों को निर्वासित किया गया था. 2018 में 1,180 और 2020 में 1,889 को वापस भेजा गया था. जिक्र अगर बाइडेन के कार्यकाल (2021-2025) का हो तो इसमें, भारतीयों का निर्वासन ट्रंप शासन के मुकाबले लगभग आधा रहा.
डेटा से पता चलता है कि बाइडेन के कार्यकाल के चार वर्षों में 3,652 भारतीयों को वापस भेजा गया, जिसमें सबसे अधिक 2024 में 1,368 लोग भारत आए थे. गौरतलब है कि इस मुद्दे पर संसद में विरोध प्रदर्शन हुए, विपक्ष ने निर्वासित लोगों को वापस भेजते समय हथकड़ी लगाने और उनके पैरों में जंजीर बांधने के तरीके पर सवाल उठाया था.
भारतीयों के डिपोर्ट के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, 'सरकार ने 5 फरवरी को निर्वासन उड़ान में निर्वासित लोगों के साथ किए गए व्यवहार, खासकर महिलाओं पर बेड़ियों के इस्तेमाल के संबंध में अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष अपनी चिंताओं को दृढ़ता से दर्ज कराया है.'
मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका के समक्ष इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद, 15 और 16 फरवरी को भारत में उतरने वाली निर्वासन उड़ानों में किसी भी महिला या बच्चे को नहीं रोका गया. विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि पिछले महीने अमेरिका द्वारा निर्वासित भारतीयों में से 40% पंजाब और 34% हरियाणा के थे, जिससे अमेरिकी सैन्य उड़ानों के अमृतसर में उतरने का कारण स्पष्ट हो गया.
अपने लिखित जवाब में विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने हिरासत में लिए गए लोगों को उड़ान के दौरान सिर पर से कोई भी धार्मिक आवरण हटाने का निर्देश नहीं दिया था.
बताते चलें कि ट्रंप प्रशासन ने अवैध अप्रवासियों के खिलाफ़ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के कार्यकाल के पहले महीने में अमेरिका ने 37,660 प्रवासियों को निर्वासित किया. ध्यान रहे अपने दूसरे कार्यकाल से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे लोगों को एक बड़ा मुद्दा बनाया था.
तमाम रैलियों और जनसभाओं में ट्रंप ने इस बात को दोहराया था कि कैसे अवैध प्रवासी आम अमेरिकन की नौकरियां छीन रहे हैं. वहीं ट्रंप ने ये भी कहा था कि अमेरिका में जो अपराध बढ़ रहा है उसकी भी वजह अवैध तरीके से अमेरिका में दाखिल हुए लोग हैं.
बहरहाल जिस तरह अमेरिका, भारत के लोगों को डिपोर्ट कर रहा है इसका दूरगामी परिणाम क्या होगा? इसका जवाब तो आने वाला वक़्त देगा. लेकिन जो वर्तमान है और अवैध प्रवासियों पर जो सख्त रुख अमेरिका का है. उसे देखते हुए इतना तो साफ़ हो गया है कि अपनी इन हरकतों से अमेरिका, भारत से सिर्फ और सिर्फ अपने रिश्ते ख़राब कर रहा है.
भारत क्योंकि एक उभरती हुई शक्ति है इसलिए अमेरिका को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि भारत के लिहाज से वो जो भी फैसले ले सोच समझकर और शांति के साथ ले. कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में उन्हें इन फैसलों की बड़ी और भारी कीमत चुकानी पड़े.
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भारतीयों के निर्वासन पर MEA का डेटा उड़ा देगा होश, Biden से कहीं ज्यादा बड़ी गलती कर बैठे Trump!