हरियाणा विधानसभा चुनावों में भले ही कुछ समय शेष हो, लेकिन यहां ऐसा बहुत कुछ हो रहा है जिसने सियासी सरगर्मियां तेज कर दी हैं. इन बातों को चुनावों से कुछ दिन पहले, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह के रोहतक की जेल से बाहर आने से समझिये. चुनाव पूर्व गुरमीत राम रहीम सिंह को 20 दिन की पैरोल मिली है. ध्यान रहे कि डेरा प्रमुख को पिछले सात सालों में 15 बार पैरोल मिली है. जिसके चलते वह 259 दिन जेल से बाहर रह चुका है.

राम रहीम के बारे में मजेदार तथ्य ये भी है कि कभी उसे विधानसभा या लोकसभा में पैरोल मिल जाती है. तो कभी वो पंचायत चुनावों से पहले बाहर आ जाता है.  

राम रहीम के बाहर आने पर भाजपा ने तर्क देते हुए कहा है कि राम रहीम की रिहाई राज्य के जेल मैनुअल प्रावधानों के अनुसार हुई है. बताते चलें कि डेरा प्रमुख के हरियाणा और पंजाब में काफी समर्थक हैं और साथ ही वह लंबे समय से राजनीति में सक्रिय भी है.

ज्ञात हो कि हत्या और बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद राम रहीम 20 साल की सजा काट रहा है. उसे रोहतक की सुनारिया जेल में रखा गया है.

राम रहीम राजनीतिक दलों के लिए क्यों जरूरी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसका और उसके संगठन का हरियाणा के छह जिलों (फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, करनाल और हिसार) में काफी बड़ा आधार है, जो लगभग 26 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करता है. फतेहाबाद में डेरा समर्थकों की सबसे ज्यादा संख्या है.

माना जाता है कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की संख्या 1.25 करोड़ है और डेरा की 38 शाखाओं में से 21 सिर्फ हरियाणा में मौजूद हैं. धार्मिक संप्रदाय होने के बावजूद, डेरा के अपने राजनीतिक हित हैं. साथ ही अभी हाल ही में इसने एक पॉलिटिकल विंग की स्थापना की है जो गुरमीत राम रहीम के निर्देशन में काम करती है. संप्रदाय ने पहले शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस का समर्थन किया है.

तमाम राजनीतिक विश्लेषक ऐसे हैं जिनका मानना है कि डेरा के अनुयायी इस बार हरियाणा चुनाव को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है. जिक्र हरियाणा में डेरा के असर का हुआ है तो पूर्व में भी कई मौके ऐसे आए हैं जब पंजाब और हरियाणा के बड़े और कद्दावर नेताओं को डेरा प्रमुख से मिलते और उसका आशीर्वाद लेते हुए देखा गया है. 

डेरा सच्चा सौदा का राजनीतिक प्रभाव

चूंकि हरियाणा की राजनीति में जाति भी एक ऐसा कारक है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इसलिए बताना जरूरी हो जाता है कि निचली जाति के अनुयायियों जिनमें मजहबी सिखों (धर्मांतरित सिखों)  में तो डेरा सच्चा सौदा का राजनीतिक प्रभाव है ही.

साथ ही डेरे के पक्ष में कई उच्च जातियां भी हैं, जो किसी भी राजनीतिक दल या फिर राजनेता को फर्श से अर्श और अर्श से फर्श पर लाने की क्षमता रखती हैं. 

हरियाणा विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक विश्लेषकों का ये कहना है कि आम तौर पर हरियाणा में उच्च जाति के वोट कांग्रेस और भाजपा जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के बीच बंट जाते हैं. फिर भी, निचली जातियों के डेरा अनुयायी डेरा प्रमुख द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं.

इसलिए चाहे वो भाजपा हो या फिर कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों में से कोई भी डेरा अनुयायियों को नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठता. कांग्रेस और भाजपा दोनों के नेताओं ने चुनावों के दौरान डेरा का दौरा किया. बता दें कि गुरमीत राम रहीम के बेटे की शादी कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक हरमिंदर सिंह जस्सी के घर में हुई है.

गौरतलब है कि 2007 के पंजाब विधानसभा चुनावों में डेरा ने कांग्रेस को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी. 2014 में डेरा सच्चा सौदा ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा का समर्थन किया था. इसी तरह 2015 में डेरा ने नई दिल्ली चुनावों में भाजपा का खुलकर समर्थन किया था.

संप्रदाय ने 2015 के बिहार चुनावों में भी भाजपा का समर्थन किया था. एक अनुमान यह भी है कि बिहार में भाजपा के लिए  डेरा के 3,000 अनुयायियों ने प्रचार किया था.

गुरमीत राम रहीम की आजादी पर क्या कह रहे हैं विपक्ष और कांग्रेस

इस बीच, विपक्षी कांग्रेस, सिख संगठनों, शिरोमणि अकाली दल और पीड़ितों के परिवारों ने चुनाव आयोग से डेरा प्रमुख को दी गई पैरोल को रद्द करने का अनुरोध किया है और कहा है कि यह आदर्श आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है.

राम रहीम के पैरोल पर शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता और महासचिव डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा है कि, 'यह बेहद शर्मनाक है कि बलात्कार और हत्या के दोषी को बार-बार पैरोल दी जा रही है.

जेल में अपनी सजा पूरी कर चुके सिखों के परिवारों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.' वहीं एक बड़ी आबादी वो भी है जिसका ये मानना है कि डेरा प्रमुख चुनावों को प्रभावित कर पूरी चुनावी बिसात को पलट सकता है. 

बहरहाल, पैरोल पर बाहर आए गुरमीत राम रहीम भाजपा या कांग्रेस में से किसे फायदा पहुंचाता है इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन जिस तरह बलात्कार जैसे अपराध के दोषी बाबा को बार बार बाहर की हवा खाने को मिल रही है उससे इतना तो साफ़ है कि हरियाणा और पंजाब के अलावा देश की सियासत में भी बाबा का कद बहुत मजबूत है. 

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से. 

Url Title
Haryana Elections Dera Sacha Sauda chief Gurmeet Ram Rahim Singh granted 20 day parole effect on electins
Short Title
क्या Haryana Elections पर असर डालेगा Gurmeet Ram Rahim का पैरोल पर बाहर आना? 
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
पैरोल से बाहर आने के बाद गुरमीत राम रहीम फिर सुर्खियों में आ गया है
Caption

पैरोल से बाहर आने के बाद गुरमीत राम रहीम फिर सुर्खियों में आ गया है 

Date updated
Date published
Home Title

क्या Haryana Elections पर असर डालेगा Gurmeet Ram Rahim का पैरोल पर बाहर आना?

Word Count
913
Author Type
Author
SNIPS Summary