क्या युद्ध विराम के बाद गाजा को लेकर जारी चर्चाओं का दौर ख़त्म हो गया है? जवाब हमें तब न में मिलता है. जब हम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को सुनते हैं, जिसने पूरे मिडिल ईस्ट के साथ उन मुसलमानों के भी कान खड़े कर दिए हैं जो अपने को अमेरिका का नागरिक कहते हैं. दरअसल अमेरिकी चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप के लिए वोट करने के लिए अरब-अमेरिकियों को सफलतापूर्वक लॉबिंग करने वाले गठबंधन के अध्यक्ष ने गाजा पर वीकेंड में की गई टिप्पणियों के लिए अमेरिका के नए राष्ट्रपति की आलोचना की है. 

अरब-अमेरिकियों के लिए ट्रंप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. बिशारा बहबाह ने कहा, 'ट्रंप के लिए अरब-अमेरिकियों ने गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनियों को मिस्र और जॉर्डन में स्वेच्छा से या जबरन हटाने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सुझाव को दृढ़ता से खारिज कर दिया है.'

यह बयान एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय के साथ तनाव के शुरुआती संकेत को दर्शाता है जिसने नवंबर में राष्ट्रपति ट्रंप को जीत दिलाने में मदद की. बताया जाता है कि मिशिगन जैसे स्थानों में अरब-अमेरिकियों की एक महत्वपूर्ण संख्या ने ट्रंप को जीत दिलाने में मदद की.

डियरबॉर्न और हैमट्रैक जैसे शहरों में छोटे अंतर से जीत श्री ट्रंप की सफलता के लिए महत्वपूर्ण थी. रविवार देर रात जारी किए गए बयान में कहा गया है कि,'हमारा दृढ़ विश्वास है कि इजरायल-फिलिस्तीन समस्या का एकमात्र समाधान टू-स्टेट सलूशन है.

ट्रंप समर्थक अरब अमेरिकी गाजा में युद्ध विराम लागू करने के लिए राष्ट्रपति को धन्यवाद देते हैं. वहीं बायन में ये भी कहा गया है कि, 'हम उम्मीद करते हैं कि राष्ट्रपति और उनकी टीम गाजा के पुनर्निर्माण पर काम करेगी और ऐसी प्रक्रिया शुरू करेगी जो इजरायल के साथ शांति से रहने वाले एक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना में परिणत होगी.'

बता दें कि डॉ. बहबाह, जन्म से फिलिस्तीनी हैं और अब एक सफल अमेरिकी व्यवसायी हैं, उन्होंने अरब-अमेरिकियों को ट्रंप को चुनने के लिए राजी करने के उनके प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.  उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के लिए समर्थन बढ़ाने के लिए चुनाव अभियान के दौरान एक सफल 'ग्राउंड गेम' में प्रभावशाली लोगों की एक सेना को इकट्ठा किया.

ज्ञात ही कि अभी बीत दिन ही राष्ट्रपति ट्रंप ने सुझाव दिया कि गाजा को 'साफ़' किया जा सकता है और फिलिस्तीनियों को जॉर्डन या मिस्र ले जाया जा सकता है. ट्रंप ने जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला के साथ अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए कहा था कि, 'मैं चाहता हूं कि वह लोगों को ले जाए.'

गौरतलब है कि अमेरिका में अरब-अमेरिकी समुदायों ने ट्रंप को जिस हद तक वोट दिया, वह काफी हद तक बाइडेन प्रशासन द्वारा गाजा संघर्ष से निपटने का परिणाम था. गाजा में संघर्ष विराम को उनके निर्णय की प्रारंभिक पुष्टि के रूप में देखा गया था, लेकिन बीते दिन ट्रंप की टिप्पणियों ने इसे संदेह के घेरे में डाल दिया है.

माना जा रहा है कि बहुत सी नीतियों और निर्णयों की तरह, राष्ट्रपति ट्रंप का निर्णय भी लेन-देन के चश्मे से तय होता प्रतीत होता है. डॉ. बहबाह का मानना ​​है कि राष्ट्रपति ट्रंप मानते हैं कि क्षेत्रीय पुनर्संरेखण और शांति के लिए फिलिस्तीनी मुद्दे का समाधान दो-राज्य समाधान के साथ आवश्यक है, और ट्रंप मध्य पूर्व शांति में विरासत को परिभाषित करने वाली जीत देखते हैं.

बहरहाल अब जबकि ट्रंप ने गाजा के मद्देनजर एक बहुत बड़ी बात कह ही दी है तो देखना दिलचस्प रहेगा कि मुस्लिम मुल्कों का ट्रंप के इस बयान पर क्या नजरिया रहता है.

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Gaza Ceasefire Donald Trump comments on Gaza trigger tensions with his Arab American associates
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गाजा पर अपनी बातों से ट्रंप ने फिर नया विवाद खड़ा किया है! जानें क्या है मामला?
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ट्रंप के एक बयान के बाद गाजा को लेकर फिर चर्चा का दौर शुरू हो गया है
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गाजा पर अपनी बातों से ट्रंप ने फिर नया विवाद खड़ा किया है! जानें क्या है मामला 

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