डीएनए हिंदी: Gangetic Dolphin- डॉल्फिन का नाम सुनते ही दिल खुश हो जाता है और अब तो ये डॉल्फिन गंगा और यमुना में खूब उछल कूद करते दिखाई देने लगी है. लेकिन जितनी ये खुशी की बात है उतना ही इसके पीछे दर्द भी छिपा है. कुछ दिन पहले यमुना में कुछ मछुआरों की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें वो बड़ी सी डॉल्फिन को कंधे पर लादकर ले गए और पकाकर खा गए. इस वायरल तस्वीर ने हमारे सामने एक बार फिर वो कड़वा सच लाकर खड़ा कर दिया कि जानवर तो जीना चाहता है, लेकिन उसकी जान आखिर इंसान से बचाए कैसे. इस घटना का देशभर में लोगों ने पुरजोर विरोध किया. जिसका असर प्रशासन पर भी पड़ा और मामले में तुरंत कार्रवाई हुई. डॉल्फिन का मुद्दा गर्म है और इसी के चलते हम आपको बताने जा रहे हैं भारत की नदियों की इस रानी के बारे में कुछ जरूरी बातें जो आपका जानना बेहद जरूरी है.
इंडिया के लिए गुड न्यूज
बेहद शर्मीली माने जाने वाली यह मछली दुनियाभर में विलुप्त होती जा रही है. चीन की यांग्त्जे नदी की डॉल्फिन तो पूरी तरह विलुप्त हो चुकी है, लेकिन भारत में इसकी संख्या बढ़ने के संकेत मिले हैं. खासतौर पर गंगा नदी में इसकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे वैज्ञानिक उत्साहित हैं. इसी का नतीजा है कि दुनिया में महज 4,500 से 5,000 नदी (फ्रेश वॉटर डॉल्फिन) में डॉल्फिन में से 2,500 से ज्यादा अकेले भारत में हैं.
भारत में हैं तीन तरह की डॉल्फिन
भारत में लंबे समय से रिवर डॉल्फिन, घड़ियाल, कछुआ आदि जलीय जीवों के संरक्षण पर वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया (WWF-India) केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है. WWF के गंगा नदी संरक्षण से जुड़े कोऑर्डिनेटर संजीव कुमार के मुताबिक, भारत में तीन तरह की डॉल्फिन मिलती है. इनमें एक गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में मिलने वाली Platanista Gangetica नस्ल है, जबकि दूसरी सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों में मिलने वाली इंडस डॉल्फिन (सिंधु डॉल्फिन) है. इसके अलावा एक नस्ल और भी है, जो ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में मिलती है. इनमें सबसे बड़ी तादाद गंगा डॉल्फिन (Gangetic Dolphin) की ही है, क्योंकि गंगा में इनके संरक्षण पर ज्यादा काम हुआ है.
इन भारतीय नदियों में है रिवर डॉल्फिन
भारतीय नदियों में सबसे ज्यादा रिवर डॉल्फिन गंगा नदी (स्थानीय भाषा में सूसु कहते हैं) में हैं. इसके बाद ब्रह्मपुत्र नदी में भी इसकी सबसे ज्यादा मौजूदगी है. ब्यास और सिंधु घाटी की अन्य नदियों में सिंधु डॉल्फिन मिलती है, लेकिन उनमें इनकी संख्या भारत के बजाय पाकिस्तान में ज्यादा है. इसके अलावा यमुना, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, मेघना, गिर्वा, राप्ती, सरयू, कुलसी, सुभासिरी, हुगली आदि नदियों में भी डॉल्फिन कई इलाकों में खूब दिखती है. बिहार के भागलपुर जिले में गंगा नदी पर 50 किलोमीटर की विक्रमशिला डॉल्फिन सेंक्चुरी बनाई गई है. इस इलाके में गंगा डॉल्फिन की संख्या 150 से 200 के बीच आंकी गई है. भारत के अलावा गंगा डॉल्फिन नेपाल, बांग्लादेश और भूटान की नदियों में भी देखी गई है. गंगा नदी में उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर से नरौरा के बीच के इलाके को भी गंगा डॉल्फिन के हैबिटेट के तौर पर सबसे बढ़िया रामसर साइट माना गया है. इसे भी संरक्षित सेंक्चुरी घोषित कराने के प्रयास चल रहे हैं.
भारत में कितनी है डॉल्फिन की संख्या
राज्यसभा में दो साल पहले केंद्र सरकार ने नदियों में डॉल्फिन की संख्या को लेकर लिखित जवाब दिया था. इसमें असम की नदियों में 972, गंगा नदी में 1275 डॉल्फिन होने की जानकारी दी गई थी. हालांकि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सूंस आमतौर पर शर्मीला जीव होती है, जो उथले पानी में छिपकर रहती है और गहरे रंग के कारण आसानी से नहीं दिखती है. इस कारण इसकी संख्या और भी ज्यादा है. गंगा रिवर सिस्टम (गंगा और उसकी सहायक नदियां) में 2,500 से ज्यादा रिवर डॉल्फिन होने का अनुमान है. WWF की वेबसाइट के अनुसार, गंगा डॉल्फिन की संख्या करीब 1800 बची है.
घड़ियाल प्रोजेक्ट की निगरानी ने गंगा में बढ़ा दीं डॉल्फिन
WWF के सहयोग से गंगा नदी में बिजनौर से गढ़मुक्तेश्वर के बीच घड़ियाल प्रोजेक्ट चल रहा है. इस प्रोजेक्ट के कारण इस इलाके में निगरानी पहले से ज्यादा बढ़ी है. इसका असर यहां गंगा डॉल्फिन की संख्या पर भी हुआ है. इस इलाके में घड़ियाल प्रोजेक्ट के WWF कोऑर्डिनेटर संजीव कुमार के मुताबिक, बिजनौर से गढ़मुक्तेश्वर के बीच पहले के मुकाबले गंगा डॉल्फिन की संख्या खूब बढ़ी है.
इन इलाकों में आसानी से देख सकते हैं रिवर डॉल्फिन
भारत के सात राज्यों में रिवर डॉल्फिन आसानी से दिखती है. इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. गंगा नदी की बात करें तो बिजनौर से नरौरा तक, बदायूं में, प्रयागराज के आसपास के इलाकों में, भागलपुर की डॉल्फिन सेंक्चुरी में, पश्चिम बंगाल के साहिबगंज जिले में आसानी से देखा जा सकता है. लोअर यमुना यानी प्रयागराज के आसपास के जिलों की यमुना नदी में भी यह खूब दिखती है. चंबल वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी से 10 किलोमीटर आगे तक के इलाके में चंबल नदी में भी इसके कई हैबीटेट मिले हैं.
रिवर डॉल्फिन के बारे में कुछ फैक्ट्स
- गंगा डॉल्फिन देख नहीं सकती है, केवल ध्वनि तरंगों के सहारे तैरती है.
- फीमेल रिवर डॉल्फिन 2.70 मीटर लंबी, जबकि मेल 2.12 मीटर लंबा होता है.
- रिवर डॉल्फिन का वजन 150 से 175 किलोग्राम तक का होता है.
- इसका मुंह घड़ियाल की तरह लंबा और नुकीला होता है, जिसमें दांत होते हैं.
- इसे साल 2009 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय जलीय पशु घोषित किया था.
- पीएम मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को प्रोजेक्ट डॉल्फिन की घोषणा लाल किले से की थी.
- रिवर डॉल्फिन IUCN डेटा लिस्ट में संकटग्रस्त जीवों की श्रेणी में दर्ज है.
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कहीं हम खो न दें उसे जो है हमारी गंगा, यमुना की 'रानी' और भारत की शान