ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स ने रमजान के दौरान पहली बार इफ्तार पार्टी का आयोजन कर तमाम तरह के कयासों को जन्म दे दिया है. माना जा रहा है कि इस इफ्तार पार्टी का उद्देश्य उन मुस्लिम मुल्कों के करीब आना है जो फिलिस्तीन के मद्देनजर ब्रिटेन से नाराज थे. बता दें कि मंगलवार को ब्रिटेन की संसद में हुए कार्यक्रम में इमाम ने अरबी और अंग्रेजी दोनों में लोगों को संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर भी मौजूद थे, जिन्होंने कहा कि ब्रिटिश मुसलमानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर गाजा में चल रहे संघर्ष के कारण.

कार्यक्रम में बोलते हुए स्टार्मर ने कहा कि,'मैं जानता हूं कि गाजा में संघर्ष के दर्द और फिलिस्तीनियों की पीड़ा के साथ यूनाइटेड किंगडम में मुसलमानों के लिए यह बहुत कठिन समय रहा है.' प्रधानमंत्री ने मुस्लिम समुदाय के साथ एकजुटता व्यक्त की और ब्रिटिश समाज में उनके योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद दिया.

'द बिग इफ़्तार' नामक इस कार्यक्रम का आयोजन ब्रिटिश मुसलमानों पर सर्वदलीय संसदीय समूह द्वारा किया गया था और यह 4 मार्च, 2025 को हुआ था. परंपरागत रूप से, संसद में रमज़ान इफ़्तार स्पीकर हाउस में आयोजित किया जाता है, जो पिछले वर्षों से एक महत्वपूर्ण बदलाव है.

इस सभा के दौरान, स्टारमर ने एकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'ब्रिटिश मुसलमान ब्रिटेन में हर समुदाय में योगदान देते हैं, और इन योगदानों को पहचानना और उनका जश्न मनाना आवश्यक है, खासकर कठिनाई के समय में'. बताया जा रहा है कि ब्रिटिश पीएम ने साथी सांसदों और मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ मिलकर इफ्तार किया. 

पहली बार, विंडसर कैसल ने रविवार, 2 मार्च, 2025 को अपने स्टेट अपार्टमेंट में सार्वजनिक इफ्तार कार्यक्रम के लिए अपने दरवाजे खोले. सेंट जॉर्ज हॉल में 350 से अधिक मेहमान अपना उपवास तोड़ने के लिए एकत्र हुए, जिससे महल के 1,000 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि इस तरह का आयोजन किया गया.

विंडसर कैसल में खुले इफ्तार को सांस्कृतिक समावेशिता के एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में देखा गया, जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग ब्रिटेन के सबसे ऐतिहासिक शाही निवासों में से एक में रमजान की पवित्र परंपरा का पालन करने के लिए एक साथ आए.

लंदन में अवैध अप्रवास एक बड़ा संकट

लीड्स स्थित एज एनालिटिक्स द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने लंदन में अवैध अप्रवास के मुद्दे को उजागर किया है. 

अध्ययन के अनुसार, लंदन में रहने वाले अवैध अप्रवासियों की संख्या 3,90,355 से लेकर 5,85,533 तक है, जिसका औसत अनुमान 4,87,944 है. इससे पता चलता है कि लंदन के बारह निवासियों में से एक बिना कानूनी अनुमति के शहर में रह रहा है, जो प्रभावी नीति प्रतिक्रियाओं की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है.

रिपोर्ट का अनुमान है कि यूके में दस लाख से ज़्यादा अवैध प्रवासी रहते हैं, जिनमें से लगभग 60% लंदन में रहते हैं. इनमें से कई लोग शुरू में काम, अध्ययन या विजिट वीज़ा पर देश में आए और अपनी अनुमत अवधि से ज़्यादा समय तक वहां रहे.

सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा संबंधी चिंताएं 

अफ्रीका और मध्य पूर्व से यूरोप, विशेष रूप से ब्रिटेन में शरण लेने के लिए आए प्रवासियों की हालिया आमद ने संकट को जन्म दिया है.

माइग्रेशन वॉच यूके के अनुसार, शरणार्थियों और अनियमित प्रवासियों की बड़ी संख्या में आमद से आतंकवादी हमलों और सांप्रदायिक हिंसा की संभावना बढ़ सकती है.

ध्यान रहे कि 2002 से 2021 तक ब्रिटेन के आतंकवाद से संबंधित अपराधों में शामिल शीर्ष विदेशी नागरिक अल्जीरिया, इराक, पाकिस्तान, ईरान, अफगानिस्तान, तुर्की, सोमालिया, भारत और श्रीलंका से थे. अल्जीरिया को छोड़कर, ये सभी देश इंग्लिश चैनल को अवैध रूप से पार करने में लगे शीर्ष 20 राष्ट्रीयताओं में शामिल हैं.

बहरहाल जिक्र ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में इफ्तार पार्टी आयोजित करने का हुआ है. तो यहां ये बता देना जरूरी है कि फिलिस्तीन मुद्दे और गाजा में इजरायल द्वारा की गयी ज्यादतियों पर ब्रिटेन ने कोई ठोस बात नहीं की है, जिस के कारण तमाम मुस्लिम मुल्क ब्रिटेन से खफा थे.

ऐसे में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रोग्राम का आयोजन शायद इस उद्देश्य से किया गया हो कि बैकडोर से ब्रिटेन देश दुनिया के मुसलमानों के साथ है. 

इस बात में कोई शक नहीं है कि ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में इफ्तार पार्टी आयोजित करना कूटनीति के लिहाज से एक बड़ा फैसला है. जिसका फायदा ब्रिटेन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री को मिलता है या नहीं इसका फैसला तो वक़्त करेगा? लेकिन जिस तरह कीर अचानक मुस्लिम परस्त हुए हैं, उनका ये रुख अमेरिका, इजरायल, फ्रांस, स्वीडन जैसे देशों को शायद ही पसंद आया हो.   

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First time in history UK House of Commons hosts historic Iftar reasons might be gaza and palestine to impress muslim world
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यूके के House of Commons में 'इफ्तार पार्टी' मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा है!
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ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में आयोजित इफ्तार पार्टी में ब्रिटेन के पीएम
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यूके के House of Commons में 'इफ्तार पार्टी'... कहीं यह मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा तो नहीं?

 

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