डीएनए हिंदी: Bihar News- आज आपने गणतंत्र दिवस की परेड देखी होगी, लेकिन एक परेड इस वक्त बिहार की सियासत में भी चल रही है. जहां सियासी शतरंज की गोटियां तेज़ी के साथ मूव हो रही हैं. नीतीश कुमार कभी भी साथी बदल सकते हैं. आरजेडी और जेडीयू के बीच तलाक की संभावित तारीख भी तय हो चुकी है. सूत्रों के मुताबिक, 28 जनवरी को नीतीश कुमार महागठबंधन से हाथ छुड़ाकर NDA से Hand Shake कर लेंगे. बिहार में हो रहे सियासी घटनाक्रम के बीच आज नीतीश ने जलेबियां बांटी. जलेबी गोल गोल होती हैं. ठीक उसी तरह की गोल-गोल पारी नीतीश कुमार भी खेल रहे हैं. बोल कुछ नहीं रहे हैं, लेकिन समझ सबको आ रहा है. अगर नीतीश इस्तीफा देते है तो ये INDI गठबंधन के लिए बड़ा सेटबैक होगा. सवाल है कि आखिर नीतीश कुमार को एक बार फिर से पलटी मारने की क्यों सूझी और नीतीश कुमार को धोखेबाज बता चुकी बीजेपी को नीतीश कुमार दोबारा से बड़े अच्छे क्यों लगने लगे?
INDI गठबंधन की अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग
वैसे आपने एक कहावत सुनी होगी, अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग. इसका मतलब है कि सबका अलग मत, सबके अपने विचार. अब ये कहावत आज के समय मे INDI गठबंधन पर सही बैठती है. जिसमें कहने को तो कई पार्टियां है, लेकिन सुर सबके अलग-अलग है...जून 2023 में INDI गठबंधन बना था. तब इस गठबंधन के नेताओं ने बड़े-बड़े दावे किए थे. कहा था कि वो सब बीजेपी को हराने के लिए एक साथ आए हैं. सभी पार्टियां एक है, बीजेपी को हराना ही उनका मकसद है...ये सब बातें INDI गठबंधन के नेताओं ने ही कही थी, जिसमें ममता बनर्जी भी थीं और नीतीश कुमार भी. लेकिन अब INDI गठबंधन के बड़े चेहरे एकला चलो की राह पकड़ रहे हैं.
- पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटे हैं और ममता बनर्जी सभी 42 सीटों पर एकला चलो के साथ आगे बढ़ गई हैं.
- पंजाब में भगवंत मान ने कहा कि वो 13 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे. वो किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे.
अगर नीतीश कुमार बीजेपी के साथ जाते हैं तो INDI गठबंधन का एक और मजबूत पार्टनर गठबंधन से बाहर आ जाएगा और ये इस गठबंधन के लिए सबसे बड़ा झटका होगा.
सीट शेयरिंग पर नहीं बन पाई INDI गठबंधन में बात
गठबंधन का असली झगड़ा सीट शेयरिंग को लेकर है. INDI गठबंधन की गांठ भी सीट शेयरिंग के मुद्दे की वजह से ही ढीली पड़ती दिख रही है. इसमें सबसे खराब हाल कांग्रेस का है, क्योंकि कांग्रेस ही इस गठबंधन का नेतृत्व कर रही है. कांग्रेस को कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों से सीटों पर समझौते करने हैं. लेकिन समझौता होना तो दूर अब गठबंधन की पार्टियां EXIT कर रही हैं. जो सियासी गणित अभी बनता दिख रहा है उससे तय है कि INDI गठबंधन में राज्य की सबसे ताकतवर पार्टियां ही तय करेंगी कि वहां चुनाव सीट शेयरिंग के साथ लड़ा जाएगा या नहीं. ऐसा होना स्वाभाविक भी है. जिस तरह बंगाल में TMC सीट शेयरिंग के नाम पर कांग्रेस का दबाव बर्दाश्त नहीं कर रही है, ठीक वैसे ही मध्यप्रदेश या राजस्थान में कांग्रेस, TMC की डिमांड किसी भी कीमत पर पूरी नहीं करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो...
- बिहार में आरजेडी-जेडीयू को 17-17, कांग्रेस को 4 सीटें और लेफ्ट को 2 सीटें देने का फॉर्मूला बना था, लेकिन कांग्रेस इस पर राजी नहीं हुई.
- दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को 3 सीटें ऑफर की थीं, जिसके बदले गोवा में 1, गुजरात में 1 और हरियाणा में आप ने 3 सीटें मांगी थीं. इस पर भी कांग्रेस सहमत नहीं हुई.
- पंजाब की कुल 13 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस 8 सीट अपने लिए चाहती है. लेकिन यहां AAP ने अकेले सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह दी है.
- पश्चिम बंगाल में ममता ने कांग्रेस को 2 सीटें ऑफर की थी, ये भी कांग्रेस आलाकमान के मन मुताबिक नहीं था.
INDI गठबंधन में सीट शेयरिंग से कांग्रेस समेत गठबंधन की कई पार्टियों में टेंशन है, लेकिन इसने बीजेपी को इस गठबंधन के अस्तित्व पर सवाल उठाने का मौका दे दिया है.
बड़ी पार्टियां हटीं तो INDI गठबंधन के छोटे दल क्या करेंगे
अगर किसी परिवार के सबसे बड़े सदस्य परिवार को छोड़कर चले जाए तो सोचिए बाकी सदस्यों का क्या हाल होता है. परिवार के बाकी छोटे सदस्य घबरा जाते है. अपने भविष्य के बारे में सोचने लगते हैं. INDI गठबंधन में कांग्रेस का भी इस वक्त ऐसा ही हाल है. पहले ममता, फिर आम आदमी पार्टी और अब नीतीश के तेवर कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.
उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस से नाराज है सपा
उत्तर प्रदेश से कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल INDI अलायंस का हिस्सा है. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं. इन 80 में से कांग्रेस 20 से 25 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन अखिलेश यादव तैयार नहीं है. समाजवादी पार्टी सिर्फ 10 सीटें कांग्रेस को देना चाहती है यानि उत्तर प्रदेश में भी तस्वीर साफ नहीं है.
- समाजवादी पार्टी यूपी की 80 में से 60 सीटों पर खुद चुनाव लड़ना चाहती है.
- इसके अलावा अपनी सहयोगी पार्टी RLD को 5 सीट दिलाना चाहती है.
- इस लिहाज से कांग्रेस के लिए उत्तर-प्रदेश में 15 लोकसभा सीट ही बचती हैं,
- सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या कांग्रेस 15 सीटों से संतुष्ट होगी?
गठबंधन संभालने के बजाय राहुल न्याय यात्रा में बिजी
INDI गठबंधन के साथी एक एक कर जा रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी न्याय यात्रा में बिजी हैं. हालांकि बदले सियासी माहौल के बीच राहुल दिल्ली लौटे हैं. कांग्रेस की न्याय यात्रा के शेड्यूल की बात करें तो 27 और 28 जनवरी यानी शनिवार और रविवार को पहले से छुट्टी रखी गई थी. लेकिन जिस तरह से JDU और RJD की नुराकुश्ती के बीच तलाक की नौबत आई है उसे देखते हुए राहुल के अचानक लौटे के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.
INDI अलायंस का नेतृत्व कांग्रेस कर रही है. इसलिए कांग्रेस की ही ये जिम्मेदारी भी बनती है कि वो सभी पार्टियों को बांधे रखें. हालांकि ऐसा होता हुआ दिख नहीं रहा है. ममता, आम आदमी पार्टी के रूख के बाद अब कभी भी नीतीश बड़ा कदम उठा सकते है और अगर नीतीश ने बीजेपी के साथ जाने का फैसला कर लिया तो INDI गठबंधन को सबसे बड़ा झटका लगेगा, जिसका सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को होगा.
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