DNA TV Show: एक माफिया, जिसने सैकड़ों परिवारों पर अत्याचार किए, जिसने कई लोगों की जान ली, जिसके ऊपर हत्या से लेकर रंगदारी तक के 52 से ज्यादा मुकदमे चल रहे थे और जिसका नाम ही एक वक्त लोगों के अंदर खौफ पैदा कर देता था. उत्तर प्रदेश के उस माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर 'सियासी' शोक मनाया जा रहा है. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आरजेडी समेत तमाम विपक्षी दल मुख्तार की मौत पर ऐसे गम जता रहे हैं मानो वह कोई माफिया नहीं बल्कि संत था. माफिया डॉन के अंत पर मातम मनाने वाली इस राजनीति की क्लास लेना जरूरी है. इसलिए आज हम इस सियासत का DNA टेस्ट करेंगे. हम आज इस बात की जांच करेंगे कि ये मातम क्यों मनाया जा रहा है? इससे पहले हम आपको बताएंगे कि गुनाहों का बादशाह, कुख्यात गैंगस्टर, माफिया डॉन, जिसने ना जाने कितने परिवारों को बर्बाद किया, जिसके हाथ ना जाने कितने लोगों के खून से सने हुए थे, जिसके सामने सरकार, सिस्टम और कानून भी घुटने टेक देते थे, जिसके नाम का खौफ हुआ करता था, वो मुख्तार अंसारी किस तरह खुद मौत के खौफ के कारण मर गया है.
परिवार ने लगाए हैं धीमा जहर देने के आरोप
मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके परिवार ने आरोप लगाया है कि उसे जेल में Slow Poison दिया जा रहा था. इस आरोप में कितनी सच्चाई है, ये पता लगाने के लिए योगी सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं. लेकिन क्या सच में ऐसा है? हम आपको वे हालात बता सकते हैं, जो दिखाते हैं कि मुख्तार की जान मौत के खौफ ने ली है. दरअसल मुख्तार अंसारी दो साल पहले जब पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था, तब उसे मौत का कोई डर नहीं था. लेकिन जैसे ही उसे यूपी की बांदा जेल लाया गया, उसे मौत का डर सताने लगा और अब उसका ये डर सही साबित हो गया है.
पहले जान लीजिए मुख्तार की मौत कैसे हुई
पहले आपको बताते हैं कि मुख्तार अंसारी की मौत कैसे हुई है. उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी को बेहोशी की हालत में रात करीब साढ़े आठ बजे अस्पताल ले जाया गया था, जहां नौ डॉक्टरों ने उसका इलाज किया. तमाम कोशिश के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका. अस्पताल की तरफ से बताया गया कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई है यानी ये नेचुरल डेथ का केस है. Zee News ने बांदा जेल के सूत्रों से बात करके जेल में 19 मार्च को मुख्तार अंसारी की तबीयत खराब होने से लेकर 28 मार्च को उसकी मौत होने तक की पूरी Timeline पता की है, जो अब हम आपको बताते हैं.
- 19 मार्च- शाम सात बजे खाना खाने के बाद मुख्तार अंसारी की तबीयत खराब होने पर अस्पताल ले जाया गया.
- 25 मार्च- देर रात 3 बजे अचानक मुख्तार अंसारी के पेट में दर्द उठा.
- 26 मार्च- तड़के साढ़े पांच बजे मुख्तार को एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया.
- 28 मार्च- दोपहर ढाई बजे मुख्तार की तबीयत दोबारा बिगड़ी । डॉक्टरों की टीम ने उसका चेकअप किया.
- 28 मार्च- शाम साढ़े सात बजे मुख्तार अंसारी को उल्टी हुई.
- 28 मार्च- शाम करीब आठ बजे मुख्तार को बेहोशी की हालत में मेडिकल कॉलेज रवाना किया गया.
- 28 मार्च- रात साढ़े दस बजे मेडिकल कॉलेज के CCU में मुख्तार अंसारी की मौत होने की खबर सभी को दी गई.
दिल्ली एम्स में पोस्टमार्टम चाहता है मुख्तार का परिवार
मुख्तार अंसारी की मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताया गया है. उसके शव का पोस्टमॉर्टम हो चुका है, जो करीब 4 घंटे तक चला है. पोस्टमार्टम में उसकी मौत की वजह साफ हो जाएगी. लेकिन मुख्तार अंसारी के परिवार का आरोप है कि माफिया डॉन मरा नहीं है बल्कि उसे मारा गया है. उसका परिवार उसे Slow Poison देने का आरोप लगा रहा है. मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी ने बांदा के DM को चिट्ठी लिखकर अपने पिता के शव का पोस्टमार्टम दिल्ली एम्स में दोबारा कराने की याचिका दी है. उमर ने आरोप लगाया है कि मुख्तार अंसारी को जेल में Slow Poison देकर उसकी हत्या की गई है.
विपक्ष की सियासत का 'रूदाली गान'
अब ये तो जांच का विषय है कि मुख्तार अंसारी की हत्या हुई या नहीं? उसे धीमा जहर दिया गया या नहीं? लेकिन विडंबना देखिए. एक कुख्यात गैंगस्टर की मौत पर उसे क्रांतिकारी साबित करने की मुहिम चल रही है. बुद्धिजीवियों का एक वर्ग उसके मरने पर विलाप कर रहा है. माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर विपक्ष की नेता-नगरी में मातम मनाया जा रहा है.
- समाजवादी पार्टी, जिसके संरक्षण में मुख्तार अंसारी के माफिया बनने के आरोप लगते हैं. उस समाजवादी पार्टी ने कहा है कि मुख्तार अंसारी का इंतकाल दुखद है.
- सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को मुख्तार की मौत के बाद लग रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.
- सपा नेता शिवपाल यादव के लिए तो मुख्तार अंसारी की मौत उनकी पारिवारिक क्षति है, क्योंकि माफिया डॉन से उनके पारिवारिक संबंध थे.
- बिहार के बाहुबली नेता पप्पू यादव कहते हैं कि मुख्तार अंसारी 'जी' की हत्या हुई है.
- असदुद्दीन ओवैसी तो मुख्तार अंसारी की मौत के बाद दुआ मांग रहे हैं कि उसे जन्नत नसीब हो.
- बसपा प्रमुख मायावती कह रही हैं कि मुख्तार अंसारी की मौत के दुख को सहन करने की शक्ति दे.
- राजद के तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया है कि 'श्री' मुख्तार अंसारी के इंतकाल का दुखद समाचार मिला है. उनकी दुआ है कि मुख्तार अंसारी की आत्मा को शांति मिले.
मुख्तार के गुनाहों से पीड़ित लोगों के पक्ष में क्यों नहीं बोले ये राजनेता?
मुख्तार अंसारी का परिवार अगर ये आरोप लगाए कि मुख्तार की मौत जहर देने से हुई है तो समझ में आता है. लेकिन जब राजनीतिक हस्तियां सैकड़ों परिवारों के जीवन में अशांति फैलाने वाले मुख्तार अंसारी की मौत पर मातम मनाएं, विलाप करें तो ये बात समझ नहीं आती. सवाल ये है कि हत्या, अपहरण, रंगदारी से लेकर जबरन वसूली जैसे मामले में दोषी के पक्ष में खड़े होना कहां तक सही है? मुख्तार के अत्याचारों का शिकार हुए लोगों के लिए न्याय की आवाज क्या कभी इन नेताओं ने उठाई? मुख्तार की मौत जहर से हुई या नहीं, ये जांच का विषय है, लेकिन मुख्तार अंसारी जैसे कुख्यात गैंगस्टर की मौत पर भी विपक्षी नेताओं के बीच राजनीति चमकाने का Competition चल रहा है.
दरअसल मुख्तार अंसारी को चाहने वाले नेता ये मानने को तैयार ही नहीं है कि मुख्तार अंसारी जैसा खूंखार और कुख्यात गैंगस्टर इतनी सस्ती मौत मर सकता है. लेकिन समय ने ऐसा खेल खेला कि जिस मुख्तार अंसारी के पीड़ितों को इंसाफ मिलना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होता था. उस मुख्तार अंसारी को मौत के बाद इंसाफ मांगने की जरूरत पड़ रही है. हाला्ंकि उसने जिन परिवारों पर कहर ढाया, उन्हें तो इंसाफ मिल गया है.
यह सवाल जायज कि मौत कैसे हुई
हालांकि मुख्तार कैसा भी था, लेकिन ये सवाल तो बनता ही है कि मुख्तार अंसारी की मौत हुई कैसे? क्या वाकई जेल में उसे जहर दिया गया या फिर वो इसी खौफ में मर गया कि उसे मार दिया जाएगा. अब हम आपको एक चिट्ठी के बारे में बताते हैं, जिसमें मुख्तार अंसारी के मन में बैठा मौत का डर साफ झलकता है. ये चिट्ठी इसी 21 मार्च को बांदा जेल से मुख्तार अंसारी ने लिखी थी, जिसे उसके वकील ने कोर्ट को सौंपा था. इस चिट्ठी में मुख्तार ने अपनी मौत का डर जताया था. मुख्तार ने कहा था कि उसे जेल के खाने में धीमा जहर दिया जा रहा है, जिसकी वजह से उसकी कभी भी मौत हो जाएगी. उसने कहा था कि 40 दिन पहले भी उसे जहर मिलाकर खाना दिया गया था.
पंजाब से यूपी आते ही खौफ में आ गया था मुख्तार
अब वाकई में मुख्तार को जेल में जहर दिया गया या नहीं, इसके लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं, जिसमें सच्चाई सामने आ ही जाएगी. लेकिन इससे ये तो पता चलता ही है कि मुख्तार अंसारी को अपनी मौत का आभास पहले ही हो चुका था और वो मौत के खौफ में जी रहा था. उसे मौत का ये खौफ तबसे ही सता रहा था, जबसे उसे पंजाब की रोपड़ जेल से यूपी की बांदा जेल में शिफ्ट किया गया था.
तब उसने सुप्रीम कोर्ट में Affidavit देकर गुहार लगाई थी कि उसे यूपी की जेल में ना भेजा जाए. मुख्तार अंसारी के वकील ने Affidavit के जरिये मांग की थी कि मुख्तार अंसारी को बांदा जेल से किसी दूसरे ऐसे राज्य में ट्रांसफर किया जाए, जहां बीजेपी की सरकार ना हो. मुख्तार के वकील ने कहा था कि यूपी की जेल में उसकी जान को खतरा है और उसे कभी भी मरवाया जा सकता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार की अपील को ठुकरा दिया था. तभी से मुख्तार अंसारी जेल में खौफ की जिंदगी जी रहा था.
मौत से पहले की ऑडियो क्लिप में भी दिखा था ये खौफ
मुख्तार की मौत के बाद एक Audio Clip सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें मुख्तार अंसारी अपने छोटे बेटे उमर अंसारी से बात कर रहा है. यह बातचीत मुख्तार की मौत से कुछ घंटे पहले यानी 28 मार्च की सुबह की बताई जा रही है. इस ऑडियो क्लिप में हो रही बातचीत में भी मुख्तार के मन में मौत का खौफ साफ झलक रहा है. इससे साफ पता लग रहा है कि लोगों को रात-दिन खौफ में जीने को मजबूर करने वाला माफिया खुद आखिरी दिनों में मौत के कितने बड़े डर में जी रहा था.
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DNA TV Show: खौफ के पर्याय मुख्तार अंसारी की जान क्या डर के कारण निकली?