डीएनए हिंदी: Indian Railway Latest News- अगर आपसे कोई अतिरिक्त सुविधा के नाम पर ज्यादा पैसे मांगे तो इसे सुविधा शुल्क कहा जाता है, लेकिन अगर कोई आपसे सुविधा शुल्क ले ले और कोई अतिरिक्त सुविधा भी ना दे तो उसे लूट या धोखा कहना चाहिए. यही लूट भारतीय रेलवे, हर साल त्यौहारों के मौसम में लाखों लोगों के साथ करता है. पहले अतिरिक्त ट्रेनें चलाकर, हवाई जहाज से भी ज्यादा कीमत पर उन ट्रेनों की टिकट बेचता है और बदले में यात्रियों को सुविधा रहित ट्रेन यात्रा की ही गारंटी मिलती है. त्यौहारों पर भारतीय रेल की इसी असुविधाजनक यात्रा में आपके पास दो विकल्प ही होते है. पहला भेड़-बकरियों की तरह रेल में भरकर यात्रा कीजिए या फिर हवाई जहाज की टिकट के दाम में ट्रेन की टिकट बुक करें और असुविधाजनक यात्रा करें.
त्योहार पर घर जाने की इच्छा का उठाता है लाभ
त्योहार पर हर कोई अपने घर जाना चाहता है, ताकि परिवार के सदस्यों के साथ त्योहार मनाया जा सके. छठ हो या दिवाली, ट्रेन घर जाने का सबसे बड़ा जरिया है. हर साल यही हाल होता है, यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे, हमेशा से ही अतिरिक्त ट्रेनें चलाता रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग, त्योहारों पर अपने परिवारों के पास जा सकें. हालांकि भारतीय रेलवे के लिए ये हमेशा से ही घाटे का सौदा माना जाता रहा था. लेकिन अब यात्रियों को सुविधा के नाम पर इन ट्रेनों के लिए Dynamic Fare System लागू कर दिया गया है. बिलकुल वैसे ही जैसे हवाई जहाज की यात्रा पर Dynamic Fare लागू होते हैं. आसान भाषा में कहें तो जितनी ज्यादा Tickets की डिमांड, उतनी ज्यादा Tickets की कीमत.
अब आप लूट का एक उदाहरण देखिये...
Railway Ticket Booking website, IRCTC के मुताबिक..
- Suvidha Express में मुंबई से पटना का आमतौर पर AC-3 का Base Fare 1785 रुपये है, जबकि छठ पूजा के समय इसका किराया 6400 रुपये से अधिक पहुंच गया.
- AC 2 का बेस फेयर 2600 रुपये है, जबकि छठ पूजा के दौरान Peak Season में ये 11,230 रुपये पर मिल रहा है.
- आम दिनों में मुंबई से पटना Sleeper Class का Base Fare 675 रुपये है. छठ पूजा के दौरान यह भी 2300 रुपये से ज्यादा हो गया.
- अब हवाई सफर देखें तो मुबंई से पटना आने का किराया indigoऔर go air से 7,617 से लेकर 9,246 तक के बीच है.
- इस हिसाब से देखा जाए तो ट्रेन का किराया दो सेम डेस्टिनेशन के बीच हवाई सफर से भी कहीं ज्यादा बैठ रहा है.
2-3 गुना ज्यादा किराया, लेकिन यात्रा फिर भी असुविधा भरी
ये दो से तीन गुना किराया, सिर्फ इस बात के लिए वसूला जाता है कि लोगों को सुविधा एक्सप्रेस में टिकट मिल जाती है, लेकिन दो से तीन गुना दाम में टिकट खरीदने के बावजूद यात्रियों को Suvidha Express ट्रेन में असुविधा जनक तरीके से ही यात्रा करनी पड़ती है. सीधा-सीधा कहें तो Suvidha Express में सफर करने के लिए यात्रियों से हजारों रूपये तो लिए जाते हैं, लेकिन बदले में सिर्फ और सिर्फ असुविधा ही मिलती है. इन्हीं कारणों से Suvidha Express को अब असुविधा एक्सप्रेस तक कहा जाने लगा है. जहां रेल मंत्रालय यात्रियों के साथ धोखा कर रहा है. यहां यात्रियों से हवाई सफर से ज्यादा किराया तो वसूला गया, लेकिन सुविधा, पैसेंजर ट्रेन वाली मिली. ना साफ सफाई दिखती है, ना ये ट्रेन कभी समय पर प्लेटफॉर्म पर पहुंचती है.
सुविधा एक्सप्रेस पर पढ़ लीजिए हमारी ये खास रिपोर्ट
अब हम आपको Suvidha Express की reality से रूबरू कराएंगे. Patna Junction से हमारे संवाददाता प्रशांत झा ने Suvidha Express पर एक रिपोर्ट फाइनल की है. क्या है रिपोर्ट में आप भी पढ़िए.
सुविधा एक्सप्रेस में अगर आप सुविधा मिलने का ख्वाब देखकर चढ़ रहे हैं तो सुविधा भूल जाइए. सुविधा एक्सप्रेस टाइम पर प्लेटफॉर्म पहुंचेगी, अगर आप ये सोच रहे है तो भूल जाइए. सुविधा एक्सप्रेस में साफ सफाई मिलेगी. अगर आप ये सोचकर टिकट बुक कर रहे हैं तो साफ सफाई भी भूल जाइए. भारतीय रेलवे की सुविधा एक्सप्रेस अब असुविधा एक्सप्रेस बनकर दौड़ रही है. जहां किराया तो हवाई सफर वाला है, लेकिन सुविधा के नाम पर यात्रियों के साथ कोरा धोखा है. डायनामिक किराये वाली ये ट्रेन अगर टाइम से प्लेटफॉर्म पर पहुंच जाए तो यात्री भी अपने आपको खुशकिस्मत मानने लगते हैं.
एक कहावत है, मौके का हर कोई फायदा उठाता है. त्योहार के सीजन में भारतीय रेलवे भी यही कर रहा है. डायनामिक किराये वाली सुविधा एक्सप्रेस में सफर के लिए यात्री मुंह मांगी कीमत दे रहे हैं लेकिन सुविधा के नाम पर क्या मिलता है, आप खुद जान लीजिए.
- डायनामिक सुविधा एक्सप्रेस में 20 फीसदी सीट बुक होते ही किराया बढ़ जाता है.
- 20 फीसदी से 40 फीसदी टिकट बुक होने पर टिकटों पर डेढ़ गुना किराया लगता है.
- 40 फीसदी से 60 फीसदी टिकट बुक होने पर टिकट की कीमत लगभग दोगुनी हो जाती है.
- इस ट्रेन में आखिरी 20 प्रतिशत सीटों की कीमत शुरुआती सीटों की कीमत से 3 गुना तक ज्यादा हो सकती है.
आज भी हमसफर एक्सप्रेस की बोगियों पर दौड़ रही सुविधा एक्सप्रेस
वर्ष 2014 से सुविधा एक्सप्रेस ट्रैक पर दौड़ रही है, लेकिन अब तक ये अपनी बोगियां नहीं जुटा पाई है. सुविधा एक्सप्रेस आज भी हमसफर एक्सप्रेस की बोगियों के साथ दौड़ रही है. ये वो ट्रेन है जहां किराया तो रेल की रफ्तार से बढ़ता है, लेकिन सुविधा के नाम पर सबकुछ सिफर है. सुविधा एक्सप्रेस, रेल मंत्रालय के लिए आपदा में अवसर की तरह है, जहां मौका मिलते यात्रियों की जेब पर रेल मंत्रालय कैंची चला देता है.
हमारी ये रिपोर्ट देखकर आपको अंदाजा हो गया होगा कि सुविधा एक्सप्रेस का क्या हाल है. इसे Railway Planning की नाकामी कहें या फिर Railway Managment की नाकामी, कि स्पेशल ट्रेनें चलाने के बावजूद हालात में कोई खास बदलाव नहीं है. आप किसी से भी पूछ लीजिए. हर व्यक्ति यही कहेगा कि त्योहार के समय रेल का टिकट मिलना Everest पर चढ़ने के बराबर है. जिसे टिकट मिल गया, उसे ऐसा लगता है जैसे उसने Olympic में gold medal जीत लिया हो. अब सोचिए, क्या रेलवे को इसका पता नहीं होगा या पता होने के बाद भी रेल मंत्रालय सिर्फ अपनी जेब भरने में लगा रहता है. रेलवे को किराया बढ़ाना तो याद रहता है, लेकिन सुविधा के नाम पर Ministry of Railways हमेशा चुप्पी साध लेता है.
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