डीएनए हिंदी: Who is DNV Senthil Kumar- आमतौर पर हम भारत के लोग, पूरी दुनिया में अपनी पहचान भारतीय के तौर पर देते हैं. हम कभी ये नहीं कहते हैं कि हम यूपी वाले भारतीय है, पंजाब वाले भारतीय हैं, तमिलनाडु वाले भारतीय है या महाराष्ट्र वाले भारतीय हैं. हम यही बताते हैं कि हम भारतीय हैं. इसके अलावा अगर कोई कुछ और पूछता है तब हम अपनी पहचान में अपने राज्य की बात करते हैं, उसके बाद अपने जिले की बात करेंगे, फिर चाहे गांव शहर जहां भी रहते हैं, उसका जिक्र करते हैं. यही नहीं आमतौर पर सच्चे भारतीय अपनी पहचान बताते वक्त ये भी नहीं कहते हैं कि हम नॉर्थ इंडियन यानी उत्तर भारतीय हैं, या फिर साउथ इंडियन यानी दक्षिण भारतीय, लेकिन हमारे देश पर अंग्रेजों ने यूंही राज नहीं किया था. वो फूट डालो, राज करो की नीति पर शासन चलाते आए. आज एक बार फिर से अंग्रेजों की मानसिकता का असर हमारे देश के राजनेताओं के सिर चढ़ा हुआ है.
तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK यानी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के सांसद डॉ डीएनवी सेंथिल कुमार ने अपने संबोधन में देश को दो बंटे हुए हिस्सों की तरह पेश किया. उन्होंने भारत को दक्षिण और उत्तर में बांटते हुए उत्तर भारतीय राज्यों को 'गोमूत्र States यानी गोमूत्र राज्य' कहा. बीते दिनों पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने तीन हिंदी भाषी राज्यों, मध्य प्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत दर्ज की. सेंथिल कुमार के गोमूत्र States वाला बयान, बीजेपी की इसी जीत को आधार बनाकर दिया गया था.
हिंदी भाषी राज्यों को बताया गोमूत्र स्टेट्स
संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, इस सत्र के शुरू होने से पहले बीजेपी ने पांच राज्यों में से तीन में अपनी सरकार बना ली है. इसीलिए शायद विपक्ष ने पहले ही दिन से सदन में हंगामा शुरू कर दिया था. सेंथिल कुमार का बयान भी बीजेपी की जीत पर उनकी पार्टी की कुंठा का प्रतीक है. उन्होंने अपने बयान में यही कहा कि बीजेपी की ताकत हिंदी भाषी राज्य हैं, जिन्हें हम यानी DMK 'गोमूत्र States' कहते हैं. हम आपको उनका वो बयान सुनवाते हैं. फिर उसके बाद हम उनकी पार्टी dmk के सनातन विरोधी मानसिकता का विश्लेषण करेंगे.
विशेषाधिकार के नाम पर कुछ भी बोलेंगे?
DMK सांसद सेंथिल कुमार के बयान के बाद हंगामा खड़ा हो गया है. सेंथिल कुमार ने एक ऐसी सोच को भारतीय लोकतंत्र के मंदिर में रखा, जो देश को दो अलग-अलग हिस्सों के तौर पर देखता है. ये विचार भारत को उत्तर और दक्षिण में बांटता है. यही नहीं DMK सांसद सेंथिल कुमार का बयान, उत्तर भारत में रहने वाले, ऐसे तमाम हिंदू धर्म के अनुयायियों को अपमानित करता है, जिनके लिए गाय और गोमूत्र आस्था का प्रतीक है. सेंथिल कुमार को भी ये पता है, कि वो संसद के पटल पर चाहे कुछ भी कहें, उनको मिलने वाले विशेषाधिकार, उनको बचा लेगा. अगर इसी तरह का कोई बयान सदन से बाहर दिया गया होता, तो ये जरूर आस्थाओं को भड़काने वाला माना जाता और उस पर कानूनी कार्रवाई की गई होती.
देश को उत्तर भारत-दक्षिण भारत में बांटने वाले बयान
DMK सांसद सेंथिल कुमार ने भले ही बीजेपी को घेरने के नाम पर, पूरे उत्तर भारतीयों और सनातन धर्म के मानने वालों को दोयम दर्जे का नागरिक बता दिया हो. यही नहीं उनके बयान का एक मतलब ये भी है कि उत्तर भारत के लोग, दक्षिण भारतीयों के मुकाबले कम दिमाग वाले है, क्योंकि वो बीजेपी को वोट करते हैं. सेंथिल कुमार की ये सोच टुकड़े-टुकड़े गैंग वाली विचारधारा की तरह लगती है. इसमें देश को दो हिस्सों में बांट दिया गया. सेंथिल कुमार का बयान उत्तर भारत और दक्षिण भारत में अलगाव पैदा करने वाले बयान के तौर पर देखा जा रहा है. बीजेपी ने सेंथिल कुमार के इस बयान पर अपना गुस्सा जाहिर किया.
कांग्रेस ने कर लिया है किनारा
सेंथिल कुमार के बयान ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है. देखा जाए तो सेंथिल कुमार DMK के सांसद हैं, लेकिन I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल होने की वजह से कांग्रेस की मुसीबत बढ़ गई है. बीजेपी ने सेंथिल कुमार की विचारधारा को देश के टुकड़े करने वाली और फूट डालने वाली विचारधारा के तौर पर देखा, और इसके लिए कांग्रेस पर निशाना साधा. बीजेपी ने DMK सांसद के बयान को कांग्रेस समेत पूरे I.N.D.I.A गठबंधन का विचार बता दिया. राजनीति गर्माई तो DMK सांसद ने माफी नहीं मांगी बल्कि इस तरह के शब्द ना इस्तेमाल करने की बात कही. साथ ही कांग्रेस नेताओं ने इस बयान से किनारा कर लिया.
DMK के नेताओं के नए नहीं विवादित बयान
वैसे देखा जाए तो DMK सांसद सेंथिल कुमार ने पार्टी लाइन हट से कुछ नहीं कहा. सेंथिल कुमार ने कुछ भी ऐसा नहीं कहा है, जिससे मिलते जुलते विचार, उनकी पार्टी के अन्य नेताओं के ना हों. सनातन धर्म को अपमानित करने वाले बयान उनके पार्टी के दो और बड़े नेता दे चुके हैं. सबसे पहले हम आपको तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन का एक बयान याद दिलाना चाहते हैं. ये बयान उन्होंने इसी वर्ष सितंबर में चेन्नई में हुए एक कार्यक्रम में दिया था. तमिलनाडु के युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने Tamilnadu Progressive Writers Artist Association की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि ,'कुछ चीजों का सिर्फ विरोध नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें जड़ से खत्म किया जाना चाहिए. जैसे डेंगू, मलेरिया या कोरोना वायरस का विरोध नहीं कर सकते, इसे खत्म करना ही होगा. इसी तरह हमें सनातन को खत्म करना है'.
जानबूझकर दिया था स्टालिन के बेटे ने बयान
मॉनसून से ज्यादा फिसलन तो आजकल नेताओं की जुबान में है. ये जब तब फिसल जाती है. लेकिन उदयनिधि का ये बयान जुबान फिसलने से नहीं निकला था. जिस कार्यक्रम में वो बोलने पहुंचे थे, उसका शीर्षक ही 'सनातन ओलिप्पु महानाडू' था, जिसका अर्थ है 'सनातन का समूल नाश करने के लिए सम्मेलन. इस सम्मेलन का मकसद ही सनातन धर्म या हिंदू धर्म का विरोध करना था.
ऐसे कार्यक्रम में उदयनिधि का आना ही उनकी हिंदू विरोधी मानसिकता का उदाहरण है. उदयनिधि स्टालिन, दक्षिण भारत के कोई छोटे मोटे नेता नहीं हैं, वो तमिलनाडु के सीएम के बेटे भी हैं. DMK के बड़े नेता हैं। सनातन विरोध DMK की विचारधारा है. DMK के एक और नेता ए. राजा भी इसी श्रेणी के नेता हैं. उन्होंने तो सनातन की तुलना HIV और कुष्ट रोग से कर दी थी. उन्होंने ये भी कहा कि उदयनिधि ने तो इस मामले में नरम रुख अपनाया है. ए. राजा के मुताबिक सनातन की तुलना सामाजिक कलंक वाली बीमारियों से की जानी चाहिए थी.
सेंथिल की पार्टी का मूलमंत्र ही सनातन विरोध
जिस DMK पार्टी से सेंथिल कुमार आते हैं, उस पार्टी का मूल विचार ही सनातन धर्म को नष्ट करने से जुड़ा हुआ है. DMK के बीज जिन आंदोलनों से निकले हैं, उनका आधार ही ऐतिहासिक रूप से ब्राह्मण विरोधी और हिंदी विरोधी रहे हैं. DMK पर E.V. RAMASWAMY के विचारों का काफी असर रहा है. लोग इन्हें पेरियार के नाम से भी जानते हैं.
पेरियार ने अपने लेखों में हमेशा से ही दलितों और महिलाओं के शोषण के लिए सनातन हिंदू परंपरा को जिम्मेदारा बताया. उन्होंने तो शादियों में ब्राह्मण या पंडितों को ना बुलाने जैसे नियम भी बनाए थे. पेरियार ने 1931 में अपने अखबार 'कुडियारासू' में लिखा था कि 'अगर दलित और गरीबों को बराबरी चाहिए तो हिंदू धर्म का विनाश जरूरी है.' ऐसे में अगर DMK के नेता, सनातन विरोधी बयानबाजी करते हैं, तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
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