डीएनए हिंदी: G-20 Summit 2023 News- दिल्ली में अगले दो दिन दुनिया की 85 फीसदी अर्थव्यवस्था अपनी मुठ्ठी में बंद रखने वाले ताकतवर देशों का जमावड़ा है. यह जमावड़ा दुनिया के सबसे शक्तिशाली संगठन कहे जाने वाले जी-20 समूह के 18वें शिखर सम्मेलन के आयोजन में होगा, जिसकी अध्यक्षता दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत कर रहा है. इस आयोजन के लिए शुक्रवार को पूरा दिन वैश्विक नेताओं का दिल्ली पहुंचने का सिलसिला चलता रहा. अमेरिकी राष्ट्रपति Joe Biden, ब्रिटिश प्रधानमंत्री Rishi Sunak, जापानी प्रधानमंत्री Fumio Kishida, तुर्किए के राष्ट्रपति Recep Tayyip Erdoğan समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत पहुंच चुके हैं. ये सभी नेता शनिवार सुबह से भारत मंडपम में एकसाथ मंथन के लिए जुटेंगे, जो शिखर सम्मेलन का वेन्यू बनाया गया है.
भारत के लिए ये आयोजन आर्थिक और कूटनीतिक, दोनों तरह से बेहद अहम है. देश में G20 सम्मेलन का आयोजित होना, भारत की बढ़ती साख से भी जोड़ा जा रहा है. G-20 सम्मेलन के आयोजन से भारत की शक्ति का अंदाजा भी, दुनिया को होगा. आपमें से बहुत से लोगों को नहीं पता होगा कि G-20 सम्मेलन में मेज़बान देश, सदस्य देशों के अलावा, अपने कुछ मेहमान देशों को भी आमंत्रित कर सकते है. भारत ने इस बार दुनिया के 9 देशों को इस सम्मेलन का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है. भारत ने एक खास कूटनीति के तहत इस्लामिक देशों को आमंत्रित किया है. इसके जरिये भारत इस्लामिक जगत में भारत की नई छवि बनाना चाहता है, जहां से कई बार उसके विरोध की आवाज उठती रहती हैं.
दुनिया को एकजुट करने की नीति
इस वक्त भारत, दुनिया की शक्ति का केंद्र बना हुआ है. दुनिया के 20 शक्तिशाली देशों के मुखिया इस वक्त दिल्ली में मौजूद हैं. ये वो देश हैं...जो दुनिया का भविष्य तय करते हैं, इसमें से एक भारत भी है. लेकिन भारत को भविष्य का विश्व गुरू यूं ही नहीं कहा जा रहा है. भारत ने अपने इस महासम्मेलन के जरिए, पूरी दुनिया को एकजुट करने का प्लान तैयार किया है. भारत इस सम्मेलन के जरिए, दुनिया के कुछ उन देशों को भी आगे ला रहा है, जो G-20 समूह में शामिल नहीं हैं.
9 देश और 14 संगठन आए हैं भारत के आमंत्रण पर
भारत ने कुल 9 देशों और 14 वैश्विक संगठनों को इस कार्यक्रम में आने के लिए आमंत्रित किया है. इन देशों में बांग्लादेश, मिस्र, मॉरिशस, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और यूएई हैं. वहीं 14 संगठनों में अफ्रीकन यूनियन, ASEAN, अफ्रीकन यूनियन एंड डेवेलपमेंट एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र संगठन, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन शामिल हैं. भारत ने इन संगठनों और कुछ खास देशों को विशेष मकसद से G-20 के महासम्मेलन में बुलाया है. दरअसल भारत ने ऐसे देशों के इस महासम्मेलन में बुलाया है, जिनसे हमारे अच्छे व्यापारिक संबंध हैं. भारत चाहता है कि इस महासम्मेलन में अपने व्यापारिक दोस्तों को भी अपनी बात रखने का मौका मिले. इसमें इस्लामिक देश अधिक हैं.
हम आपको उन 3 देशों के बारे में बताएंगे, जिनको खासतौर से भारत ने आमंत्रित किया है.
1. आमंत्रित देशों में पहला है भारत का पड़ोसी बांग्लादेश
बांग्लादेश 'SAARC' का भी हिस्सा है. आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा पर भारत और बांग्लादेश के बीच अच्छा तालमेल है. बांग्लादेश, भारत का 16वां बड़ा व्यापारिक साझीदार है. वित्त वर्ष 2022 में अब तक डेढ़ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार हो चुका है. आने वाले समय में भारत की मदद से अगर बांग्लादेश को मजबूती मिलती है तो ये भारत के लिए ही लाभदायक होगा.
2. भारत का तीसरा बड़ा बिजनेस पार्टनर है UAE
भारत ने अपने यहां हो रहे G-20 सम्मेलन में UAE को भी बुलाया है. UAE भारत का तीसरा बड़ा व्यापारिक साझीदार है. पिछले वित्त वर्ष में दोनों देशों के बीच करीब 6 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हो चुका है. UAE भारत का चौथा बड़ा निवेशक है. पिछले वित्त वर्ष में UAE ने भारत में 28 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है. भारत बड़ी मात्रा में कच्चा तेल, UAE से खरीदता है. UAE, भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के मामले में, एक अहम देश है. इसीलिए भारत ने UAE को इस अंतरराष्ट्रीय समारोह में UAE को आमंत्रित करके, अपनी दोस्ती को मजबूत बनाने का प्रयास किया है.
3. मिस्र से तेजी से बढ़ रहा है भारतीय व्यापार
मिस्र अफ्रीका महाद्वीप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. पिछले 10 वर्षों में दोनों देशों को बीच व्यापार 2 गुना हो चुका है. वित्त वर्ष 2021-22 में 60 हजार करोड़ रुपये का द्विपक्षीय व्यापार हुआ है. भारत और मिस्र एक समझौते के तहत कोरोना की रेमेडिसिवर के 3 लाख DOSE बनाएंगे. सामरिक नजरिए से भी मिस्र, भारत के लिए महत्वूर्ण मित्र देश है. भारत और यूरोप के बीच का ज्यादातर व्यापार मिस्र की स्वेज़ नहर से ही होकर किया जाता है. मिस्र अफ्रीकन यूनियन के अलावा अरब य़ूनियन, Organisation Of Islamic Corporation का भी हिस्सा है, और मिडिल ईस्ट में भी एक महत्वपूर्ण देश है. भारत,मिस्र से अच्छे संबंध रखकर, इस्लामिक देशों के साथ संबंध बेहतर बना सकता है.
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