Delhi New CM Rekha Gupta: दिल्ली को देश का दिल माना जाता है. राष्ट्रीय राजधानी की हलचल का असर कश्मीर से कन्याकुमारी तक होता है. इस कारण दिल्ली में विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2025) में BJP की जीत के बाद मुख्यमंत्री चुनने की कवायद पर पूरे देश की नजर टिकी हुई थी. हर कोई जानना चाह रहा था कि भाजपा 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में ऐतिहासिक वापसी किसके नेतृत्व में कर रही है. बुधवार रात को भाजपा ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री चुनकर सारी अटकलों पर विराम लगा दिया, लेकिन यह फैसला सभी को चौंका गया. दरअसल दिल्ली में भाजपा की जीत से पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा (Pravesh Verma) को तगड़ा दावेदार माना गया था. पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा ने आम आदमी पार्टी के नेशनल कनवेनर और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को हराकर खुद को 'जॉइंट किलर' साबित किया. इसके चलते भी उनका दावा बेहद पुख्ता माना जा रहा था. साथ ही दिल्ली के वोट समीकरण भी उन्हें ही मजबूत साबित कर रहे थे. इसके बावजूद प्रवेश वर्मा को किनारे करके भाजपा ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री चुना है, जो पिछली बार विधानसभा चुनाव हारने के अलावा पिछले साल दिल्ली नगर निगम (Delhi Nagar Nigam) यानी MCD के मेयर पद का चुनाव भी हार गई थीं. दरअसल भाजपा का इतने सारे If and But के बावजूद रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री चुनना वो 'मास्टर स्ट्रोक' है, जिसका असर दिल्ली से बिहार तक होने की उम्मीद की जा रही है.
आइए 5 पॉइंट्स में बताते हैं आपको वे समीकरण, जिनके चलते रेखा गुप्ता के नाम पर लगी है मुहर-
1. सबसे पहले संघ की पसंद पर मुहर
रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव भाजपा नेतृत्व को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तरफ से भेजा गया था, जिनके छात्र संगठन ABVP की नर्सरी में राजनीति सीखकर रेखा गुप्ता यहां तक पहुंची हैं. संघ को नाराज करने का नतीजा भाजपा नेतृत्व पिछले साल लोकसभा चुनाव 2024 में देख चुका है, जिसमें भाजपा नेतृत्व वाले NDA को बड़े पैमाने पर सीटें गंवानी पड़ी थीं. इसके चलते संघ से दोबारा समीकरण ठीक किए गए थे, जिसका असर महाराष्ट्र और हरियाणा में साफ महसूस हुआ है. दिल्ली में भी भाजपा की जीत के पीछे संघ कार्यकर्ताओं की उन 50,000 'ड्राइंगरूम मीटिंग्स' को दिया गया है, जिनमें जमीनी स्तर पर वोटर्स को भगवा दल के खेमे में जोड़ने का काम किया गया है. ऐसे में भाजपा नेतृत्व ने संघ की पसंद को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया.
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2. प्रवेश वर्मा को बनाते तो तीन राज्य ही जुड़ते
भाजपा के सामने मुख्यमंत्री के तौर पर प्रवेश वर्मा का नाम था, जो दिल्ली में 8 फीसदी वोट रखने वाले जाट समुदाय से आते हैं. जाट दिल्ली में सबसे प्रभावी वोट बैंक है. रेखा गुप्ता वैश्य समुदाय से हैं. दिल्ली में वैश्यों के भी 8 फीसदी वोट हैं यानी यहां पलड़ा दोनों उम्मीदवारों का बराबर था. प्रवेश वर्मा को यदि भाजपा मुख्यमंत्री बनाती तो इसका लाभ उसे राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मिलता, जहां जाट समुदाय मौजूद है. राजस्थान-हरियाणा में जल्द चुनाव नहीं होने वाले हैं, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के पास संजीव बालियान के रूप में मजबूत जाट नेता है. साथ ही रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के साथ गठबंधन का लाभ है, जिनका कोर वोटर जाट समुदाय है.
3. रेखा गुप्ता को सीएम बनाने से आधे भारत में संदेश
इसके उलट रेखा गुप्ता का वैश्य समुदाय उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत कई अन्य राज्यों में भी मजबूत स्थिति में है. इन राज्यों में रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाने से वैश्य समुदाय को मजबूत संदेश मिलेगा.
- हरियाणा में 5% से 8% वैश्य वोटर्स हैं. रेखा गुप्ता खुद जींद में जन्मी हैं. इस कारण हरियाणा की बेटी होने का लाभ उनकी पार्टी को मिलेगा.
- उत्तर प्रदेश में 2% वैश्य वोटर्स हैं, लेकिन वे जैन समुदाय व अन्य सवर्ण समुदाय के वोटर्स पर भी पकड़ रखते हैं. वहां भी लाभ BJP को होगा.
- बिहार में भी 5-6% वैश्य वोटर्स हैं. इनकी 30 विधानसभा सीटों पर पकड़ मानी जाती है. बिहार में जल्द ही चुनाव हैं तो BJP को लाभ होगा.
- पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने के लिए BJP निगाहें लगाए है. वहां वैश्य 2% हैं, लेकिन यह राज्य महिला फोकस रहता है. भाजपा का महिला मुख्यमंत्रियों से दूरी बनाना बंगाल के वोटर्स को खलता है. अब रेखा गु्प्ता के सीएम बनने से यह मुद्दा फीका हो जाएगा.
4. दिल्ली में और मजबूत हो जाएगी भाजपा
दिल्ली में करीब 71 लाख महिला वोटर्स हैं यानी 46% वोट उनके हैं. रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाने से जहां भाजपा को 8% वैश्य वोट मिल जाएंगे, वहीं इन 46% महिला वोटर्स में भी उसकी स्थिति बेहद मजबूत हो जाएगी. इस बार भी भाजपा की जीत में महिला वोटर्स ने ही अहम भूमिका निभाई है. हालिया दिनों में भाजपा ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र के चुनाव महिला मुद्दों को फोकस करके ही लड़े हैं, जिसका भरपूर लाभ सत्ता के तौर पर भाजपा को मिला है. दिल्ली में भी इसी कारण भाजपा ने महिला फोकस ही घोषणापत्र रखा था. ऐसे में अब महिला मुख्यमंत्री ही बनाने पर भाजपा इस आधी आबादी में तगड़ी सेंध लगा लेगी. यह सभी एक्सपर्ट मान रहे हैं.
5. निचले स्तर के कार्यकर्ता तक संदेश
भाजपा यदि प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री बनाती तो विपक्षी दलों को वंशवाद का मुद्दा उसके खिलाफ ही इस्तेमाल करने का मौका मिल जाता, जबकि अब तक इस मुद्दे के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को घेरते रहे हैं. इसके उलट रेखा गु्प्ता पार्टी के निचले स्तर की कार्यकर्ता से विधानसभा तक पहुंची हैं. ऐसे में उनका मुख्यमंत्री बनाना भाजपा का अपने संगठन में निचले स्तर के कार्यकर्ता के लिए भी संदेश है कि पार्टी में कोई भी ऊपर तक पहुंच सकता है. इससे भाजपा को अपने संगठन में सबसे निचले स्तर पर जोश फूंकने में मदद मिलेगी.
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दिल्ली से बंगाल तक होगा असर, 5 पॉइंट्स में जानें Pravesh Verma के बजाय BJP ने Rekha Gupta को क्यों चुना है सीएम?