डीएनए हिंदी: Earthquake News- दिल्ली-NCR की धरती मंगलवार दोपहर 2.28 बजे एक बार फिर भूकंप के झटकों से हिल गई. भूकंप का केंद्र नेपाल में था, जिसे रिक्टर स्केल पर करीब 5.8 मैग्नीट्यूड का आंका गया है. इस भूकंप से लगे झटकों से घबराकर लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर दौड़ते दिखाई दिए. नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी (National Center for Seismology) की वेबसाइट पर दिए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 30 दिन के दौरान यह करीब 22वां मौका है, जब देश की राजधानी के 700 किलोमीटर के दायरे में भूकंप के झटकों से धरती हिल गई है. इनमें भी पिछले 4 दिन के दौरान 5 भूकंप आए हैं.
इससे एक बार फिर यह चर्चा शुरू हो गई है कि लगातार आ रहे भूकंप क्या किसी बड़े खतरे का संकेत दे रहे हैं. वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि दिल्ली भूकंप के लिहाज से बेहद एक्टिव रीजन का हिस्सा है, इसके चलते यहां लगातार भूकंप आते ही रहेंगे. साथ ही वैज्ञानिक ये भी चेतावनी दे रहे हैं कि दिल्ली-NCR बेहद घने जनसंख्या घनत्व वाला इलाका है. यहां हाई-राइज बिल्डिंग्स भी बहुतायात में हैं. इसके चलते यहां कभी भी भूकंप के कारण बड़े पैमाने पर विनाश की संभावना बहुत ज्यादा है. आइए विस्तार में समझते हैं कि यहां भूकंप क्यों ज्यादा आ रहे हैं.
Earthquake of Magnitude:5.8, Occurred on 24-01-2023, 14:28:31 IST, Lat: 29.41 & Long: 81.68, Depth: 10 Km ,Location: Nepal for more information Download the BhooKamp App https://t.co/gSZOFnURgY@ndmaindia @Indiametdept @Dr_Mishra1966 @Ravi_MoES @OfficeOfDrJS @PMOIndia pic.twitter.com/y1Ak7VbvFB
— National Center for Seismology (@NCS_Earthquake) January 24, 2023
दिल्ली के आसपास आए हालिया भूकंप
- 24 जनवरी को नेपाल में 5.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप
- 22 जनवरी को पिथौरागढ़ में 3.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप
- 21 जनवरी को सहारनपुर में 2.9 मैग्नीट्यूड का भूकंप
- 21 जनवरी को चंबा में 2.7 मैग्नीट्यूड का भूकंप
- 20 जनवरी को देहरादून में 2.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप
- 19 जनवरी को डोडा में 3.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप
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क्या होता है भूकंप
धरती की सतह के हिलने को भूकंप (Earthquake) कहा जाता है. हम सभी जानते हैं कि धरती अपनी धुरी पर गतिशील है. भूकंप के झटके घूमती हुई धरती की सबसे बाहरी परत में कंपन आने से पैदा होते हैं. इसके लिए धरती के दो ब्लॉक्स आपस में अचानक किसी फॉल्ट के कारण टकराते हैं तो उनके कारण कंपन पैदा होता है, जो भूकंप की वजह बनता है. किसी भूकंप के दो मुख्य बिंदु होते हैं. पहला हाइपोसेंटर (Earthquake Hypocenter), जो धरती की सतह के नीचे भूकंप की शुरुआत वाला बिंदु होता है. दूसरा एपिसेंटर (Earthquake Epicenter), जो हाइपोसेंटर के ठीक ऊपर सतह का बिंदु होता है.
दिल्ली-NCR में क्यों आते हैं ज्यादा भूकंप
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (Bureau of Indian Standards) ने मैक्रो सिस्मिक जोनिंग मैप (macro seismic zoning map) के हिसाब से पूरे देश को चार जोन में बांटा हुआ है. ये जोन खतरे की गंभीरता के लिहाज से जोन-5 (उच्च तीव्रता) से जोन-2 (निम्न तीव्रता) तक बांटा गया है. दिल्ली से मुंबई तक की बेल्ट को जोन-4 में गिना जाता है, जो भूकंपीय कंपनों के लिहाज से 'गंभीर' की श्रेणी में आता है.
दिल्ली क्यों है जोन-4 में
दिल्ली धरती की सतह के अंदर तीन फॉल्ट लाइन के ऊपर बसा हुआ है. ये सोहना फॉल्ट लाइन (Sohna fault line), मथुरा फॉल्ट लाइन (Mathura fault line) और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन (Delhi-Moradabad fault line) हैं. दिल्ली से सटा गुरुग्राम (Gurugram) नेशनल कैपिटल रीजन में सबसे खतरनाक हिस्सा है, जिसके नीचे से एक या दो नहीं बल्कि 7 फॉल्ट लाइन गुजर रही हैं.
हिमालय से बेहद करीब होने के कारण भी दिल्ली में ज्यादा भूकंप
नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली ज्यादा बड़े भूकंपों का केंद्र नहीं रहा है, लेकिन हिंदुकुश रीजन और हिमालय में आने वाले भूकंप इसे बेहद प्रभावित करते हैं. ये दोनों इलाके भूगर्भ में कंपन के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं. दिल्ली की दूरी हिमालय से महज 180 किलोमीटर है और इस कारण वहां भूगर्भ के अंदर एक भी प्लेट में होने वाली हलचल का असर दिल्ली की धरती के अंदर भी दिखाई देता है. पिछले 30 दिन में दिल्ली के आसपास आए 22 भूकंप में भी 90% का एपिसेंटर हिमालय के अंदर ही रहा है.
खतरे के लिहाज से तीन जोन में बांटा गया है दिल्ली को
दिल्ली में 295 साल पहले बेहद भयानक भूकंप आया था, जिसका एपिसेंटर दिल्ली के ही नीचे थे. इस भूकंप में जान और माल का बेहद नुकसान हुआ था. इसके बाद आए भूकंप के आंकड़ों के लिहाज से केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने दिल्ली को 3 जोन हाई हेजर्ड जोन, लौ हेजर्ड जोन और मॉडरेट जोन में बांट रखा है.
हाई हेजर्ड जोन में हैं ये इलाके
हाई हेजर्ड जोन पूरी दिल्ली में पूर्वी, मध्य और उत्तरी इलाकों में छोटे-छोटे पैच में बंटे हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा इलाके यमुना के दोनों तरफ के तटों से सटे हुए हैं. इनमें पूर्वी दिल्ली की बेहद घनी बसावट वाली और कमजोर नींव के मकानों वाली कॉलोनियां हैं. इनके अलावा वीआईपी लुटियन जोन भी इसी जोन में आता है, जिसमें संसद भवन, सभी केंद्रीय मंत्रालय और वीआईपी रेजिडेंशियल इलाके आते हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी का नॉर्थ कैंपस, सरिता विहार, गीता कॉलोनी, शकरपुर, पश्चिम विहार, वजीराबाद, रिठाला, रोहिणी, जहांगीरपुरी, बवाना, करोल बाग और जनकपुरी के इलाके हाई हेजर्ड जोन में भी 'बेहद ज्यादा खतरनाक' इंडेक्स पर आते हैं, जबकि इंदिरा गांधी एयरपोर्ट, नजफगढ़ और बुरारी 'बेहद खतरनाक' इंडेक्स पर है.
जेएनयू, एम्स, छतरपुर इलाके हैं सबसे सेफ
पिछले दिनों आई मंत्रालय की दिल्ली में सिस्मिक मैप की 1:10,000 स्केल पर आधारित रिपोर्ट के हिसाब से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, एम्स, छतरपुर और नारायणा आदि इलाके भूकंप के लिहाज से सबसे सुरक्षित हैं. हौज खास और वसंत कुंज के इलाके भी लौ हेजर्ड जोन में आते हैं.
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