Delhi Assembly Elections 2025 : दिल्ली में फिलहाल जो माहौल है, उसमें दुष्यंत कुमार का एक शेर याद आ रहा है. 

कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं
गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं

अब तो इस तालाब का पानी बदल दो
ये कंवल के फूल कुम्हलाने लगे हैं

1997 से कुम्हलाए हुए कमल को दिल्ली में प्रत्याशियों की सूची जारी कर बीजेपी ने पुनर्जीवित कर दिया है. जिस तरह अभी बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रंट फुट पर बैटिंग करते हुए आप और कांग्रेस को घेरा, बीजेपी के खेमे में एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ, जिससे प्रत्याशी और कार्यकर्ता दोनों ही जोश में आ गए हैं. 

ऊर्जा का लेवल कुछ ऐसा है, जिसे देखकर तमाम राजनीतिक पंडित अभी से ये भविष्यवाणियां करने लग गए हैं केंद्र की तरह ही राजधानी दिल्ली में भी भाजपा का इक़बाल बुलंद होगा और कमल खिलेगा.  

ध्यान रहे दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा ने रणनीतियां बनाने की शुरुआत तो बहुत पहले ही कर दी थी.  लेकिन जिस तरह पीएम मोदी ने अरविंद केजरीवाल और आतिशी को निशाने पर लिया.  इतना तो साफ़ है कि भाजपा महसूस करती है कि आम आदमी पार्टी के दस साल के शासन के खिलाफ ‘सत्ता विरोधी लहर’ है.

साथ ही वो ये भी मानती है कि आप द्वारा व्याप्त करप्शन और कुशासन का मुद्दा जनता के सामने हैं. वर्तमान में दिल्ली की फिजा बदल कर राजनीतिक हो गई है. दिल्ली का किला भेदने के लिए भाजपा ने साम, दाम, दंड, भेद एक करने की शुरुआत कर ही दी है.  तो इस बार भाजपा जिन मुद्दों पर वर्तमान सरकार को घेर रही है, वो हाई फाई न होकर कुछ ऐसे हैं जिन्हें दिल्ली की जनता अपने से जोड़कर देखती है.

इस बात को समझने के लिए हम बीते दिनों हुई पीएम मोदी की उस रैली का अवलोकन कर सकते हैं जिसमें उन्होंने उन मुद्दों पर प्रकाश डाला जिनको लेकर दिल्ली की जनता भी अपनी चुनी हुई सरकार से सवाल कर रही है. 

जी हां चाहे वो गड्ढा युक्त सड़कें हों. या फिर उसमें चलती डीटीसी की बसें, नालियों, जलभराव, से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा तक पीएम मोदी हर उस लोकल बात पर वोकल हुए जिनका सीधा संबंध दिल्ली की जनता से था.  

दिल्ली विधानसभा चुनावों के तहत देने के लिहाज से अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो ही भाषण दिए हैं.  लेकिन इन संबोधनों में जैसे उनके तेवर रहे हैं इतना तो जाहिर हो गया है कि 2025 का किला फ़तेह करने के लिए हर उस छोटी से छोटी बात का ख्याल रखा जा रहा है, जो जीत के लिहाज से निर्णायक होगी.

जिक्र दिल्ली और विधानसभा चुनावों का हुआ है तो भले ही 'प्रवेश वर्मा' सुर्खियों में हों. लेकिन भाजपा की तरफ से पीएम मोदी को ही चुनाव प्रचार के लिए पार्टी का चेहरा बनाया जा रहा है.

चाहे वो केजरीवाल का शीशमहल हो या फिर दिल्ली की हवा और पानी. हर चीज से केजरीवाल को घेरा जा रहा है.  और दिलचस्प ये कि इन तमाम चीजों को लेकर केजरीवाल की चुप्पी, दिल्ली की जनता को स्वतः ही इस बात के संकेत दे रही है कि कहीं तो आप की तरफ से चूक हुई है.  और ये ख़ामोशी उसी सिलसिले के मद्देनजर है.  

भाजपा का लगातार इस बात को दोहराना कि, दिल्ली की जनता को डबल इंजन की सरकार चाहिए. ये बताने के लिए काफी है कि, आगे जैसे जैसे दिन बीतेंगे, हम ऐसी तमाम चीजों के साक्षी बनेंगे.  जिनको देखने के बाद इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि भाजपा न केवल दिल्ली के लिए गंभीर है.  बल्कि रण जीतकर एक धमाकेदार वापसी करने को आतुर भी है.

चूंकि दिल्ली जैसी जगह पर आम आदमी पार्टी और पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल अपनी गहरी पैठ बना चुके हैं. इसलिए उनकी भी प्लानिंग को किसी भी सूरत में कम नहीं आंका जा सकता.

चाहे वो मुफ्त बिजली और महिलाओं से किया गया 2,100 रुपये का वादा हो. या फिर पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने 18000 रुपये की पेशकश. केजरीवाल समर्थन इन वादों को वो ब्रह्मास्त्र मान रहे हैं, जिनका फ़िलहाल कोई तोड़ भाजपा, पीएम मोदी और बीजेपी थिंक टैंक के पास नहीं है. 

क्योंकि आप और कांग्रेस से लेकर भाजपा तक सभी की नजर 'बीपीएल' पर है. इसलिए दिल्ली में बीजेपी की तरफ से एक बड़ा दांव खेलने का प्रयास हुआ और प्रधानमंत्री ने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को पक्का मकान देने की पेशकश कर डाली. जिस अब आम आदमी पार्टी के गले में फंसी हुई हड्डी की तरह देखा जा रहा है. 

बहरहाल जिक्र दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी द्वारा व्याप्त भ्रष्टाचार का हुआ है. तो ये एक ऐसा मुद्दा है जो दिल्ली में सरकार का पलड़ा इधर उधर रखने की बिसात रखता है. इसके अलावा आरोपों के बावजूद जिस तरह शीशमहल पर केजरीवाल संग पूरी पार्टी की चुप्पी है, हम फिर इस बात को दोहरा रहे इससे पार्टी को काफी नुकसान होने वाला है. 
 
खैर,आप के बैड गवर्नेंस, दिल्ली की हवा, दूषित यमुना को आधार बनाकर केजरीवाल और उनकी पार्टी के खिलाफ भाजपा बहुत सधी हुई बैटिंग कर रही है. 

क्योंकि नजर आम लोगों के बलबूते मिलने वाली जीत और फिर दिल्ली के तख़्त पर है. अगर बीजेपी इसी लाइन लेंथ पर खेलती है तो यक़ीनन साल 2025 वो साल बनेगा जब दो दशकों का सूखा समाप्त होगा और वो कमल जो 1997 में कुम्हला चुका था अपने पूरे सौंदर्य के साथ खिलेगा. 

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Url Title
Delhi Assembly Elections 2025 how strategy from BJP and PM Modi might put Arvind kejriwal AAP and congress in trouble
Short Title
कुम्हलाए हुए कमल को दिल्ली में प्रत्याशियों की सूची जारी कर पुनर्जीवित कर गए PM
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच लड़ाई दिलचस्प हो गई है
Date updated
Date published
Home Title

कुम्हलाए हुए 'कमल' को दिल्ली में प्रत्याशियों की सूची जारी कर पुनर्जीवित कर गए PM Modi! 

Word Count
910
Author Type
Author