आम आदमी पार्टी, कांग्रेस या फिर भारतीय जनता पार्टी? दिल्ली का दंगल कौन जीतता है? अगले कुछ दिनों में दिल्ली के साथ साथ देश की जनता को पता चल जाएगा. लेकिन जिस तरह की टक्कर दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इन तीनों दलों में दिखाई पड़ रही है इतना तो निश्चित है कि दिल्ली की लड़ाई दिलचस्प होने वाली है.

ध्यान रहे दिल्ली विधानसभा चुनावों में जीत की चाशनी में डूबी मलाई का भोग लगा सकें. तीनों ही दल साम, दाम, दंड, भेद एक करते नजर आ रहे हैं. प्रयास कैसे हैं इसका अंदाजा तीनों ही पार्टियों के इलेक्शन मेनिफेस्टो को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है. 

बता दें कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बाद भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना इलेक्शन मेनिफेस्टो जारी कर दिया है. भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में महिलाओं को 2500 रुपये देने के अलावा फ्री बिजली, फ्री पानी जैसे तमाम अन्य वादे किये हैं.  

हैरत होती है ये देखकर कि वो चुनाव आयोग, जो अपनी प्रेस कांफ्रेंस से देश की जनता को ये ऐतबार दिलाता है कि वो एक निष्पक्ष और ईमानदार चुनाव कराएगा. आखिर क्यों उसे अलग अलग दलों की मुफ्त रेवड़ियां अपनी तरफ आकर्षित नहीं करती हैं? क्यों इस पर  कोई एक्शन नहीं लिया जाता? 

क्या 2025 आते आते छोटे-बड़े तमाम दल इस बात को  समझ चुके हैं कि 'काम' और विकास सब अपनी जगह है.  वास्तव में वजनदार वो रेवड़ियां हैं जो वोट पलटने का असली सामर्थ्य रखती हैं. 

दिल्ली विधानसभा चुनावों को देखें और गहनता से इसका अवलोकन करें तो कहने और बताते को यूं तो तमाम चीजें हमारे सामने आती हैं.  मगर जिस एक विषय पर हमें हर हाल में बात करनी चाहिए वो हैं महिलाएं.  जी हां बिलकुल सही सुना आपने. चाहे वो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस हों या फिर भारतीय जनता पार्टी. सभी का पूरा फोकस महिलाओं पर है. 

जिक्र दिल्ली विधानसभा चुनावों और महिलाओं के संदर्भ में हुआ है. तो बताते चलें कि दिल्लीमें 71.74 लाख महिला मतदाता हैं. दिल्ली चुनावों में महिला मतदाताओं के प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 31 सीटों पर 2020 में महिला मतदाताओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया.

इन 31 सीटों में से 28 पर आप विजयी हुई - जिसका मुख्य कारण विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा घोषित सार्वजनिक बसों में मुफ्त यात्रा थी.

ध्यान रहे कि चुनावी वादों के माध्यम से दिल्ली की महिला मतदाताओं को आकर्षित करने का ये चलन 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा शुरू किया गया था, जिन्होंने 'लाडली' योजना शुरू की थी. जिसके तहत एक लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवार में जन्म लेने वाली प्रत्येक बालिका की शिक्षा के लिए बैंक में 10,000 रुपये जमा किए गए थे.

5 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने महिला मतदाताओं को आकर्षित करने में सबसे आगे रहते हुए मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत उन महिलाओं को 2,100 रुपये देने का वादा किया है, जिनकी पारिवारिक आय 3 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम है.

इस योजना के लिए नामांकन भी शुरू किया गया था, लेकिन यह प्रक्रिया कानूनी पचड़े में पड़ गई, क्योंकि दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से इसे अस्वीकार कर दिया. 

गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा जारी किए गए भाजपा के 'संकल्प पत्र' में महिलाओं को 2,500 रुपये मासिक आर्थिक सहायता देने का वादा किया गया है, जो दिल्ली कांग्रेस द्वारा गरीब महिलाओं को दी जाने वाली सहायता राशि के बराबर है.

भाजपा ने महिलाओं के लिए मासिक सहायता को 'महिला समृद्धि योजना' कहा है. जबकि कांग्रेस ने इसे 'प्यारी दीदी योजना' नाम दिया है. 5 फरवरी को मतदान के दिन से पहले, भाजपा नेता मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह उनकी पार्टी है जो महिलाओं से किए गए वादे को पूरा करेगी.

सबूत के तौर पर वे हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे भाजपा शासित राज्यों में दी जा रही मासिक वित्तीय सहायता का हवाला दे रहे हैं. वहीं केजरीवाल का दावा है कि सार्वजनिक परिवहन बसों में महिलाओं के लिए मुफ़्त यात्रा एक ऐसी योजना है जिसकी शुरुआत उन्होंने देश में की है.

माना जाता है कि इस योजना का 2020 के चुनाव के नतीजों पर बहुत बड़ा असर पड़ा और आप तीसरी बार सत्ता में आई. क्योंकि केजरीवाल की मंशा चौथी बार सत्ता में आना है. इसलिए उन्होंने युवा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए इस योजना का विस्तार करते हुए छात्रों को मुफ्त बस यात्रा की पेशकश की तथा मेट्रो रेल किराये में 50 प्रतिशत छूट का प्रस्ताव रखा है.

केजरीवाल के इस वादे पर राजनीतिक विश्लेषकों का तर्क यही है कि अगर ये फार्मूला काम कर गया तो फिर दिल्ली में केजरीवाल की जीत को शायद ही कोई रोक पाए. 

जैसा कि हम ऊपर ही इस बात से अवगत करा चुके हैं कि दिल्ली में दलों का एकमात्र उद्देश्य महिलाओं को रिझाना है. इसलिए भाजपा गरीब महिला मतदाताओं की नजरों में भी बने रहना चाहती है और उसने घोषणा की है कि यदि 5 फरवरी के चुनाव के बाद उसकी पार्टी अगली सरकार बनाती है तो दिल्ली में मुफ्त बस यात्रा सहित सभी जन कल्याणकारी योजनाएं जारी रहेंगी.

बताते चलें कि भाजपा के घोषणापत्र में गर्भवती महिलाओं को 21,000 रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता और छह पोषण किट देने का वादा किया गया है, इसके अलावा पहले बच्चे के लिए 5,000 रुपये और दूसरे बच्चे के लिए 6,000 रुपये दिए जाएंगे.

एक्सपर्ट्स का तर्क है कि ये वादे देश के बाकी हिस्सों में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत दिए जाने वाले लाभों की तर्ज पर प्रतीत होते हैं जो अब तक शहरों में उपलब्ध नहीं था.

भाजपा और आप के बाद एक बार फिर हम कांग्रेस का जिक्र करना चाहेंगे. दिल्ली कांग्रेस ने महिलाओं के मासिक घरेलू खर्च को आसान बनाने के लिए मुफ्त मासिक राशन किट देने का वादा किया है.

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि सभी गरीबों को 5 किलो चावल, 2 किलो चीनी, 1 लीटर खाना पकाने का तेल, 6 किलो दाल और 250 ग्राम चाय वाली मासिक राशन किट मुफ्त दी जाएगी.

बहरहाल, दिल्ली चुनावों में ऊंट किस करवट बैठता है और आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस में से बाजी कौन अपने नाम करता है? इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन चुनाव पूर्व जैसा माहौल है और जिस तरह दल महिलाओं को टकटकी बांधे देख रहे हैं. इतना तो साफ़ हो गया है कि दिल्ली का भविष्य तय करने में महिलाएं निर्णायक भूमिका में रहने वाली हैं.  

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Delhi Assembly Elections 2025 After AAM Aadmi Party and Congress now women voters top agenda for BJP schemes for females
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दिल्ली चुनाव में महिलाओं को रिझाने के लिए क्या कुछ कर रही हैं पार्टियां?
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Delhi Assembly Elections 2025: महिलाओं को रिझाने के लिए क्या कुछ कर रही हैं पार्टियां?

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