Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेजी पकड़ती जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री व AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) इस बार भी नई दिल्ली विधानसभा सीट (New Delhi Assembly Seat) से चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा (BJP) ने उन्हें घेरने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे और पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा (Pravesh Verma) को उतारा है, जो जाट नेता हैं. प्रवेश वर्मा को घेरने के लिए अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को अचानक दिल्ली के जाट समुदाय को ओबीसी आरक्षण नहीं मिलने का मुद्दा उठा दिया है, जिसे लेकर प्रवेश वर्मा ने ऐन चुनाव के मौके पर ही इसकी याद क्यों आने का आरोप लगाकर केजरीवाल पर पलटवार किया है. केजरीवाल के चुनावी माहौल में जाट आरक्षण का मुद्दा उठाने को बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि दिल्ली में जाट समुदाय अहम वोट बैंक रहा है. साहिब सिंह वर्मा और फिर प्रवेश वर्मा के कारण जाट वोटर अब तक भाजपा समर्थक माने जाते रहे हैं, लेकिन पिछले चुनाव में जाटों ने आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) का दामन थामा था. ऐसे में केजरीवाल एक बार फिर इस वोट बैंक को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं. चलिए आपको बताते हैं इस वोट बैंक का क्या है दिल्ली चुनाव में गणित, जिस पर दोनों पार्टियों की है नजर.

पहले जानिए केजरीवाल ने क्या कहा है
अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर दिल्ली के जाट समाज को धोखा देने का आरोप लगाया है. उन्होंने गुरुवार को कहा,'राजस्थान का जाट दिल्ली में नौकरी या कॉलेज एडमिशन लेने आता है तो उसे आरक्षण मिलता है, लेकिन दिल्ली के जाट समाज को आरक्षण नहीं मिलता. केंद्र सरकार  की ओबीसी लिस्ट में दिल्ली का जाट समाज नहीं आता है. दिल्ली सरकार की ओबीसी लिस्ट में जाट समाज शामिल है. ये हमारे दिल्ली के जाट समाज के भाइयों-बहनों के साथ बड़े अन्याय जैसा है. दिल्ली के जाट समाज को भाजपा ने बड़ा धोखा दिया है.' उन्होंने कहा,'जाट समाज से अमित शाह ने प्रवेश वर्मा के आवास पर मुलाकात की थी. उन्होंने दिल्ली के जाटों को ओबीसी लिस्ट में शामिल करने का वादा किया था. पीएम मोदी 4 बार ये वादा कर चुके हैं, लेकिन ऐसा किया नहीं गया है.'

प्रवेश वर्मा ने किया है क्या पलटवार
केजरीवाल के जाट समाज की बात करने पर प्रवेश वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर पलटवार किया है. उन्होंने कहा,'केजरीवाल 10 साल से सत्ता में है, लेकिन उन्हें चुनाव से 25 दिन पहले ही क्यों जाट समाज की याद आई है? उन्होंने 10 साल में दिल्ली के जाटों को ओबीसी में शामिल करने का एक भी प्रस्ताव केंद्र सरकार को नहीं भेजा. एक बार भी विधानसभा में इसे लेकर प्रस्ताव पारित नहीं कराया है. केजरीवाल ने दिल्ली के किसानों के साथ धोखा किया है. किसान सम्मान निधि के लिए केजरीवाल ने केंद्र सरकार को कोई सूची नहीं भेजी है. आउटर दिल्ली की 28 सीटों के सभी गांवों के सभी जातियों के वोटरों ने बैठक करके तय किया है कि इस बार आप को वोट नहीं देना है. इसके चलते केजरीवाल घबराए हुए हैं.'

अब समझिए दिल्ली में जाट वोट बैंक का गणित
दिल्ली के वोटर्स में जाट समाज की संख्या करीब 18% है, जो करीब 22% जनसंख्या वाले पंजाबी खत्री के बाद दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है. दिल्ली के 364 में से 225 गांव में जाटों की संख्या 20% से ज्यादा है यानी करीब 60% गांवों पर जाटों का दबदबा है. दिल्ली विधानसभा की 70 में से महरौली, मुंडका, रिठाला, नांगलोई, मटियाला, नजफगढ़ और बिजवासन समेत 8 सीट ऐसी हैं, जिन पर जाटों का प्रभुत्व है यानी यहां जाट समाज के समर्थन वाला कैंडिडेट ही जीतता है.

हिंदू समुदाय पर है जाटों की प्रभावी पकड़
दिल्ली में करीब 81% हिंदू वोटर हैं. इनमें सबसे संगठित वोट बैंक जाट समुदाय का ही रहा है यानी वे एक ताकत के तौर पर किसी एक पार्टी के समर्थन में ही वोट करते हैं, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित किया जा सकता है. खासतौर पर राष्ट्रीय राजधानी के ग्रामीण इलाकों में प्रभाव के चलते जाट समुदाय की पकड़ दिल्ली के अन्य हिंदू वोटर्स पर भी रही है. 

आप ने लगाई थी पिछले चुनाव में सेंध, उसे ही बरकरार रखना चाहते हैं केजरीवाल
दिल्ली के जाट समुदाय का झुकाव पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के कारण BJP की तरफ रहा है. उनके निधन के बाद भी जाट समाज भाजपा का ही कोर वोटर माना जाता रहा है. यहां तक कि केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने साल 2013 में जाट समुदाय को ओबीसी आरक्षण दिया था, जिसे प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर खारिज कर दिया था. इससे जहां उत्तर प्रदेश और हरियाणा में जाट वोट बैंक ने भाजपा से मुंह मोड़ा था, वहीं दिल्ली का जाट वोटर फिर भी भाजपा के साथ ही खड़ा रहा था. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में AAP ने भाजपा के जाट समीकरण में सेंध लगाई थी और जाट बहुल 8 में से 5 सीटों पर आप कैंडिडेट ने जीत हासिल की थी. केजरीवाल अब मतदान से ठीक पहले जाट आरक्षण का मुद्दा उठाकर अपनी इसी बढ़त को बरकरार रखने की कोशिश में हैं.

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दिल्ली में कितने प्रभावी हैं जाट वोटर्स, जिन्हें लेकर Arvind Kejriwal और Pravesh
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Delhi Assembly Election 2025
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दिल्ली में कितने प्रभावी हैं जाट वोटर्स, जिन पर केजरीवाल और प्रवेश वर्मा में छिड़ी तकरार

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