चैंपियंस ट्रॉफी जिसे मिनी-विश्व कप का संस्करण माना जाता है, हाल के इतिहास में खेला गया सबसे उबाऊ ICC टूर्नामेंट है. इंग्लैंड द्वारा खेले गए मैचों को छोड़ दें तो इस पूरे टूर्नामेंट में अब तक जितने भी मैच हुए, एकतरफा रहे. और कहीं न कहीं दर्शकों को वो रोमांच नहीं मिल पाया जिसके लिए क्रिकेट अपनी एक विशेष पहचान रखता है. किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल इस ट्रेंड को तोड़ देगा, और अप्रत्याशित परिणाम देगा. धीमी, मरती हुई पिच पर जिस तरह भारत ने ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त दी. कई बातें खुद में साफ़ हो गयी हैं और साबित हो गया है कि दुनिया भर में शायद ही किसी टीम में दम हो कि अब वो भारत के विजय रथ को रोक पाए.
2021 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसके गढ़ में हराया था, जिसकी गेंदबाजी इकाई को कुल मिलाकर सिर्फ़ चार टेस्ट खेलने का अनुभव था. दुबई में ऑस्ट्रेलिया वास्तविक भारतीय किले में खेल रहा था, जिसमें लेग स्पिनर एडम ज़म्पा ने अपने अनुभव को आधार बनाकर अच्छा अटैक किया. मगर हुआ वही, जो मैच शुरू होते साथ तमाम भारतीय क्रिकेट फैंस के अलावा ट्रेविस हेड जैसे धुरंधर को भी लग गया था.
ऑस्ट्रेलिया जिसे चैंपियंस ट्रॉफी शुरू होने से पहले तक ख़िताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, घर जा चुकी है. जिस तरह का मैच हुआ और बॉलिंग से लेकर बैटिंग तक जैसा टीम इंडिया का प्रदर्शन रहा, कह सकते हैं कि जब भी ऑस्ट्रेलिया ने सपने देखने की हिम्मत की, भारत ने उनके मुंह पर मुक्का मारा और खेल को उसके अपरिहार्य अंत से भटकने नहीं दिया और ऐतिहासिक जीत दर्ज की.
दुबई में हुए भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया मैच में जिस तरह की बैटिंग का प्रदर्शन भारत ने किया. वो इस लिए भी अतुलनीय है क्योंकि क्रिकेट के इतिहास में कम ही ऐसे मौके आते हैं जब टीम का प्रत्येक खिलाड़ी पर्सनल स्कोर्स या रिकार्ड्स के लिए न खेलकर अपने देश के लिए खेलता है. और भारत के मामले में हमें यही चीज देखने को मिली.
कप्तान रोहित शर्मा से लेकर हार्दिक पंड्या और रविंद्र जडेजा तक, टीम इंडिया के जितने भी बल्लेबाजों ने बैटिंग की सबका उद्देश्य टीम को जीत दिलाना और ऑस्ट्रेलिया को पीट कर ख़िताब को अपने नाम करना था.
भले ही 98 गेंदों में 84 रनों की शानदार पारी खेलने वाले विराट कोहली अपने शतक से चूक गए हों. लेकिन जिस तरह उन्होंने रन चीज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जैसे दूसरे छोर पर केएल राहुल ने उनका साथ दिया कह सकते हैं दर्शकों और तमाम क्रिकेट फैंस को एंटरटेनमेंट का वो डोज मिला जिसके लिए खेलों की दुनिया में क्रिकेट एक अलग पहचान रखता है.
अब जबकि संडे को खेले जाने वाले फाइनल के साथ चैंपियंस ट्रॉफी अपने समापन की तरफ है और भारत फाइनल में पहुंच गया है. इसलिए हमारे लिए पाकिस्तान पर भी बात कर लेना बहुत ज़रूरी हो जाता है. पाकिस्तान को 1996 के बाद ICC इवेंट की मेज़बानी करने का मौक़ा मिला.
पाकिस्तान ने अपने स्टेडियमों को सजाने-संवारने में लाखों खर्च किए, अच्छी कमाई का सपना देखा और यहां तक कि पाक-अधिकृत कश्मीर के कुछ हिस्सों में ट्रॉफी ले जाने की योजना बनाकर कुछ पीआर भी किए. लेकिन, हुआ क्या दुनिया ने देख लिया है.
भारत से हार के बाद पाकिस्तान मुकाबले से बाहर हो गया और चैंपियंस ट्रॉफी जीतने का उसका सपना बस एक सपना ही रह गया. भारत के चलते पाकिस्तान के अरमान अधूरे रह गए हैं. उसे बाहर जाने से ज्यादा इस बात का मलाल है कि दुबई की जमीन पर उसे भारत के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा है.
बेचैनी का आलम कुछ ऐसा है कि अपनी शर्मिंदगी छुपाने के लिए अब पाकिस्तान इस बात को दोहरा रहा है कि चैंपियंस ट्रॉफी तो फिर भी छोटी चीज है अब वो सीधे वर्ल्ड कप पर अपनी दावेदारी स्थापित करेगा.
बहरहाल, भारत दुबई में एक चैंपियन टीम की तरह खेल रहा है. यह कम स्कोर का बचाव कर रहा है और उचित रूप से कठिन लक्ष्यों का पीछा कर रहा है (मंगलवार को 265 रन का स्कोर 2013 के बाद से सबसे अधिक था.) यह विरोधियों को आउट कर रहा है, इसके बल्लेबाज अपनी इच्छानुसार शतक बना रहे हैं (और खुद को इससे वंचित कर रहे हैं)
कुल मिलाकर वर्तमान फॉर्म में भारत अजेय दिख रहा है. चूंकि अभी फाइनल होना बाकी है इसलिए देखना दिलचस्प रहेगा कि भारत कैसी पारी खेलता है? बाकी जैसा ऑस्ट्रेलिया की हार के बाद जैसा टीम का उत्साह है, महसूस यही हो रहा है कि फाइनल जीतना भी भारत के लिए बेहद आसान होने वाला है.
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