शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने और मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद, उदारवादियों का एक वर्ग था, जिसने इस बात की दुहाई दी थी कि अब यक़ीनन मुल्क के हालात बदलेंगे और बदहाली से निकलकर बांग्लादेश विकास के रास्ते पर चलेगा. लेकिन क्या ऐसा हुआ? जवाब है नहीं. वर्तमान में मुल्क अशांति की चपेट में है. जगह जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. मुल्क में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है उनके मंदिरों को तोड़ा जा रहा है. इन घटनाओं के बाद भी अगर कोई ये सोच रहा है कि हालात बदलेंगे और बांग्लादेश में स्थिति संभलेगी तो निश्चित तौर पर वो गफलत में है.
हो सकता है उपरोक्त बातों को जानकर या पढ़कर कोई विचलित हो जाए और सवाल करे. तो ऐसे में हमें बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी के उस वीडियो को देखना चाहिए जो इंटरनेट पर तैर रहा है और जिसमें उनके द्वारा इंडियन प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने की बात की जा रही है.
जी हां सही सुन रहे हैं आप रिज़वी ने न केवल ढाका में अपनी पत्नी की भारतीय साड़ी को जलाते हुए भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. बल्कि कार्यक्रम में मौजूद लोगों से अपील की है कि वो भी उनका अनुसरण करते हुए भारतीय चीजों से दूरी बना लें.
Bangladeshi politician Ruhul Kabir Rizvi burned his wife's Indian saree in protest against disrespect shown towards Bangladesh's flag and deliberate propaganda spread against Bangladesh by India pic.twitter.com/n5zmJtiJN8
— 𝐋𝐚𝐫𝐚 🇧🇩 (@LaraLotus_) December 5, 2024
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विरोध प्रदर्शन के दौरान रिजवी ने सार्वजनिक तौर पर अपनी पत्नी की भारतीय साड़ी को जलाते हुए लोगों से कहा कि वह भारत से आने वाली चीजों को न खरीदें. रिजवी ने कहा कि, जिन लोगों ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज को फाड़ा है, हम उनका कोई भी सामान नहीं लेंगे.
रिजवी ने भारत पर बड़ा हमला करते हुए कहा है कि, हमारी माता-बहनें अब भारतीय साड़ी नहीं पहनेंगी. और न ही भारतीय साबुन या टूथपेस्ट इस्तेमाल करेंगी. मसलों और सब्जियों पर बात करते हुए रिजवी ने ये भी कहा कि, हम मिर्च और पपीता भी खुद उगा लेंगे. हमें उनके (भारतीय) सामान की जरूरत नहीं है. विरोध प्रदर्शन के दौरान रिजवी ने बड़ा आरोप लगते हुए कहा है कि भारत ने बांग्लादेश की संप्रभुता को कमजोर करने की कोशिश की है.
रिज़वी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि भारतीय प्रोडक्ट्स का समर्थन करने के बजाय हमें अपनी अर्थव्यवस्था में निवेश करना चाहिए. वहीं उनका ये भी मानना है कि भारतीय प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट शांतिपूर्वक लेकिन सबसे ताकतवर जवाब है. रिजवी के मुताबिक चाहे हम (बांग्लादेशी आवाम)दिन में एक ही बार खाना खा पाएं लेकिन उसके बाद भी हम गर्व से खड़े होंगे और आत्मनिर्भर रहेंगे.
ये अपने में हास्यास्पद है कि रिज़वी को इस गतिरोध के बीच इस बात की अनुभूति हो रही है कि बांग्लादेश आत्मनिर्भर है और हर उस चीज का प्रोडक्शन कर सकता है जो वोई भारत से लेता है लेकिन क्या वास्तगव में ऐसा है? जवाब है नहीं। बताते चलें कि बांग्लादेश चावल, गेहूं, प्याज, लहसुन, चीनी, कॉटन, अनाज, रिफाइंड पेट्रोलियम, इलेक्ट्रिक उपकरण, प्लास्टिक और इस्पात के लिए भारत पर निर्भर है.
बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग भारत से जाने वाले कच्चे माल पर निर्भर है. अगर भारत से बांग्लादेश का संबंध और बिगड़ता है तो उसका निर्यात प्रभावित होगा. इसका असर जीडीपी पर पड़ेगा और फिर महंगाई के साथ बेरोज़गारी बढ़ेगी. बांग्लादेश के लिए भारत से संबंध ख़राब होने की क़ीमत चुकाना आसान नहीं होगा.
कह सकते हैं कि वर्तमान में जिस हाल में बांग्लादेश है उसका बहिष्कार के रूप में पंगा कहीं से भी आसान नहीं होने वाला. और दिलचस्प ये कि कहीं न कहीं बांग्लादेश भी इस बात को बखूबी समझता है. बांग्लादेश में हुक्मरान इस बात को जानते हैं कि ये भारत ही था जो कोविड के बुरे वक़्त में सबसे पहले उसकी मदद के लिए आगे आया था.
बहरहाल अब जबकि बांग्लादेश ने अपने कुछ नेताओं के जरिये भारत के खिलाफ बिगुल फूंक ही दिया है. तो हमारे लिए भी ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि आने वाले वक़्त में भारत विरोधी उसकी ये मुहीम एक असफल योजना इसलिए भी साबित होगी क्योंकि बांग्लादेश में कई चीजों का आधार ही भारत है.
बांग्लादेश, भारत से लड़ाई लड़ तो लेगा. लेकिन जैसे हाल हैं फिर उसके पास बचाने को या ये कहें कि संभालने को कुछ बचेगा नहीं. बाकी जिस तरह बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है. उससे इतना तो साफ़ है कि अगर बांग्लादेश वक़्त रहते नहीं संभला तो शायद ही भविष्य में कोई उसकी मदद के लिए सामने आए.
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कोशिश कर ले बांग्लादेश, Boycott India उसके बस की बात नहीं, क्यों? कारण तमाम हैं!