Assembly Elections 2024 Results Updates: झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों और 13 राज्यों की 46 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम अब पूरी तरह स्पष्ट हो चुके हैं. महाराष्ट्र में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने लैंडस्लाइड विक्ट्री हासिल की है तो उत्तर प्रदेश में भी उपचुनावों में उसका परचम सपा के मुकाबले बेहद ऊंचा रहा है. झारखंड में भाजपा भले ही हेमंत सोरेन का किला पूरी तरह नहीं भेद सकी है, लेकिन उसके नेतृत्व में NDA का प्रदर्शन बहुत ज्यादा खराब भी नहीं रहा है. ऐसे में अब उन सभी फैक्टर्स की चर्चा शुरू हो गई है, जो भाजपा (BJP) के लिए यूपी से लेकर महाराष्ट्र तक खेवनहार साबित हुए हैं. सबसे ज्यादा चर्चा उन नारों की हो रही है, जिन्हें लेकर चुनाव प्रचार के दौरान जमकर विवाद हुआ और भाजपा के सहयोगी दल भी नाक-भौं सिकोड़ते हुए नसीहत देते हुए नजर आए. हालांकि अब रिजल्ट के बाद कहा जा रहा है कि इन नारों ने जनमानस को भाजपा खेमे के पक्ष में एकजुट होने में सबसे अहम भूमिका निभाई है.
योगी-मोदी के नारों ने सुलगा दिया था सियासी माहौल
लोकसभा चुनावों में भाजपा को झारखंड से लेकर महाराष्ट्र तक और उत्तर प्रदेश में रिजल्ट के तौर पर कड़वे घूंट पीने पड़े थे. इसके चलते विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में भाजपा पर कुछ अलग करने का दबाव था. इसी कारण भाजपा ने इन चुनावों के लिए ज्यादा तवज्जो अपनी चिरपरिचित हिंदुत्व के मुद्दे पर जनमानस को एकजुट करने की रणनीति को ही दी थी. इसके चलते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खासतौर पर महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी ज्यादा रैलियां रखी गईं थीं. इस रणनीति का मकसद योगी की फायर ब्रांड इमेज के जरिये जनता को हिंदुत्व के मुद्दे पर वोट देने के लिए प्रेरित करना था.
योगी आदित्यनाथ ने रैलियों में जब 'बंटोगे तो कटोगे' नारे को रखा तो भाजपा के सहयोगी दल एनसीपी (अजित पवार) ने ही ऐतराज जताना शुरू कर दिया, लेकिन भाजपा ने अपनी रणनीति नहीं बदली. रही-सही कसर इस नारे का विरोध करके कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने पूरी कर दी. नतीजतन हिंदू समुदाय भाजपा के झंडे तले एकजुट हो गया. योगी आदित्यनाथ के इस नारे को सपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया, जिन्होंने अपनी रैलियों में 'एक रहोगे तो सेफ रहोगे' का नारा देकर हिंदू वोटर्स से जाति के आधार पर नहीं बंटने की अपील की. एकतरफ राहुल गांधी अपनी रैलियों में लगातार जातीय जनगणना का मुद्दा उठा रहे थे, वहीं पीएम मोदी यह नारा देकर बिना कुछ बोले राहुल के मुद्दे की काट कर रहे थे. अब रिजल्ट सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि ये दोनों नारे भाजपा के खेवनहार साबित हुए हैं.
RSS के साथ ने दी इन नारों को तीखी धार
हालांकि एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि योगी-मोदी के इन नारों ने भाजपा के लिए जमीन जरूर तैयार की थी, लेकिन इन नारों को असली धार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने दी. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में भाजपा को मिले झटके का बड़ा कारण प्रचार अभियान के दौरान संघ के निष्क्रिय रहने को माना गया था. उस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के भाषणों में भी साफ दिख रहा था कि भाजपा नेतृत्व का अपने इस वैचारिक संगठन के साथ तालमेल बढ़िया नहीं चल रहा है, लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद दोनों पक्षों में रिश्ते सुधरे हैं. इसका असर हरियाणा से लेकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव तक भी दिखा था, जहां संघ कार्यकर्ता पहले की तरह बूथ पर भाजपा के लिए वोटर जुटाने में सक्रिय दिखे थे. अब यही काम महाराष्ट्र, झारखंड के विधानसभा चुनावों और कई राज्यों के उपचुनावों में भी हुआ है. हालांकि झारखंड में संघ कार्यकर्ता अपेक्षित रिजल्ट नहीं दिला सके, लेकिन बाकी राज्यों में उन्होंने योगी-मोदी के नारों को आगे रखकर भाजपा के लिए जो नींव तैयार की, माना जा रहा है कि शनिवार (23 नवंबर) को आए रिजल्ट उसी का परिणाम हैं.
हरियाणा में 'एक्सपेरिमेंट', अब 'सक्सेसफुल प्रॉडक्ट'
योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री मोदी ने ये दोनों नारे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए तैयार नहीं किए थे. याद कीजिए दोनों नेताओं ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी इन नारों से ही हिंदू समुदाय को एकजुट रहने का संदेश दिया था. उस समय भी इनकी बेहद चर्चा हुई थी और नतीजा भाजपा के पक्ष में एकतरफा जीत के तौर पर आया था. अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश उपचुनाव में भी इन नारों को जमकर सफलता मिली है. इसके बाद कहा जा रहा है कि ये नारे हरियाणा में 'एक्सपेरिमेंट' थे, लेकिन अब ये नारे 'सक्सेसफुल प्रॉडक्ट' बन गए हैं.
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