लेबनान में IDF ने बड़ा एक्शन लेते हुए हिजबुल्लाह के 1600 ठिकानों को निशाना बनाया है. बताया जा रहा है कि इस हमले में इजरायल की तरफ से लेबनान पर 10 हजार रॉकेट दागे गए हैं. हमले में अब तक 558 लोगों की मौत हुई है और करीब 1,835 लोग घायल हुए हैं. बताया तो यहां तक जा रहा है कि 2006 में इजरायल -लेबनान युद्ध के बाद लेबनान पर हुआ यह अब तक का सबसे बड़ा हमला है. 

इजरायल द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद बड़ा सवाल यह है कि क्या यह किसी बहुत बड़े युद्ध की शुरुआत है? ये बातें यूं ही नहीं हैं. घटना का अवलोकन करें तो मिलता है कि आज भी लेबनान में हिजबुल्लाह के पास 150,000 मिसाइलों का शस्त्रागार मौजूद है.

ऐसे में सवाल यह है कि क्या इस मुश्किल वक़्त में हिजबुल्लाह इस्तेमाल करने की क्षमता और इरादा रखता है? यदि इन सवालों का जवाब हां है तो हिजबुल्लाह और लेबनान चुप नहीं बैठेंगे. तय है कि इस क्षेत्र में एक विनाशकारी संघर्ष होने वाला है, जो पूरी दुनिया में हलचल मचा देगा.

कयास ये भी हैं कि यदि ऐसा होता है तो पूरा मिडिल ईस्ट इस युद्ध की चपेट में आ जाएगा. बताते चलें कि पश्चिमी और इजरायली खुफिया एजेंसियों द्वारा लगातार यही दावे किये जा रहे हैं कि शिया मिलिशिया ने दक्षिणी लेबनान की पहाड़ियों में तमाम ऐसी मिसाइलें छुपा रखी हैं जो मध्य पूर्व के साथ साथ पूरे विश्व को दहलाने के लिए काफी हैं. 

कहा ये भी जा रहा है कि हिजबुल्लाह के पास ऐसी भी मिसाइलें हैं जो 10,000 किलोमीटर दूर जाकर हमला कर सकती हैं. यदि ऐसा है तो हिजबुल्लाह इजरायल में बड़ी तबाही मचा सकता है. सवाल यह भी है कि क्या हिजबुल्लाह इस ज़बरदस्त शस्त्रागार को छोड़ देगा?

ध्यान रहे अब तक, इसने उत्तरी सीमा पर सीमित संख्या में ही मिसाइलें दागी हैं. तो, क्या अब उसके पास ऐसा करने की क्षमता है? पिछले हफ़्ते इजरायल ने हिज़्बुल्लाह की क्षमताओं को बहुत नुकसान पहुंचाया था. ध्यान रहे इजरायल द्वारा किये गए हमले का खामियाजा हिजबुल्लाह के कई प्रमुख कमांडरों के अलावा संचार प्रणाली को भुगतना पड़ा था. 

गौरतलब है कि हाल ही में पेजर और वॉकी-टॉकी हमलों ने हिजबुल्लाह को काफ़ी हद तक कमज़ोर कर दिया है. लेकिन सिर्फ़ इसकी तकनीकी क्षमता ही महत्वपूर्ण नहीं है - उसे इन मिसाइलों का ईमानदारी से इस्तेमाल करने के लिए ईरान से अनुमति लेनी होगी.

बताया ये भी जाता है कि तेहरान में हिजबुल्लाह के संरक्षकों ने हिजबुल्लाह के हवाई शस्त्रागार के लिए बड़ी कीमत चुकाई है. यह समूह अपनी शक्ति और ताकत बनाए रखने के लिए ईरानी धन और संरक्षण पर निर्भर करता है. ईरान और इजरायल के गतिरोध को समझने वालों का ये भी मानना है कि ईरान मिसाइलों को उस दिन के लिए रखना चाहता है जब कोई बड़ी घटना हो. 

क्या इजरायल के अभूतपूर्व हमले के बाद अपनी रणनीति बदलेगा हिजबुल्लाह?

इस सवाल का जवाब हमें ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के एक भाषण में मिलता है, जो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए न्यूयॉर्क में दिया था. उन्होंने इजरायल पर 'जाल बिछाने' और व्यापक युद्ध चाहने का आरोप लगाया था.

दिलचस्प ये कि ईरानी राष्ट्रपति  का लहजा आक्रामक नहीं था. उनकी टिप्पणियों का निहितार्थ यह था कि ईरान ऐसे जाल में नहीं फंसेगा. यानी यदि भविष्य में कुछ होता है तो यक़ीनन हिजबुल्लाह अपने बचाव में अपनी मिसलियों का इस्तेमाल करेगा.

यहां हमें इस बात पर भी गौर करना होगा कि ईरान के नेता निश्चित रूप से ईरान के सहयोगी हिजबुल्लाह को आगे बढ़ने के लिए नहीं कह रहे है. माना यही जा रहा है कि इजरायल को जवाब कोई 'दूसरा' देगा.  

बहरहाल, युद्ध को लेकर कहा यही जाता है कि युद्ध विज्ञान आधारित नहीं होता. जिक्र चूंकि एक संगठन के रूप में  हिजबुल्लाह का हुआ है तो बता दें कि जैसा अब तक देखा गया है हिजबुल्लाह एक अनुशासित संगठन है, लेकिन अब यह अव्यवस्थित हो गया है. 

हाल के दिनों में इजरायल ने इसे पहले से कहीं ज़्यादा उकसाया है. क्या इसे और ज़्यादा विनाशकारी कार्रवाई के लिए उकसाया जा सकता है? सवाल तमाम है जिसका जवाब हमें वक़्त देगा लेकिन जैसा वर्तमान है उसको देखकर इतना तो तय है कि पूरा विषय एक बड़ी त्रासदी का गवाह बनने वाला है.

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 After Israel Air Strike on Lebanon Will Iran allow Hezbollah to take further actions and use missiles
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इजरायली हमले के बाद क्या रहेगी Lebanon- Hezbollah को Iran की नसीहत? 
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इजरायल के हमलों के बाद पूरा लेबनान दहल गया है
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इजरायल के हमलों के बाद पूरा लेबनान दहल गया है 

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इजरायली हमले के बाद क्या रहेगी Lebanon- Hezbollah को Iran की नसीहत? 

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