गाज़ा पट्टी. मौजूदा वक़्त में इजरायल ने इसका जो हाल किया, आशा से रहित इस क्षेत्र में, युद्ध विराम की संभावना उम्मीदों की नयी किरण लाती हुई नजर आ रही है. लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस समझौते के बारे में अभी भी बहुत अनिश्चितता है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो गाजा में हिंसा, जिसने 467 दिनों तक इस क्षेत्र को तबाह कर रखा है, रुक जाएगी. उम्मीद जताई जा रही है कि युद्ध विराम के बाद गाज़ा एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर होगा.
सीजफायर को लेकर बातें कितनी भी क्यों न हो जाएं. सवाल अब भी जस का तस है कि युद्ध विराम समझौते के दीर्घकालिक रूप से सफल होने की कितनी संभावना है?
यह समझौता अल्पावधि में कम से कम लड़ाई को विराम देगा. शायद इसे वास्तविक युद्ध विराम के बजाय शत्रुता की समाप्ति के संदर्भ में देखना बेहतर होगा.
गाजा में हमास के नेतृत्व वाले स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल के सैन्य अभियान के दौरान 45,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं. 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमलों में लगभग 1,200 लोगों के मारे जाने और 250 लोगों को बंधक बनाए जाने के बाद इजरायल ने अपनी प्रतिक्रिया शुरू की.
इजरायल के लिए, पहले चरण में इस समझौते के तहत 33 बंधकों को रिहा किया जाएगा, जिन्हें हमले वाले दिन अपहरण किए जाने के बाद से पट्टी के अंदर रखा गया है. हालांकि, यह किसी से छिपा नहीं है कि इस बिंदु तक पहुंचना गाज़ा और इजरायल के लिए कितना मुश्किल रहा है.
ध्यान रहे पूर्व में सुलह के मौके तो कई आए लेकिन कुछ न कुछ ऐसा होता रहा जिसने सुलह को प्रभावित किया. इजरायल हमास के बीच सुलह की इन बातों के बीच एक वर्ग वो भी है, जिसका मानना है कि यह समझौता इसलिए भी अस्पष्ट है क्योंकि इसका उद्देश्य बस सीमा को पार करना भर है.
इजरायल हमास गतिरोध को समझने वाले तमाम एक्सपर्ट्स ऐसे हैं. जिनका मानना है कि आगे भविष्य में अभी भी बहुत कुछ गलत हो सकता है और जवाबों की तुलना में प्रश्न अधिक हैं.
हमास वार्ता में शामिल है, लेकिन इज़राइल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि युद्ध के बाद के गाजा में उसका कोई स्थान नहीं हो सकता.
इन बातों के बीच एक्सपर्ट्स ये भी मानते हैं कि भले ही इजरायल के चलते हमास कमजोर पड़ गया हो. लेकिन अब भी इसे पराजित नहीं माना जा सकता. यानी भविष्य में भी हमास आसानी से सत्ता छोड़ दे इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी है.
कह सकते हैं कि यह अस्पष्टता ही भयावह आशंका को जन्म देती है कि लड़ाई किसी भी समय फिर से शुरू हो सकती है. माना जा रहा है कि अभी भी कई मुख्य मुद्दे अनसुलझे हैं.
जिक्र अगर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हो तो उनका जवाब एक सुधारित फिलिस्तीनी प्राधिकरण है, लेकिन प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अतीत में कहा था कि यह इजरायल को स्वीकार्य नहीं है कि हमास गाज़ा में किसी भी भूमिका में रहे.
जहां तक मध्यस्थों का सवाल है, वो यही उम्मीद लगाए हैं कि सौदा शुरू हो सकता है और बातचीत से यही उम्मीद जताई जस रही है कि दोनों पक्षों में स्थायी युद्धविराम लाने के लिए विश्वास पैदा किया जा सकता है. लेकिन अगर यह सब विफल हो जाता है तो हम हिंसा की वापसी देख सकते हैं.
इज़राइल के अंदर भी युद्ध विराम को लेकर मिले जुले रिएक्शन आ रहे हैं. इसका मतलब है कि नेतन्याहू इसे अस्थायी या स्थायी दोनों के रूप में पेश कर सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किससे बात कर रहे हैं या किसे खुश करने की कोशिश कर रहे हैं.
वहीं इस समझौते या ये कहें कि इस युद्ध विराम का समर्थन करने वाले इस बात को लेकर खुश हैं कि जब तक वार्ता जारी रहेगी, तब तक कोई लड़ाई नहीं होगी. ध्यान रहे कि पिछले कुछ वर्षों में युद्ध विराम समझौते के कई प्रयास हुए हैं. जिनमें से ज्यादातर दीर्घकालिक शांति लाने में विफल रहे हैं.
बार-बार विफलताओं का यह पैटर्न इस बार सफलता की संभावना पर संदेह पैदा करता है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि दोनों पक्षों के बीच अविश्वास और दुश्मनी का लंबा इतिहास रहा है.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments
क्या इजरायल-हमास के बीच सीजफायर होगा कामयाब? अलग दास्तां बता रहे हैं समीकरण!