तारीख- 19 नवंबर 2023. अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में लाखों दर्शकों के सामने खड़े रोहित शर्मा. टूर्नामेंट में अजेय रही टीम इंडिया को मैच शुरू होने से पहले तक विजेता माना जा रहा था. एक बार जब मुकाबला शुरू हुआ तो ट्रैविस हेड नाम के चक्रवात ने अकेले ही भारतीय फैन्स की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. प्रेजेंटेशन के दौरान रोहित की जुबान से जैसे शब्द ही नहीं निकल पा रहे थे. हार के गम में हंसना तो वैसे भी संभव नहीं था, लेकिन रोहित जैसे रो भी नहीं पा रहे थे. जीत-हार से ज्यादा उन्हें इस बात की निराशा थी कि वे करोड़ों फैन्स की उम्मीदों को पूरा करने में नाकाम रहे थे. अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को विश्व चैंपियन बनाने का उनका सपना अधूरा रह गया था.
करीब डेढ़ साल बाद दुबई के स्टेडियम में जब रोहित खड़े थे तो माहौल एकदम अलग था. टीम इंडिया खिताब अपने नाम कर चुकी थी. दर्शकों के शोर-शराबे और आतिशबाजियों के बीच प्रेजेंटेशन के लिए आए रोहित के चेहरे की खुशी साफ दिख रही थी, लेकिन वे संतुष्ट नहीं थे. उनका सपना अब भी अधूरा था. इन डेढ़ सालों में वे अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को टी-20 का विश्व चैंपियन बना चुके थे, लेकिन अहमदाबाद की वो टीस अब भी बाकी है. वनडे फॉर्मेट में चैंपियन बनाने का उनका एजेंडा अब भी पूरा नहीं हुआ. रोहित ने हालांकि ये स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है. रिटायरमेंट की अफवाहों को दरकिनार करते हुए उन्होंने इशारा कर दिया कि उनका अगला टार्गेट 2027 में होने वाला वनडे वर्ल्ड कप है. रोहित ने ताल तो ठोक दी है, लेकिन क्या वे अगले दो साल तक खेल पाएंगे.
टीम इंडिया में रोहित शर्मा के भविष्य को लेकर उठ रहे सवालों के दो प्रमुख कारण हैं- पहला उनकी उम्र और दूसरी फिटनेस. रोहित 37 साल के हो चुके हैं. उनके बल्ले की आग कमजोर नहीं पड़ी, लेकिन करीब डेढ़ दशक तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के बाद स्वाभाविक रूप से उनमें अब वैसी फुर्ती नहीं रही. जवानी के दिनों में रोहित सेफ फील्डर माने जाते थे. वनडे मैचों में अक्सर उन्हें बाउंड्री पर तैनात किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. रोहित अब या तो स्लिप में खड़े होते हैं या फिर 30 गज के दायरे के अंदर जहां ज्यादा भाग-दौड़ की जरूरत नहीं होती. रोहित का हालिया फॉर्म भी उनके भविष्य पर सवालिया निशान खड़े करता है. बीते एक साल से टेस्ट मैचों में उनका परफॉर्मेंस बेहद खराब रहा है. हालत ये हो गई थी कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के अंतिम मैच में उन्हें खुद को ही ड्रॉप करने का फैसला लेना पड़ा था. टी-20 और वनडे मैचों में वे टीम को तूफानी शुरुआत तो देते हैं, लेकिन बड़ी पारियां खेलने में अब वो निरंतरता नहीं रही.
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अब सवाल आता है सुनील गावस्कर का जिन्हें प्रेजेंटेशन के दौरान रोहित ने जवाब दिया था. दरअसल, फाइनल मैच से पहले गावस्कर ने रोहित की बैटिंग पर सवाल खड़े किए थे. गावस्कर ने कहा था कि रोहित आते ही ताबड़तोड़ बल्लेबाजी शुरू कर देते हैं और जल्दी आउट हो जाते हैं. वे टिककर बैटिंग करें तो टीम को ज्यादा फायदा हो सकता है. रोहित ने इसका जवाब देते हुए 2019 का वर्ल्ड कप याद किया जब उन्होंने खूब रन बनाए थे, लेकिन टीम हार गई. इसके उलट चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने केवल एक हाफ सेंचुरी लगाई, लेकिन भारत खिताब जीतने में सफल रहा. उन्होंने साफ कह दिया कि वे अपनी बैटिंग स्टाइल में कोई बदलाव नहीं करेंगे.
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रोहित शर्मा अपने करियर के उस पड़ाव पर हैं जहां उन्हें कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है. आईपीएल से लेकर टेस्ट क्रिकेट तक, एक कप्तान और खिलाड़ी के रूप में वे अपनी धाक जमा चुके हैं. अब समय अपने अधूरे सपनों को पूरा करने का है और रोहित की लिस्ट में वनडे वर्ल्ड कप सबसे ऊपर है. वे कपिलदेव और महेंद्र सिंह धोनी की उपलब्धियों को दोहराना चाहते हैं. उम्र और फिटनेस इसमें आड़े जरूर आ सकती है, लेकिन क्रिकेट के बारे में कहा जाता है कि ये टैलेंट से ज्यादा जोश और जज्बे का खेल है. इसमें रोहित किसी से कमतर नहीं हैं...और फिर दो साल का वक्त बीतने में समय कितना लगता है.
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गावस्कर को जवाब दे दिया, रिटायरमेंट का हिसाब कर दिया, चैंपियंस ट्रॉफी भी जीत गए लेकिन अधूरा सपना पूरा कर पाएंगे रोहित शर्मा?