डीएनए हिंदी: इस समय बाजार में सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने लोगों को परेशान कर दिया है. जो लोग टमाटर किलो में खरीदते थे आज वो ग्राम में खरीदते नजर आ रहे हैं. लगभग एक महीने पहले की बात करें तो जो टमाटर थोक मंडी 1 रुपये प्रतिकिलो के भाव से बिक रहा था. आज वो लगभग 200 रुपये किलो के भाव से बिक रहा है. महंगाई के इस होड़ में हरी मिर्च भी कम नहीं है. टमाटर को देखकर मिर्ची ने भी अपने भाव बढ़ा लिए हैं यानी मिर्च 160 रुपये प्रतिकिलो बिक रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, रविवार को शाहजहांपुर में सबसे महंगा टमाटर 133 रुपये प्रतिकिलो बिका और सबसे सस्ता लोहरदगा में 11 रुपये प्रतिकिलो रहा.
बात करें दूसरी सब्जियों की तो नेनुआ 50 - 60 रुपये, तरोई 40 - 60 रुपये, करेला 50-60 रुपये प्रतिकिलो और बैगन 60 रुपये के हिसाब से बिक रहा है. यहां केवल आलू ही 15 रुपये और प्याज 25 रुपये प्रतिकिलो के रेट से मिल रहा है. कुशीनगर में रविवार को भिंडी 50 रुपये, देशी परवल 80-100 रुपये और लौकी 40 रुपये प्रतिकिलो रहा.
उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा जारी टमाटर के रेट
शाहजहांपुर- 133
चित्रकूट- 130
रामनाथपुरम- 123
बस्ती- 120
धार - 120
सिंगरौली- 120
गोड्डां - 120
नामची - 120
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20 रुपये प्रतिकिलो से कम रेट वाले शहर
लोहरदगा- 11
पुरुलिया - 11
बांका - 14
वैशाली - 14
रामपुर- 16
बुलंदशहर- 16
कन्नौज- 16
नवादा- 16
शाहडोल- 17
देवघर- 18
रामगढ़- 18
अंगुल- 19
विश्वनाथ चराली- 19
मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा उत्पादक शहर रायसेन जिले में टमाटर 160 रुपये प्रतिकिलो बिका. पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के बाकी जगहों पर टमाटर की कीमतें 120 – 150 रुपये प्रतिकिलों रहीं.
देश में टमाटर की बढ़ती कीमतों ने लोगों की नीदें उड़ा रखी हैं. जहां लोग किलो- किलो टमाटर खरीदते थे वो लोग आज ग्राम में टमाटर खरीद रहे हैं. लोगों की परेशानियो को देखते हुए केंद्र सरकार ने टमाटर की कीमतों को जल्द ही कम करने का फैसला लिया है.
टमाटर की कीमतों को कम करने के लिए सरकार ने टोमेटो ग्रैंड चैलेंज हैकथॉन का आयोजन किया है इसके द्वारा जनता सरकार को टमाटर की कीमते कम करने के लिए सुझाव दे सकती हैं. केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय इस हैकथॉन के द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों से इन्नोवेटिव आइडिया की तलाश कर रही हैं.
बात करें भारत में टमाटर की पैदवार कि तो दक्षिण व पश्चिम क्षेत्रों में टमाटर का कुल उत्पादन 55- 60 फीसदी होता है. टमाटर का पीक सीजन दिसंबर से फरवरी होता है और टमाटर का कम उत्पादन जुलाई से अगस्त होता है.
केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री पीयूष गोयल ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि जुलाई, अगस्त में मानसून के कारण टमाटर के सही वितरण ना होने से टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है. उन्होंने आगे बताया कि जल्द ही हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के कुछ हिस्सों से टमाटर के आयात से टमाटर की कीमतों में कमी आ सकती हैं.
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, टमाटर के पिछले साल और इस साल की कीमतों में ज्यादा अंतर नहीं है. वहीं, आलू और प्याज के रेट पूरी तरह स्थिर है. सरकार के बयान के मुताबिक, टमाटर की कीमते जल्द ही कम की जा सकती है.
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