डीएनए हिंदी: नीति आयोग (NITI Aayog) ने उन खबरों का खंडन किया है जिनमें दावा किया जा रह था कि सरकार के टॉप थिंक-टैंक ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों की एक सूची जारी की है जिनका निजीकरण किया जाएगा. नीति आयोग (NITI Aayog) ने शुक्रवार यानी कि 6 जनवरी को एक स्पष्टीकरण जारी किया जिसमें उसने ऐसी किसी भी सूची को साझा करने से स्पष्ट रूप से इनकार किया.
इसमें कहा गया है कि "पब्लिक सेक्टर के बैंकों के निजीकरण पर नीति आयोग द्वारा साझा की गई सूची के संबंध में मीडिया में एक काल्पनिक संदेश प्रसारित किया जा रहा है." " नीति आयोग ने स्पष्ट किया कि उसने ऐसी कोई भी सूची साझा नहीं की है."
बजट आने में कुछ ही हफ्ते बाकी हैं, ऐसे में बैंकों के निजीकरण को लेकर कयासों का बाजार गर्म है. मीडिया के एक वर्ग ने बताया कि सरकार बैंकिंग संस्थानों के संभावित निजीकरण के लिए व्यापक तैयारी करने की प्रक्रिया में है.
इन रिपोर्ट्स में नीति आयोग का भी हवाला दिया गया है और कहा गया है कि थिंक-टैंक ने एक सूची जारी की है, जिसमें बताया गया है कि किन वित्तीय संस्थानों का निजीकरण किया जाएगा और किसे बिक्री से बाहर रखा जाएगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने पिछले बजट में बैंकों के निजीकरण और आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की बात कही थी. तब से, बैंकों का निजीकरण एनालिस्ट, अर्थशास्त्रियों और बैंकरों के बीच सबसे अधिक चर्चित विषयों में से एक रहा है.
हालांकि, बैंक यूनियन ने हमेशा सार्वजनिक सेवा बैंकों के निजीकरण (Privatization of Public Service Banks) के विचार का कड़ा विरोध किया है, कई विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि निजीकरण बैंकिंग क्षेत्र की चल रही चुनौतियों से कुछ राहत दिला सकता है.
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