डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. अब इस जंग का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ने लगा है. आज यानी कि बुधवार 2 मार्च को भारतीय बाजार 1 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट के साथ खुला. साथ ही यूक्रेन क्राइसिस (Ukraine Crisis) को लेकर क्रूड ऑयल में तेजी आने से भारतीय बाजार की हालत और खस्ता होती जा रही है. वहीं ग्लोबल मार्केट पर भी रूस और यूक्रेन के जंग का असर साफ देखा जा सकता है. बता दें कि रूस के आक्रामक रुख और पश्चिमी देशों के मास्को पर लगातार कड़े प्रतिबंधों से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है. फिलहाल कच्चे तेल की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई है. आइए जानते हैं भारतीय बाजार में लगातार गिरावट की क्या वजहें हैं?
रूस-यूक्रेन वार
वैश्विक बाजार में गिरावट की मुख्य वजह रूस का यूक्रेन पर हमला माना जा रहा है. पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसकी वजह से रूस में आर्थिक तंगी की स्थिति पैदा हो गई है. बता दें कि स्विफ्ट फाइनेंशियल नेटवर्स को रूस से अलग करने से उसकी अपनी 630 अरब डॉलर के फाइनेंशियल रिजर्व को इस्तेमाल करने की कैपेसिटी स्थिर हो गई है. इस वजह से कई कंपनियों ने अपना निवेश निकालना शुरू कर दिया है.
क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतें
एनर्जी की सप्लाई में रुकावट आने की वजह से इन्वेस्टर्स के सेंटीमेंट को तगड़ा झटका लगा है. अमेरिका और उससे सहयोगियों के डिमांड को सपोर्ट देने के लिए अपने स्ट्रेटेजिक रिजर्व से 6 करोड़ डॉलर क्रूड रिलीज करने पर सहमत होने के बावजूद ब्रेंट क्रूड 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चल रहा है.
कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होने से महंगाई और बढ़ेगी. बता दें भारत अपनी तेल की जरूरतों का कम से कम 80 प्रतिशत आयात करता है.
कमजोर सकल घरेलू उत्पाद
भारत की तीसरी तिमाही की जीडीपी (GDP) ग्रोथ सालाना आधार पर 5.4 प्रतिशत रही. उम्मीद जताई जा रही थी कि यह 5.9 प्रतिशत जायेगा. इसकी खास वजह सरकारी खपत और फिक्स्ड कैपिटल मार्जिन में कमी रही है.
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