डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का असर वैश्विक व्यापार जगत पर देखने को मिल रहा है. मौजूदा समय में ब्रेंट क्रूड ऑयल जहां 130 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है. वहीं दुनियाभर में ईंधन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स के दामों को लेकर डर बना हुआ है.
हालांकि यूक्रेन पर हमला करने के बाद से रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का दौर जारी है. अब तक रूस के ऊपर स्विफ्ट पेमेंट, वीजा और मास्टरकार्ड को लेकर बैन लगाया जा चुका है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इन्हीं प्रतिबंधों से नाराज होकर कहा कि वह यूरोपीय देशों को गैस की आपूर्ति बंद कर देंगे.
बता दें यूरोपी देशों में ज्यादातर गैस आपूर्ति रूस से होती है. ऐसे में यह समझना बेहद जरूरी है कि यूरोपीय देशों पर अगर यह प्रतिबंध लगा तो उनके पास क्या विकल्प बचेगा?
गैस कैसे बनाए जाते हैं?
आमतौर पर नेचुरल गैस धरती की सतह में करोड़ों सालों से जमा होते हैं. ये गैस कई सारे केमिकल्स से बनकर तैयार होते हैं. अमूमन इन्हे कुएं से निकाला जाता है. मौजूदा समय में रूस विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गैस निर्यातक है और यह लगभग 80 प्रतिशत गैस आपूर्ति करता है.
भारत को कहां से गैस मिलता है?
साल 2019 तक कतर से भारत को LNG की सप्लाई की जाती थी. मार्च 2021 तक भारत के घरेलू कच्चे तेल उत्पादन में 5.2 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस उत्पादन में 8.1 प्रतिशत की गिरावट आई. वहीं अगस्त 2021 में कच्चे तेल के उत्पादन में 2.3 प्रतिशत की कमी आई लेकिन घरेलू प्राकृतिक गैस में 20.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई. मौजूदा समय में भारत देश में गैस आपूर्ति कतर, रूस, ऑस्ट्रेलिया, नार्वे जैसे देशों से होती है.
यूरोप ने तेल-गैस पर क्यों नहीं लगाया प्रतिबंध
यूरोपीय संघ ने बीते डेढ़ हफ्तों में जहां रूस पर कई कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं वहीं गैस और तेल को इस प्रतिबंध से दूर रखा है. हालांकि अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस से तेल लेने पर रोक लगा दी है लेकिन गैस का नाम अभी इस लिस्ट से कोसों दूर है. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि रूस खुद ही यूरोप के लिए गैस आपूर्ति बंद कर सकता है.
गैस के लिए रूस पर निर्भर हैं यूरोपीय देश
यूरोपीय देशों में गैस आपूर्ति का बड़ा हिस्सा रूस से होता है. इस लिहाज से यूरोपीय देश गैस आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर हैं. बता दें रूस यूरोपीय संघ के लिए आयात की जाने वाली प्राकृतिक गैस का 40 प्रतिशत से ज्यादा आपूर्ति करता है. हालांकि रूस अगर गैस आपूर्ति ठप्प कर देता है तो ऐसी स्थिति में यूरोपीय देशों को लिक्विड नेचुरल गैस यानी LNG आपूर्ति करने वालों की मदद लेनी होगी.
मालूम हो कि यह गैस समुद्री रास्ते से जलपोत से आती है. साल 2020 तक विश्व में LNG के मुख्य आपूर्तिकर्ता ऑस्ट्रेलिया, कतर और अमेरिका थे. इसमें भी कतर यूरोप के सबसे पास है लेकिन वहां की सरकार अभी यूरोप को गैस देने के नाम पर चुप है. कतर का कहना है कि वह यूरोपीय देशों के लिए अपने दीर्घावधि गैस समझौता नहीं तोड़ेंगे. इन समझौतों के परे उसके पास गैस के कुल उत्पादन की केवल दस प्रतिशत गैस ही बचती है.
LNG गैस की किल्लत को जर्मनी कैसे दूर करेगा?
जर्मनी गैस की परेशानी को दूर करने के लिए देश के नॉर्थ में दो LNG टर्मिनल बनाएगा. बता दें पहली बार जर्मनी में LNG के टर्मिनल बनेंगे. दक्षिण यूरोप के कुछ देश पहले से ही गैस के लिए दूसरी व्यवस्था की तलाश कर रहे हैं. 2020 के आंकड़ों के मुताबिक पुर्तगाल ने 56 प्रतिशत गैस नाईजीरिया से ली और 17 प्रतिशत अमेरिका से मंगाई. स्पेन भी LNG की तरफ बढ़ चुका है जबकि इटली और ग्रीस ने अमेरिका और कतरबसे गैस खरीदी है. रूस के पड़ोसी लिथुआनिया में एक LNG टर्मिनल ने काम करना शुरू कर दिया है जिससे बाल्टिक देशों के अलावा फिनलैंड और पोलैंड में गैस की परेशानी खत्म होगी.
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