डीएनए हिंदी: सोमवार को रुपया अब तक के ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गया. कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में लगातार वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति को लेकर चिंता बनी हुई है. संभावना जताई जा रही है कि रिजर्व बैंक जल्द ही ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है.

Depreciation की वजह

एक्सपर्ट्स ने रुपये में गिरावट को लेकर चार कारणों को मुख्य माना है. तेल की कीमतें, डॉलर की कमी, स्टॉक मार्केट में गिरावट की वजह से कर्ज बढ़ने और कैरी ट्रेड को खोलना.

कोविड की वजह से आई गिरावट

22 अप्रैल 2020 को कोविड महामारी की वजह से रुपये ने अपने पिछले रिकॉर्ड 76.9050 के निचले स्तर को तोड़ दिया था. 

ब्रेंट क्रूड ऑयल 130 डॉलर प्रति बैरल पहुंचा

 ब्रेंट क्रूड ऑयल फिलहाल 130 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है. साल 2008 में यह अपने सबसे उच्चतम स्तर पर तब पहुंचा था जब अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूसी तेल के इंपोर्ट पर रोक लगा दी थी. बता दें रुपये के गिरने की यह भी वजह है कि भारत में ज्यादातर एनर्जी से संबंधित चीजों का आयात होता है और कच्चे तेल की घटती बढ़ती कीमत रुपए पर असर डालता है.

7 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा सेंसेक्स

30 स्टॉक्स वाले सेंसेक्स की ओपनिंग काफी कमजोर हुई और यह 1,966.71 प्वाइंट पर लुढ़क गया. हालांकि 1,491.06 प्वाइंट यानी 52,842.75 पर खुद को सीमित कर लिया. NSE निफ्टी 382.20 प्वाइंट गिरकर यानी 2.35 प्रतिशत की गिरावट के साथ 15,863.15 पर बंद हुआ.

RBI की योजना

यूक्रेन पर जिस तरीके से संकट बढ़ता जा रहा है ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि क्या आरबीआई (RBI) ब्याज दरों में वृद्धि करके मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की कोशिश करेगा. भारतीय रिजर्व बैंक आमतौर पर रुपये में तेज चाल को नियंत्रित करने के लिए सरकारी बैंकों के जरिए डॉलर बेचता है. मार्च की शुरुआत तक विदेशी मुद्रा भंडार 631.53 बिलियन डॉलर था. अब तक के आंकड़ों को देखा जाए तो RBI ने आर्थिक विकास को संभालने और नीति को अनुकूल रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है.

यूक्रेन क्राइसिस का प्रभाव

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) ने रूस को यूक्रेन पर हमले को लेकर चेताया था. साथ ही यह भी कहा था कि मास्को पर लगाए गए प्रतिबंधों से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. हाल के दिनों में खाद्य और ऊर्जा की कीमतों में उछाल आया है और आपूर्ति श्रृंखला चरमरा गई है. इस वजह से मुद्रास्फीति पर दबाव में वृद्धि हुई है. हालांकि पॉलिसी मेकर्स ने इससे निपटने के लिए पहले ही इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं.

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Russia-Ukraine Crisis: Rupee prices reached the lowest level ever, know the reason behind it
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Russia-Ukraine Crisis: अब तक के निचले स्तर पर पहुंची रुपये की कीमतें
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Russia-Ukraine Crisis: अब तक के निचले स्तर पर पहुंची रुपये की कीमतें, जानें क्या हैं इसके पीछे की वजह