डीएनए हिंदी: देश में पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol-Diesel Price) तेजी से बढ़ रहे हैं. आज भी पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 80 पैसे की बढ़ोतरी की है. ऐसे में देश पर महंगाई की अतिरिक्त मार पड़ रही है और केंद्र सरकार (Modi Government) के खिलाफ देश का गुस्सा तेजी से बढ़ रहा है. इन बढ़ी हुए पेट्रोल-डीजल की कीमतों का सीधा संबंध रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में आसमान छू रही कच्चे तेल की कीमतें (Crude Oil Price) हैं. इस बीच कच्चे तेल को लेकर भारत का आक्रामक रुख सामने आया है और वित्त मंत्री ने कहा है कि भारत की प्राथमिकता सस्ता कच्चा तेल है.
भारत खरीदेगा सस्ता क्रूड ऑयल
वित्त मंत्री के एक बयान से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि देश में जल्द ही पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol-Diesel Price) कम हो सकते हैं. दरअसल, रूस-यूक्रेन जंग के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने साफ कर दिया है कि देश को डिस्काउंट पर फ्यूल चाहिए. रूस के ऑफर के बाद से ही भारत ने सस्ता तेल खरीदना शुरू कर दिया है और भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद (Crude Purchase from Russia) जारी रखेगा.
यूरोप के कई देशों ने खरीदा है तेल
वित्त मंत्री ने कच्चे तेल के रूस से आयात को लेकर कहा, "मैं अपनी ऊर्जा सुरक्षा और अपने देश के हित को सबसे पहले रखूंगी. अगर आपूर्ति छूट पर उपलब्ध है, तो मुझे इसे क्यों नहीं खरीदना चाहिए?" उन्होंने कहा कि यूरोप ने रूस से एक महीने पहले की तुलना में 15% ज्यादा तेल और गैस खरीदी है. तो हम क्यों न खरीदें. उन्होंने कहा कि हमने रूसी तेल खरीदना शुरू कर दिया है और कम से कम 3 से 4 दिनों के लिए तेल खरीदा है.
गौरतलब है कि भारत आने वाले दिनों में ऐसे ही रूस से सस्ता कच्चा तेल लेना जारी रख सकता है जो कि भारत के लिए एक सकारात्मक स्थिति होगी. वहीं इससे ना केवल देश में पेट्रोल डीजल के दाम कम होंगे बल्कि महंगाई को कंट्रोल करने में भी सरकार को मदद मिलेगी.
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कवर हो सकता है कंपनियों का मार्जिन
अब वित्त मंत्री के इस बयान के मायन यह निकाले जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में सस्ते ऑयल से कंपनियों के मार्जिन में भी सुधार होगा. इसके अलावा केंद्र एवं राज्य सरकारें भी एक्साइज ड्यूटी और वैट में भी राहत दे सकती है. ऐसे में एक बार फिर पेट्रोल डीजल की आसमान छूती कीमतें कंट्रोल में आ सकती है. गौरतलब है कि भारत अपनी खपत का लगभग 85 फीसदी तेल आयात करता है जो कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार के कारण अस्थिर रहती हैं.
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