डीएनए हिंदी: देश में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel Price) और गैस की बढ़ती कीमतों से परेशान आम आदमी के लिए अब खाद्य तेल और महंगा होने वाला है. दुनिया के सबसे बड़े पॉम आयल उत्पादक इंडोनेशिया ने बीते शुक्रवार को 28 अप्रैल से पॉम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. इंडोनेशिया (Indonesia) के इस एक फैसले से पॉम ऑयल के सबसे बड़े आयातक यानी भारत की मुश्किलें बढ़ गई हैं चलिए समझते हैं कि आखिर यह कैसे भारत में पॉम ऑयल की कीमतों पर बुरा असर डालने वाला फैसला है. 

पॉम ऑयल क्यों बिगाड़ेगा खेल ? 

पिछले 6 महीनों के आयात के आकड़ें बताते हैं कि भारत तेल आयात में Palm Oil का हिस्सा करीब 47 फीसदी का रहा है. वहीं सोयाबीन तेल और सूरजमुखी के तेल की हिस्सेदारी क्रमश: 34 फीसदी और  19 फीसदी रही है. यूक्रेन और रुस की लड़ाई (Russia-Ukraine War) की वजह से सूरजमुखी तेल की आपूर्ति पर प्रभाव पड़ा था. भारत के आयात में सूरजमुखी का तेल का हिस्सा पॉम आयल की तुलना में काफी कम है. इस वजह से तेल के दामों में कोई खास उछाल नहीं आया था.  

वहीं इंडोनेशिया में पॉम ऑयल के निर्यात पर बैन को लेकरक सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने बताया, “इंडोनेशिया की इस घोषणा से शीर्ष खरीदार भारत और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं को नुकसान होगा.” 

खाद्या तेल आयात (अंतिम 6 महीने) फीसदी में आंकड़े
     
पॉम ऑयल 26,53,253  47
सोयाबीन का तेल 19,44,804  34
सूरजमुखी 10,55,861  19

भारत में बढ़ सकती हैं कीमतें

इस समय देश में आने वाले पॉम ऑयल का करीब 37 फीसदी हिस्सा इंडोनेशिया से आ रहा है. वहीं मलेशिया का हिस्सा 55 फीसदी का है बाकी 7 फीसदी की आपूर्ति थाईलैंड करता है. ऐसे में जब 37 फीसदी आपूर्ति बाधित होगी तो सभी तरह के तेल के दामों में बढ़ोतरी होने की संभावनाएं ज्यादा हैं. आने वाले समय में पॉम ऑयल के साथ सोयाबीन, सूरजमुखी और सरसों के तेल के दामों में उछाल देखने को मिल सकता है.   

कहां चूक गया भारत 

अब सवाल उठता है कि देश में खाद्यान की तरह खाद्य तेल में आत्म निर्भरता क्यों हासिल नहीं कर पाया? दरअसल पॉम आयल की सस्ती कीमत की वजह से देश के तिलहन जैसे सरसों,मूंगफूली, तिल और सूरजमुखी के दाम कभी भी किसान के आकर्षक साबित नहीं हो पाए. इस साल सरकार ने सरसों की MSP 5,050 रुपये प्रति क्विंटल तय की है लेकिन बाजार भाव 6000 से ऊपर ही चल रहा हैं. पिछले कुछ सालों से तेल के बेहतर दाम मिलने की वजह से तिलहन के उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी देखने को मिली है.

देश आयात (अंतिम 6 महीने में) आंकड़े फीसदी में
     
इंडोनेशिया 9,82,123  37
मलेशिया 1,46,9017 55
थाइलैंड 2,02,113 8

आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2010-11 में देश में करीब 98 लाख टन खाद्य तेल का उत्पादन होता था जो कि साल 2020-21 में 15 फीसदी बढ़कर  1.13 करोड़ टन तक पहुंच गया. इस बीच मांग कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ी और इसे पूरा करने के लिए भारत को आयात भी बढ़ाना पडा़. खाद्य तेल आयात जो साल 2010-11 में 72 लाख टन था.  वो 2016-17 में ही दोगुना होकर 1.5 करोड़ टन तक पहुंच गया था. हालांकि पिछले कुछ सालों से भारत के खाद्य तेल आयात में कुछ कमी देखने को मिली है. 

खाद्य तेल के दामों में हुआ भारी इजाफा 

बीते एक साल में भारत का खाद्य तेल आयात बिल करीब 1.5 गुना बढ़ गया है. आयात होने वाले सभी प्रकार के खाद्य तेलों की कीमत में 28 से 68 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. पॉम आयल में करीब 60 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है. सोयाबीन का तेल भी लगभग डेढ गुना (47 फीसदी) हो गया है. सूरजमुखी के  तेल में एक चौथाई (27 फीसदी) महंगा हो गया है.  

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वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है महंगाई

कुछ दिन पहले ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF) और वाशिंगटन में विश्व बैंक की बैठकों में  यूक्रेन में युद्ध के कारण संभावित खाद्य पदार्थों में कमी के बारे में चिंता जताई गई थी. विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने देशों से खाद्य भंडार जमा करने या निर्यात नियंत्रण लागू करने  जैसे उपायों से बचने का आग्रह किया था और अब दोनों ही संस्थाओं की बातें सही साबित होती दिख रही हैं. 

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Palm oil prices may increase in the country, a decision by Indonesia increased India's troubles
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पॉम ऑयल की कीमतों में दिख सकता है जबरदस्त इजाफा
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Hindi
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