डीएनए हिंदी: जनवरी में ओमिक्रोन की वजह से लगने वाले प्रतिबंधों, ग्लोबल सप्लाई की कमी और हाई इनपुट कॉस्ट की वजह से वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि और धीमी हो गई. सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी-मार्च की अवधि में जीडीपी में 4.1 फीसदी रही.
फाइनैंशल ईयर 2021-22 के तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.4 फीसदी रही थी.वहीं दूसरी तिमाही में 8.5 फीसदी रही थी, जबकि पहली तिमाही में रेकॉर्ड 20.3 फीसदी रही थी. सालाना आधार पर जीडीपी 8.7 फीसदी रही. हालांकि, 8.9 फीसदी का अनुमान जताया जा रहा था.
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी ने महामारी की वजह से आई मंदी से उबरना शुरू ही किया था, जब जनवरी में ओमिक्रोन के मामलों में वृद्धि की वजह से कुछ प्रतिबंधों को दोबारा लगाना पड़ा. फरवरी में यूक्रेन में युद्ध ने इसके संकट को और बढ़ा दिया, जिससे कमोडिटी की कीमतें बढ़ गईं और सप्लाई में भी कमी देखने को मिली.
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मार्च तिमाही में कृषि क्षेत्र में 4.1 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि विनिर्माण सेगमेंट में 0.2 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली. चौथी तिमाही के दौरान जीवीए 3.9 फीसदी था, जबकि पूरे वित्तीय वर्ष के लिए यह 8.1 फीसदी देखने को मिला.
अप्रैल में कंज्यूमर प्राइस इंफ्लेशन 8 साल के हाई लेवल 7.8 फीसदी पर पहुंच गया है और इस वित्त वर्ष में औसतन 6.52 फीसदी देखने को मिली है. आरबीआई के जून तक रेपो दर को 50 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 4.9 फीसदी करने की उम्मीद है.
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इकोनॉमी पर भी महंगाई का असर, थमी रफ्तार, चौथी तिमाही में GDP 4.1 फीसदी