डीएनए हिंदी: देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें (Petrol-Diesel Hike) लगातार बढ़ रही हैं. इसके चलते प्रतिदिन लोगों के खाने पीने की चीजों से लेकर अनाज तक के दामों में बढ़ोतरी हो रही है. हाल ही में दूध के दामों (Milk Price) में इजाफा हुआ था और इसी तरह अब एक बार फिर देश में दूध की कीमतों में बड़ा इजाफा हो सकता है. इसको लेकर डेरी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अमूल के एमडी (Amul MD) ने दूध के दामों में बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं.
फिर बढ़ेंगे दूध के दाम
दरअसल, दूध की कीमतें बढ़ने की आशंकाओं के बीच अमूल कंपनी के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि एनर्जी, रसद और पैकेजिंग लागत बढ़ने की वजह से अमूल दूध की कीमतें एक बार फिर बढ़ सकती हैं. हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि इस बार कितना रेट बढ़ेगा. गौरतलब है कि इससे पहले 1 मार्च 2022 को भी अमूल ने दूध की कीमत में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी ऐसे में एक बार फिर ऐसे ही किसी बढ़ोतरी की संभावनाएं है.
क्या है कंपनी के एमडी का बयान
इस मामले को लेकर अमूल के एमडी आर एस सोढ़ी (RS Sodhi) ने कहा है कि यहां से कीमतें कम नहीं हो सकती हैं बल्कि ऊपर ही जाएंगी. सहकारी संघ ने पिछले दो वर्षों में अमूल मिल्क की कीमतों में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. इसमें पिछले महीने दूध की कीमतों में प्रति लीटर 2 रुपये की बढ़ोतरी भी शामिल है. उनका यह बयान स्पष्ट कर रहा है कि जल्द ही देश में एक बार फिर दूध के दाम महंगाई का एक नया रिकॉर्ड बना सकते हैं. ऐसे में यदि दूध महंगा हुआ तो यह भी निश्चित है कि जल्द ही डेयरी से जुड़े सभी उत्पाद महंगे हो सकते हैं.
किसानों को नहीं होगी दिक्कत
सोढ़ी ने आगे कहा कि उनके उद्योग में मुद्रास्फीति चिंता का कारण नहीं है क्योंकि इससे किसानों को उपज के लिए अधिक कीमतों से लाभ हो रहा है. सोढ़ी ने कहा, 'अमूल और डेयरी क्षेत्र द्वारा की गई बढ़ोतरी दूसरों की तुलना में या इनपुट लागत में वृद्धि की तुलना में बहुत सीमित है. दूसरी तरफ एनर्जी की कीमतें एक तिहाई से अधिक बढ़ गई हैं जो कोल्ड स्टोरेज खर्च को प्रभावित करती हैं. रसद लागत भी इसी तरह लगातार बढ़ी है और पैकेजिंग के मामले में भी ऐसा ही है. इन दबावों के कारण मार्च में दूध की कीमत में 1 से 2 रुपये की बढ़ोतरी हुई है."
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उन्होंने बताया कि महामारी के दौरान किसानों की दूध से आय 4 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गई है. वहीं, कई तरह की दिक्कतों की वजह से कंपनी के लाभ में कमी आई है लेकिन अमूल इस तरह के दबावों से बेफिक्र है क्योंकि मुनाफावसूली सहकारी संघ का मुख्य उद्देश्य नहीं है. Amul द्वारा कमाए गए एक रुपये में से 85 पैसा किसानों को जाता है. आपको बता दें कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के बाद से लगातार खाने पीने से लेकर सर्विसेज तक के काम बढ़ रहे हैं. इसकी वदह यह है कि लॉजिस्टिक की कास्ट बढ़ गई है और इससे कंपनियों पर दबाव पड़ रहा है.
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