डीएनए हिंदीः देश मे भले ही डिजिटल माध्यम से इनवेस्टमेंट लगातार बढ़ रहा हो किन्तु आज भी लोगों का भरोसा मुख्य तौर पर LIC पर ही रहता है. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि भारत सरकार भी इसमें एक बड़ा सहयोगी है. वहीं अब LIC का यही भरोसा शेयर मार्केट में भी देखने को मिलने वाला है क्योंकि कंपनी साल 2021 की पहली तिमाही तक अपना IPO ला सकती है. IPO के लिए लोगों को लुभाने की नीति के तहत अब एलआईसी अपने नॉन परफार्मिंग असेस्ट्स अर्थात NPA को कम करने पर विशेष काम कर रही है.
एनपीए को कम रही एलआईसी
LIC अपना IPO निकालने के पहले अपने सभी बड़े नकारात्मक बिंदुओं को हल करने में जुट गई है. कंपनी का सबसे अधिक ध्यान अपने NPA को कम करने पर है. इसकी वजह ये है कि NPA कम होने के कारण निवेशकों का रुझान एलआईसी की ओर बढ़ सकता है. जानकारी के मुताबिक, एलआईसी ने भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के दिशानिर्देशों के अनुसार ही उसने एनपीए के लिए 34,934.97 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रावधान भी किए हुए हैं. इससे कंपनी काल घाटा कम होने की पूरी संभावनाएं हैं.
पहले ही कर ली तैयारी
कंपनियों का एनपीए बैंकों के NPA से अलग होता है. LICकी बात करें तो अपने खर्च के अनुसार कंपनी स्वयं पर प्रतिवर्ष पड़ने वाले दबावों के लिए पहले ही NPA संबंधी वित्तीय प्रावधान करती रही है. LIC निवेशकों को लुभाने के लिए इस वर्ष भी एनपीए के लिए एक बड़ा वित्तीय प्रावधान कर चुकी है. इससे कंपनी के कामकाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. वहीं निवेश की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी.
सरकार कर चुकी है प्रावधान
गौरतलब है कि मोदी सरकार LIC को शेयर मार्केट में लिस्ट कराने के लिए कानूनों में भी विशेष संशोधन कर चुकी है. नए प्रावधान के अनुसार केंद्र सरकार LIC में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी अगले पांच वर्षों तक अपने पास रखेगी. वहीं बाद में इसे धीरे-धीरे घटाकर हिस्सेदारी को न्यूनतम 51 प्रतिशत पर लाएगी. LIC पर लोगों का भरोसा पहले ही अधिक है. ऐसे में IPO के बाद यदि शेयर मार्केट में इसकी लिस्टिंग होती है तो उम्मीद की जा सकती है कि इसमें निवेश का एक सकारात्मक भाव आएगा.
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