डीएनए हिंदी: आजाद देश के 75 सालों में 73 बार बजट पेश किया जा चुका है. हर बार बजट एक नई उम्मीद लेकर आता है और कभी नए सुधार, नई योजनाएं या नए नियम देकर जाता है. यही वजह है कि जब 1997-98 में बजट पेश हुआ तो उसे 'ड्रीम बजट' कहा गया और जब 1973 में बजट पेश हुआ था तो उसे ब्लैक बजट का नाम दिया गया था. ड्रीम बजट को समझ में आता है- जनता के सपनों वाला बजट. लेकिन यह ब्लैक बजट क्या है और ऐसा बजट क्यों पेश किया गया था? जानते हैं इन सवालों का जवाब-
क्या थी मुख्य वजह
1973-74 में जब आम बजट पेश किया गया था, उस समय देश के हालात काफी खराब थे. देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था. एक तरफ खराब मॉनसून था तो दूसरी तरफ 1971 में हुआ बांग्लादेश युद्ध, जिसने अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाया. इस सबका असर देश के बजट पर भी पड़ा. यही वजह रही कि जब बजट पेश हुआ तो उसमें 550 करोड़ का घाटा पेश किया गया. उस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं और वह बजट पेश किया था तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव.बी.चव्हाण ने.
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क्या था बजट में
उस बजट में सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स के राष्ट्रीयकरण के लिए 56 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. साथ ही बजट में 550 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया था. आजाद भारत का यह पहला और एकमात्र ब्लैक बजट था. तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि देश में सूखे के कारण पैदा हुए हालात और खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी की वजह से बजटीय घाटा बढ़ गया है, इसलिए ब्लैक बजट पेश करने की स्थिति आन पड़ी है.
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क्या होता है ब्लैक बजट?
जब सरकार का खर्च उसकी कमाई की तुलना में ज्यादा होता है, तो सरकार को बजट में कटौती करनी पड़ती है. ऐसे बजट को 'ब्लैक बजट' कहा जाता है.
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