डीएनए हिंदी: झारखंड के देवघर में पहली बार काले गेहूं की खेती की जा रही है. काले गेहूं की खेती बिहार बंगाल और यूपी में वृहद पैमाने में की गई है, जिसको देखते हुए अब देवघर में इस फसल को लगाया गया है. अगर फसल की पैदावार अच्छी होती है तो यहां के किसानों को इससे जोड़ने का काम भी किया जाएगा.
काले गेहूं की खेती से झारखंड के किसानों को न सिर्फ एक नई फसल की खेती का अनुभव मिलेगा बल्कि आय में भी वृद्धि होगी. काले गेहूं में फाइबर काफी ज्यादा पाया जाता है जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद है. डायबिटीज के मरीजों के लिए भी काले गेहूं के आटे से बने रोटी से काफी लाभ मिलता है.
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देवघर के कृषि विज्ञान केंद्र में काम करने वाली कृषि वैज्ञानिक हर्षिता ने बताया कि काले गेहूं की खेती झारखंड में पहली बार हो रही है. बिहार में तो इसकी खेती काफी फेमस है, काफी लोग करने लगे हैं. इसका आटा बहुत फाइबर युक्त होता है जो हमारी हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है.
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उन्होंने बताया कि काला गेहूं हमारी डाइट के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसे हम यहां ट्रायल के आधार पर लगा रहे हैं. हम इसे दो साल तक लगाएंगे. अगर अच्छे रिजल्ट रहे तो हम किसानों को इसे उगाने के बारे में कहेंगे.
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कृषि विज्ञान केंद्र देवघर के डायरेक्टर आनंद तिवारी ने कहा कि काला गेहूं झारखंड के लिए एक नई किस्म है. यह यहां के लिए बहुत जरूरी है. काले गेहूं की रोटी डायबिटीज के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है. यह किसान के लिए भी फायदेमंद है. हम अभी इसका ट्रायल कर रहे हैं. इसकी फसल अच्छी लग रही है. उम्मीद है कि परिणाम भी अच्छे रहेंगे.
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