डीएनए हिंदी: Moody's ने करेंट ईयर के भारत के ग्रोथ अनुमान को घटाकर 9.1 प्रतिशत कर दिया है. बता दें पहले यह ग्रोथ रेट 9.5 प्रतिशत था. मूडीज ने बताया कि ईंधन महंगा होने और उर्वरक आयात बिल बढ़ने से सरकार की कैपिटल एक्सपेंडिचर लिमिटेड हो सकती है.
मूडीज रेटिंग एजेंसी ने अपने वैश्विक व्यापार परिदृश्य 2022-23 में बताया कि भारत की ग्रोथ रेट 2023 में 5.4 प्रतिशत रह सकती है. इस रिपोर्ट में बताया गया कि यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे जंग की वजह से वैश्विक आर्थिक वृद्धि को नुकसान हो सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक जी-20 अर्थव्यवस्था में रूस इकलौता ऐसा देश है जिसमें वर्ष संकुचन (Year Contraction) आ सकता है. एक अनुमान के मुताबिक साल 2022 में इसकी अर्थव्यवस्था में 7 प्रतिशत और 2023 में 3 प्रतिशत की सिकुड़न आएगी जो कि यूक्रेन पर हमले से पहले 2 प्रतिशत और 1.5 प्रतिशत की अनुमानित ग्रोथ से नीचे है.
मूडीज का कहना है कि भारत 80 प्रतिशत कच्चे तेल के इंपोर्ट के लिए रूस पर निर्भर है जिसकी वजह से भारत तेल की कीमत में वृद्धि के प्रति ज्यादा संवेदनशील है. हालांकि भारत में अनाज का उत्पादन ज्यादा होता है इसलिए कीमतों में वृद्धि से बहुत ही कम समय में कृषि निर्यात को फायदा होगा.
क्या होती है कैपिटल एक्सपेंडिचर?
सरकार के खर्चे दो हिस्सों में बंटे हुए होते हैं. इसमें एक पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) होता है और दूसरा राजस्व व्यय (Revenue Expenditure). सरकार के संपत्ति में वृद्धि करने वाले खर्च को पूंजीगत व्यय कहते हैं. वहीं राजस्व खर्च के तहत कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और अन्य सरकारी खर्च आते हैं. इससे सरकार को आय और उत्पादन क्षमता दोनों में ही वृद्धि नहीं होती है.
कच्चे तेल की कीमतों का प्रभाव
मूडीज रेटिंग एजेंसी के मुताबिक भारत कच्चे तेल की कीमतों को लेकर खासकर संवेदनशील है. बता दें भारत रूस पर 80 प्रतिशत कच्चे तेल के आयात के लिए निर्भर है. हालांकि भारत से बड़ी मात्रा में अनाज का निर्यात होता है इसलिए कम समय में ही ऊंची कीमतों से कृषि निर्यात को मुनाफा होगा. तेल की ऊंची कीमत और उर्वरक की लागत सरकार के फाइनेंस पर बोझ डालने का काम करती है. इस वजह से भारत की पूंजीगत व्यय लिमिटेड हो जायेगी.
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने बताया कि इन सभी कारणों की वजह से हमने भारत के लिए अपने 2022 के डेवलपमेंट अनुमानों को 0.4 प्रतिशत कम कर दिया है. उम्मीद है कि इस साल अर्थव्यवस्था में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. बता दें साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था में 6.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी.
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