डीएनए हिंदी: आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के दम पर घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री (Manufacturing Industry) अगले वित्त वर्ष तक करीब 7 लाख करोड़ रुपये की हो जाएगी. इस इंडस्ट्री में करीब 30 फीसदी बूस्ट आने की उम्मीद जताई जा रही है. सरकार की 2.3 लाख रुपये की पॉलिसी पुश की वजह से ये उद्योग बढ़ने वाला है.
ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन (electronics supply chain) में आगे बढ़ने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. सरकार नई नीतियां और प्रोत्साहन योजनाएं लाने की तैयारी में है. इस इंडस्ट्री के सामने कई चुनौतियां भी खड़ी हैं. इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों खास इलेक्ट्रॉनिक चिप की किल्लत से देश जूझ भी रहा है. ओमिक्रॉन और कोरोना के खतरे की आशंका भी इस उद्योग की रफ्तार को प्रभावित कर सकती है.
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने पीटीआई से कहा कि स्थानीय मैनुफैक्चरिंग यूनिट में होने वाला उत्पादन मौजूदा वक्त के18 फीसदी से बढ़कर अगले साल तक 25 फीसदी होने की उम्मीद है. सरकार ने देश में कुल इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन को अगले वर्ष तक 30 फीसदी बढ़ाकर 6.9 लाख करोड़ रुपये तक करने का लक्ष्य रखा है. मंत्रालय ने भारत से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 50 फीसदी तक बढ़ाने के लक्ष्य के साथ अगले वित्त वर्ष के लिए 22,000 करोड़ रुपये की योजना का प्रस्ताव दिया है.
प्रोडक्शन को मिलेगी रफ्तार!
इंडस्ट्रियल ऑर्गेनाइडेशन 'इंडिया सेलुलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स ऐसोसिएशन (ICEA)' के मुताबिक 2020-21 में देश में मोबाइल फोन प्रोडक्शन बढ़कर 2.2 लाख करोड़ रुपये हो गया और मार्च 2022 तक यह 2.75 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा. इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन में भारतीय कंपनियों के योगदान के बारे में आईसीईए के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रो ने कहा कि इसकी हिस्सेदारी 2016 में 47 फीसदी थी जो अब घटकर 8 फीसदी हो गई. टेकआर्क के संस्थापक और मुख्य विश्लेषक फैसल कावूसा ने कहा है कि आज हम 50 लाख फोन निर्यात कर रहे हैं.
ग्लोबल ब्रांड की है देश को जरूरत
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक भारत से अब तक कोई मजबूत इलेक्ट्रॉनिक ब्रांड नहीं उभरा है जो स्थानीय स्तर के साथ-साथ और वैश्विक स्तर पर भी पैठ बना सके. स्थानीय उत्पादन बढ़ने से उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात 2020-2 में घटकर करीब 2.85 लाख करोड़ रुपये हो गया जो 2019-20 में 2.9 लाख करोड़ रुपये था. वहीं आईटी हार्डवेयर का आयात 2019-20 के 68,400 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में करीब 79,000 करोड़ रुपये हो गया.
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