डीएनए हिंदी: मार्च महीने की बेमौसमी बारिश से रबी की फसलों का उत्पादन प्रभावित होने की चेतावनी सही साबित होती दिख रही है. इसका पहला असर जीरे के दामों पर दिखा है, जो पहली बार 50,000 रुपये कुंतल के पार पहुंच गए हैं. राजस्थान के नागौर जिले की मेड़ता मंडी में सोमवार को जीरे के दाम में एक ही दिन में 9,000 रुपये कुंतल की उछाल दर्ज की गई, जिसके बाद यह रिकॉर्ड प्राइस पर पहुंच गया है. मेड़ता मंडी देश की सबसे बड़ी जीरा मंडियों में से एक है. एग्रीकल्चर वेबसाइट ruralvoice.in की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की सबसे बड़ी जीरा मंडी गुजरात के ऊंझा में है. वहां भी जीरे का अधिकतम भाव 45 हजार रुपये प्रति कुंतल पर चल रहा है. जीरे के दाम अभी और भी ऊपर जाने के आसार हैं. यदि ऐसा हुआ तो यह आम आदमी की थाली से गायब हो सकता है.
कम उत्पादन के कारण बढ़े हैं दाम
राजस्थान में मार्च के दौरान बारिश, तेज हवाओं और ओलावृष्टि के कारण जीरे की फसल बड़े पैमाने पर खराब हुई थी. देश में सबसे ज्यादा जीरा उत्पादन राजस्थान और गुजरात में ही होता है. गुजरात में भी बारिश का असर फसल पर पड़ा. इसके चलते दोनों ही राज्यों में जीरा उत्पादन उम्मीद से कम हुआ है. कम उत्पादन के बावजूद जीरे की मांग पहले से ज्यादा बढ़ रही है. इसके चलते ही दाम अचानक तेजी से बढ़े हैं.
मानसून सीजन के बाद गर्म मौसम के कारण घटी थी बोआई
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल देश में 3.88 लाख टन जीरा का कुल उत्पादन हुआ था. इस बार यह इससे बेहद कम रहा है. इसका कारण पिछले साल मानसून सीजन के बाद भी मौसम के दिसंबर महीने तक गर्म बने रहना था. जोधपुर के दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के निदेशक भगीरथ चौधरी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी के कारण जीरा की बोआई का रकबा घटा है. नवंबर-दिसंबर में गर्मी के कारण तापमान ज्यादा होने से किसानों ने जीरे की बजाय सरसों की फसल की बोआई ज्यादा की. पहले से ही कम रकबे के बाद इस फसल पर इस बार के अप्रत्याशित मौसम का भी असर पड़ा है. फरवरी में तेज गर्मी और मार्च में बेमौसमी बारिश-ओलावृष्टि में बहुत सारी फसल खराब हो गई. इसी कारण कीमतें ज्यादा चढ़ी हैं.
5 साल में 4 गुना महंगे हो गए हैं दाम
चौधरी के मुताबिक, पिछले 5 साल में जीरे के दाम करीब 4 गुना बढ़ चुके हैं. साल 2018 तक 12-13 हजार रुपये कुंतल बिक रहा जीरा पिछले साल ही 37 हजार रुपये कुंतल को छू चुका था. इस बार यह 50 हजार रुपये के पार पहुंच गया है. रूरल वॉयस की रिपोर्ट के मुताबिक, जीरे के दाम में तेजी का एक बड़ा कारण वैश्विक मांग बढ़ना भी है. मध्य एशिया के जीरा उत्पादक देशों में भी इस बार उत्पादन कम रहा है. इस कारण सभी जगह सप्लाई कम है और मांग ज्यादा है. इसके चलते भी जीरे के दाम तेज हो रहे हैं.
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आपकी थाली से गायब हो सकता है ये मसाला, पहली बार 50 हजार रुपये पहुंचे दाम