डीएनए हिंदी: भारत में कई ऐसे संकेत देखने को मिल रहे हैं जिससे पता चलता है कि के-शेप रिकवरी जारी है. इसका मतलब यह है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से उत्पन्न हुए वैश्विक आर्थिक तंगी से  हालात में अभी कोई खास सुधार नहीं आया है. वहीं कोरोना महामारी ने भी अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया है. 
 
हालांकि अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो यह काफी पॉजिटिव दिख रहा है. मार्च में जीएसटी (GST) कलेक्शन 1.42 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा था जो पिछले साल की तुलना में 15 प्रतिशत और मार्च 2020 की तुलना में 46 प्रतिशत ज्यादा है. इसने केंद्र के GST कलेक्शन को वर्तमान में संशोधित अनुमानों में मौजूद 5.7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मुनाफा दिया है. इसकी पुष्टि डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन (आयकर और निगम कर) के नए आंकड़ों से होती है. 

राजस्व में वृद्धि

वित्तीय वर्ष 2022 में रिकॉर्ड 13.8 लाख करोड़ रुपये को छू लिया था जो वित्तीय वर्ष 2020 के पूर्व महामारी की तुलना में 23 प्रतिशत ज्यादा है. इससे पता चलता है कि कोरोना महामारी कम होने से समग्र आर्थिक सुधार आया है. सबसे अच्छी बात जो है कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में तेज वृद्धि बेहतर स्थिति की तरफ इशारा करता है और जो कंपनियां डायरेक्ट टैक्स देती हैं उनके आय में मजबूती और राजस्व में वृद्धि आई है.

मंदी में सुधार

हालांकि वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान मंदी में सुधार हो रहा है. गौर करने वाली बात है कि यह ग्रोथ राष्ट्रीय लेवल पर तो देखा जा सकता है लेकिन इंडिविजुअल लेवल पर अभी भी लोगों की स्थिति में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है. अगर लेटेस्ट वैश्विक असमानता रिपोर्ट (2022) में दर्ज की गई ग्रोथ जारी रहती है लेकिन इंडिविजुअली कोई बदलाव देखने को नहीं मिलता है तो भारत का एक बड़ा तबका इस विकास के हिस्से से बाहर हो जायेगा.

पिछले कैलेंडर वर्ष 2021 में भारत की आबादी के निचले 50 प्रतिशत ने अपनी कुल आय का 13 प्रतिशत हासिल लिया जबकि शीर्ष 1 प्रतिशत को राष्ट्रीय आय का 21.7 प्रतिशत हासिल हुआ. यानी 50 प्रतिशत जनता के पास देश की संपत्ति का केवल 5.9 प्रतिशत है जबकि शीर्ष 1 प्रतिशत जनता के पास देश की एक तिहाई आय है यानी 33 प्रतिशत हिस्सा है.

K-Shape में रिकवरी

वहीं सरकार ने रिपोर्ट को तैयार किए जाने वाले कार्यप्रणाली पर सवाल जवाब दिया है कि इसके आंकड़ों को बेहतर करने के लिए हमें लोगों आप और रोजगार मुहैया कराने की जरूरत है. हर तबके के लोगों को रोजगार और आय का साधन मुहैया कराने के लिए मनरेगा की तेजी के साथ मांग की जा रही है. इस योजना के तहत ग्रामीण लोगों को 100 दिन तक काम मिल पाएगा और उनको आसानी से आय मिल सकेगा.

महामारी के बाद मनरेगा के तहत अचानक से काम के लिए वृद्धि हुई है. साल 2021 की अंतिम तिमाही में इस योजना के तहत काम की मांग 2019 की तुलना में ज्यादा बढ़ा था. इससे यह पता चलता है कि 2020 में कुछ सुधार हुआ है लेकिन साल 2018 और 2019 की तुलना में कोई गिरावट नहीं आई है. इससे आर्थिक सुधार के संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं लेकिन कार्यबल का निचला हिस्सा इस सुधार का हिस्सा नहीं है. यानी K-Shape रिकवरी देखी जा रही है.

क्या होती है K-Shape रिकवरी?
K Shape रिकवरी उसे कहते हैं जब मंदी के बाद अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आने लगती है और अर्थव्यवस्था के अलग-अलग हिस्सों, दर और समय में बदलाव के मुताबिक विकास होता है. जिसका किसी भी देश के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है. यह सभी क्षेत्रों, उद्योगों या लोगों के समूहों में एक समान, एकसमान रिकवरी के विपरीत है.

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भारतीय अर्थव्यवस्था में दिख रही है तेजी, K-Shape में हो रही रिकवरी
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