डीएनए हिंदी: सोमवार से शुक्रवार के बीच सुबह के जैसे ही 9:15 बजते हैं सभी शेयरधारक स्क्रीन के सामने नजरें गड़ाकर बैठ जाते हैं लेकिन क्या आपको यह पता है कि इस मार्केट का जन्म हमारे देश को आजादी मिलने के 107 साल पहले ही हो गई थी. हालांकि उस समय किसी भी तरह की टेक्नोलॉजी (Technology) का विकास नहीं हुआ था तो ट्रेडिंग का तरीका थोड़ा ज्यादा अलग था. चलिए जानते हैं कैसे शुरू हुआ यह मार्केट जिसने अब तक करोड़ों लोगों की किस्मत बदल डाली.
शेयर बाजार के जन्म की कहानी
साल था 1840 का, मुंबई के टाउनहाल के पास बरगद के पेड़ के नीचे 22 लोगों ने एक साथ मिलकर शेयर बाजार की शुरुआत की और शेयरों का सौदा करना शुरू किया. कुछ सालों बाद किसी वजह से ये दलाल महात्मा गांधी रोड (Mahatma Gandhi Road) पर बरगद के पेड़ के नीचे जुटने लगे धीरे-धीरे दलालों की संख्या बढ़ती चली गई.
शेयर बाजार की स्थापना कैसे हुई?
शेयर बाजार की स्थापना के बारे में जानने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि यह एशिया का सबसे पुराना एक्सचेंज है. इसे बसाने का श्रेय चार गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स को जाता है. 1840 में ये सभी ब्रोकर्स बरगद के पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे. देखते ही देखते इनकी संख्या में बढ़ोतरी होती चली गई. 1875 में इन सभी ने मिलकर अपना नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन (Native Share and Stock Brokers Association) बना लिया जहां ब्रोकर्स 1 रुपये की एंट्री फीस के साथ शामिल होना शुरू किए. जिसके बाद सभी ने मिलकर दलाल स्ट्रीट पर अपना एक ऑफिस खोला.
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आजादी के बाद बदली कहानी
आज़ादी के बाद देश संभलने की कोशिश में लगा हुआ था वहीं 10 साल बाद साल 31 अगस्त 1957 को बीएसई (BSE) को सरकार ने सिक्योरिटी एक्ट के तहत लाया. जिसके बाद 1980 में BSE को दलाल स्ट्रीट पर शिफ्ट किया गया. 1986 में एक्सचेंज में एसएनपी (SNP), बीएसई (BSE) और सेंसेक्स (SENSEX) जैसे इंडेक्स बनाए गए.
साल 1980 तक BSE बहुत ही कम पारदर्शिता के साथ काम कर रहा था.इस दश के अंत तक नई आर्थिक बल, आर्थिक ग्रोथ के लिए एक आधुनिक वित्तिय सिस्टम की जरूरत पड़ी. मार्केट वैल्यू का डिरेगुलेशन किया गया और अर्थव्यवस्था को सर्विस ओरिएंटेड कर दिया गया. जिसके बाद भारत सरकार ने सेबी (SEBI) की स्थापना की.
BSE क्यों क्रैश हुआ?
हर्षद मेहता का नाम अब तक लगभग हर भारतीय जान चुका होगा. साल 1992 में हर्षद मेहता स्कैम की वजह से BSE क्रैश हो गया. जिसके बाद एक और स्टॉक एक्सचेंज की नींव रखी गई और यह स्टॉक एक्सचेंज था नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE). देखते ही देखते NSE कुछ ही दिनों में भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बन गया.
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